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Maharashtra Election 2024 : महाराष्ट्र की पांच वीआईपी सीटें, जिन पर होना है सियासी दिग्गजों की किस्मत का फैसला
Maharashtra Election 2024 : महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटों के लिए सत्तारूढ़ महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है।
Maharashtra Election 2024 : महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटों के लिए सत्तारूढ़ महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। दोनों गठबंधनों में तीन-तीन दल शामिल है और सभी दलों ने ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगाई है। सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तो महाविकास अघाड़ी गठबंधन की ओर से राहुल गांधी, प्रियंका और शरद पवार ने चुनाव प्रचार किया है।
वैसे तो राज्य की लगभग सभी सीटों पर कड़ा मुकाबला हो रहा है,लेकिन कुछ हाई प्रोफाइल मुकाबला पर सबकी निगाहें लगी हुई है। राज्य में विधानसभा की 29 सीटें एससी और 25 सीटें एसटी के लिए आरक्षित है। राज्य के हाई प्रोफाइल मुकाबलों की बात की जाए तो इन सीटों पर कई सियासी दिग्गजों की किस्मत का फैसला होना है। ऐसे में राज्य के पांच हाई प्रोफाइल मुकाबलों पर नजर डालना जरूरी है।
बारामती में चाचा और भतीजे की जंग
पवार कुनबे का गढ़ मानी जाने वाली बारामती विधानसभा सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला हो रहा है। 1991 से लगातार इस सीट पर जीत हासिल करने वाले महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार को इस बार अपने ही भतीजे युगेंद्र पवार से कड़ी चुनौती मिल रही है। एनसीपी के नेता शरद पवार ने युगेंद्र के जरिए अजित पवार को सबक सिखाने की रणनीति तैयार की है। पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारी मतों से जीत हासिल करने वाले अजित पवार को इस बार काफी मेहनत करनी पड़ी है।
लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार को शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के सामने हार का सामना करना पड़ा था। अब विधानसभा चुनाव में भी उनकी सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है। इस बार विधानसभा चुनाव के नतीजे से अजित पवार का सियासी भविष्य जुड़ा हुआ है। युगेंद्र पवार अजित पवार के बड़े भाई के बेटे हैं और हाल के दिनों में बारामती में काफी सक्रिय रहे हैं। इसलिए उनकी चुनौती अजित पवार के लिए काफी भारी पड़ती दिख रही है।
वर्ली में आदित्य को मिलिंद देवड़ा की चुनौती
मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट पर इस बार सबकी निगाहें लगी हुई हैं। शिवसेना यूबीटी के मुखिया उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे इस सीट पर दोबारा चुनाव मैदान में उतरे हैं। शिवसेना के शिंदे गुट ने इस सीट पर दिग्गज नेता और राज्यसभा सदस्य मिलिंद देवड़ा को उतार दिया है। मिलिंद देवड़ा दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से भी सांसद रह चुके हैं और उनकी इस इलाके पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। ऐसे में आदित्य ठाकरे कड़े मुकाबले में फंस गए हैं।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की ओर से उतारे गए संदीप देशपांडे ने भी आदित्य ठाकरे की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। स्थानीय मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़ने वाले संदीप देशपांडे की मराठी भाषी लोगों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। 2019 में पहली बार चुनाव लड़ने वाले आदित्य ठाकरे ने 89 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी मगर इस बार उनकी सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है।
नागपुर में ‘छक्का’ लगाने उतरे हैं फडणवीस
नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस फिर चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। इस विधानसभा सीट को देवेंद्र फडणवीस का गढ़ माना जाता है क्योंकि वे लंबे समय से इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। फडणवीस 1999 से लगातार पिछले पांच विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और इस बार के विधानसभा चुनाव में भी उनकी सियासी स्थिति मजबूत मानी जा रही है। कांग्रेस ने उनके खिलाफ प्रफुल्ल विनोद गुडाधे को उतारा है जो फडणवीस को चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वैसे फडणवीस 2014 के विधानसभा चुनाव में गुडाधे को हरा चुके हैं।
1999 के विधानसभा चुनाव में फडणवीस ने नागपुर वेस्ट सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद 2004 के विधानसभा चुनाव में फडणवीस ने दोबारा इस सीट से जीत हासिल की थी। 2009 के विधानसभा चुनाव में फडणवीस परिसीमन के बाद नई बनी नागपुर साउथ वेस्ट सीट से चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की। 2014 और 2019 में फिर इसी सीट से जीत हासिल करके उन्होंने अपनी हैट्रिक पूरी की थी।
फडणवीस के सामने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतरे प्रफुल्ल गुडाधे वर्तमान में नागपुर नगर निगम के पार्षद हैं। प्रफुल्ल जनता के मुद्दों की लड़ाई लड़ते रहे हैं और उनकी छवि एक सक्रिय पार्षद की रही है। उनका कहना है कि फडणवीस को इस बार विभिन्न मुद्दों के प्रति अपनी जवाबदेही से जुड़े सवालों का जवाब देना होगा।
मुख्यमंत्री शिंदे का गुरु के भतीजे से मुकाबला
ठाणे की कोपरी-पचपाखड़ी विधानसभा सीट पर भी सबकी निगाहें लगी हुई है क्योंकि इस सीट पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे चुनाव लड़ रहे हैं। शिंदे को इस बार अपने राजनीतिक गुरु आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने खिलाफ बगावत करने वाले शिवसेना नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ भी गजब की सियासी चाल चली है।
उन्होंने शिंदे के खिलाफ उनके गुरु आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को मैदान में उतार कर तगड़ी घेराबंदी करने की कोशिश की है। शिंदे विभिन्न मौकों पर आनंद दिघे को अपना राजनीतिक गुरु बताते रहे हैं। उद्धव ठाकरे की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद ठाणे की कोपरी-पचपाखड़ी विधानसभा सीट पर काफी दिलचस्प मुकाबला होने वाला है।
ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि उद्धव ठाकरे का गुरु वाला यह दांव कितना असर दिखाता है। कोपरी-पचपाखड़ी निर्वाचन क्षेत्र को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता रहा है। वे अविभाजित शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में इस चुनाव क्षेत्र से 2009 से ही लगातार जीत हासिल करते रहे हैं। शिंदे को भाजपा और एनसीपी के अजित पवार गुट का समर्थन जरुर हासिल है मगर यह देखने की बात होगी कि उद्धव ठाकरे की शिंदे को सियासी सबक सिखाने की यह रणनीति कितना असर दिखाती है।
जीशान सिद्दीकी को उद्धव सेना की चुनौती
एनसीपी के कद्दावर नेता बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी बांद्रा पूर्व विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जीशान ने पिछला विधानसभा चुनाव इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीता था मगर इस बार वे अजित पवार की एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। जीशान के पिता बाबा सिद्दीकी की दशहरा के दिन मुंबई के बांद्रा इलाके में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।
जीशान के खिलाफ उद्धव सेना की ओर से वरुण सरदेसाई को उतारा गया है। 2022 में शिवसेना में हुए बंटवारे के बाद वरुण ने उद्धव के साथ बने रहने का फैसला किया था। बांद्रा पूर्व इलाके में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। दूसरी ओर जीशान युवाओं और मुसलमानों में खासे लोकप्रिय हैं। इसके साथ ही उन्हें अपने पिता की हत्या के बाद सहानुभूति लहर का फायदा मिलने की उम्मीद भी जताई जा रही है।