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महा संकट: ये फूल बरसाने वाली नई शिव सेना है
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के जटिल राजनीतिक परिदृश्य में केवल एक ही बार तय है कि उद्धव ठाकरे सरकार का पतन होना है।
Maharashtra Political Crisis: ढेरों राजनीतिक पार्टियाँ किसी एक व्यक्ति के नाम से जुड़ी रहती हैं। जैसे कि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और तृणमूल कांग्रेस (TMC), अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और आम आदमी पार्टी (AAP), गाँधी परिवार (Gandhi Family) और कांग्रेस (Congress), करूणानिधि परिवार और द्रमुक या फिर मायावती (Mayawati) और बहुजन समाज पार्टी (BSP)। और हाँ, ठाकरे परिवार (Thackeray family) और शिव सेना (Shivseba)। अगर इन दलों से उन लोगों का नाम हट जाये तो कैसा लगेगा? ये अचंभित करने वाली बात होगी। शिवसेना और ठाकरे परिवार के एक भी व्यक्ति के बगैर? शायद अब ऐसा ही होने जा रहा है। ये नई शिव सेना होगी।
महाराष्ट्र के जटिल राजनीतिक परिदृश्य में उद्धव ठाकरे सरकार का पतन
फिलहाल, महाराष्ट्र के जटिल राजनीतिक परिदृश्य में केवल एक ही बार तय है कि उद्धव ठाकरे सरकार का पतन होना है। लेकिन ये शायद इतनी जल्दी नहीं होने वाला। उद्धव सदन में फ्लोर टेस्ट में वोट मांगेंगे और इसका मतलब है कि उनकी सरकार कम से कम दो सप्ताह के लिए और बनी रह सकती है। इस सरकार के पतन से पहले राकांपा और उसके मजबूत नेता शरद पवार पर नजर रखना भी जरूरी है। शरद पवार पुराने योद्धा हैं और वे बिना किसी लड़ाई के हार मानने वाले नहीं हैं। जाहिर है कि मौजूदा सरकार गिरने से पवार के राजनीतिक महत्व पर असर जरूर पड़ेगा जो वो कतई होना नहीं चाहेंगे।
आने वाले दिनों में महाराष्ट्र परिद्रश्य के एक प्रमुख किरदार डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल (Deputy Speaker Narhari Jirwal) होंगे, जो एनसीपी से हैं। उद्धव ठाकरे ने अब डिप्टी स्पीकर के समक्ष एक याचिका दायर कर पार्टी की अनिवार्य बैठक में शामिल नहीं होने पर 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की है। यदि इस याचिका को सही ठहराया जाता है तो विद्रोहियों के पास आवश्यक संख्या की कमी होगी। साथ ही लंबे समय तक कोर्ट में केस चलने से बागी विधायकों पर दबाव जरूर बढ़ेगा। चार और बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए पहले ही एक और कदम उठाया जा चुका है। शिवसेना के सार्वजनिक चेहरे संजय राउत भी इस लड़ाई में सबसे आगे नजर आ रहे हैं।
राज्य विधानसभा में शिवसेना के कुल 55 विधायक
राज्य विधानसभा में शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं। 40 से 46 तक शिंदे के साथ प्रतीत होते हैं। शिंदे को यह दावा करने के लिए पार्टी के 37 सदस्यों की आवश्यकता है कि पार्टी के दो-तिहाई उनके साथ हैं और इसलिए उन्हें दलबदल विरोधी कानूनों के तहत विधायिका से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है। उनके साथ फ्लोर टेस्ट में कितने साथी खड़े होते हैं ये देखने वाली बात होगी।
महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य के दिग्गजों को कर रहे हैरान
हालांकि, इस उथल-पुथल के नए पहलू हैं जो महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य के दिग्गजों को हैरान कर रहे हैं। शिवसेना एक ऐसी पार्टी थी जो जरा जरा सी बात पर आक्रामक हो जाती थी और मुंबई की सड़कों को युद्ध के मैदान में बदलने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध थी। लेकिन शिवसेना की अब तक की एकमात्र सड़क कार्रवाई उद्धव के काफिले पर फूल बरसाने तक सीमित रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षक याद करते हैं कि कैसे छगन भुजबल द्वारा बाल ठाकरे के खिलाफ विद्रोह करने के बाद शिवसेना के कैडर ने शहर को बंद कर दिया था। जब छगन भुजबल ने शिवसेना छोड़ी तो वह 30-40 दिनों तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकल पाए। अब दिन बदल गए हैं। अब तो बागी विधायक मुम्बई से सूरत और गुवाहाटी तक आराम से जाते रहे हैं और कोई हलचल नहीं हुई है। ये नई शिव सेना है।