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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में राजभवन और सरकार के बीच तनातनी बढ़ी, राज्यपाल के इस फैसले पर पैदा हुआ विवाद
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और उद्धव ठाकरे सरकार में एक बार फिर तनातनी बढ़ गई है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और उद्धव ठाकरे सरकार में एक बार फिर तनातनी बढ़ गई है। हालांकि राज्यपाल और सरकार के बीच रिश्ते काफी दिनों से सहज नहीं हैं मगर राज्यपाल कोश्यारी की ओर से उठाए गए एक कदम ने ठाकरे सरकार की नाराजगी काफी बढ़ा दी है। दरअसल राज्यपाल ने महाराष्ट्र के कुछ जिलों का दौरा करने का फैसला किया है जिस पर उद्धव सरकार काफी नाराज बताई जा रही है।
महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री नवाब मलिक ने राज्यपाल के प्रस्तावित दौरे को लेकर राजभवन पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल कोश्यारी महाराष्ट्र में सत्ता के दो केंद्र बनाने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का कदम चुनी हुई सरकार के संवैधानिक अधिकारों में दखल देने जैसा है। उद्धव ठाकरे सरकार की ओर से महाराष्ट्र विधानपरिषद में मनोनयन के लिए भेजे गए 12 नामों की फाइल को मंजूरी न दिए जाने से राजभवन और सरकार के बीच पहले से ही टकराव चल रहा है।
सरकार से चर्चा के बिना दौरे का कार्यक्रम
जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकार और राजभवन के बीच ताजा विवाद राज्यपाल के प्रस्तावित तीन दिवसीय दौरे के कार्यक्रम को लेकर पैदा हुआ है। राज्यपाल कोश्यारी 5 से 7 अगस्त तक महाराष्ट्र के दो जिलों हिंगोली और नांदेड़ का दौरा करने वाले हैं। दोनों जिलों की इस यात्रा के दौरान राज्यपाल अल्पसंख्यक विभाग के एक हॉस्पिटल का उद्घाटन करने के साथ ही अफसरों की एक बैठक में भी हिस्सा लेंगे। इस बैठक में जिलाधिकारियों को भी बुलाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल के दौरे के संबंध में राजभवन की ओर से सरकार से कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया है। राजभवन की ओर से अल्पसंख्यक विभाग के सचिव और जिलाधिकारियों को राज्यपाल के दौरे की जानकारी दे दी गई है। इसे लेकर उद्धव सरकार काफी नाराज बताई जा रही है।
राज्यपाल के प्रस्तावित दौरे पर सीएम खफा
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल के प्रस्तावित दौरे को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और डिप्टी सीएम अजित पवार काफी खफा है। कैबिनेट की बैठक में भी राज्यपाल के प्रस्तावित दौरे पर चर्चा हुई है। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में फैसला किया गया है कि सरकार की ओर से मुख्य सचिव राज्यपाल से जाकर मुलाकात करेंगे और उन्हें सरकार की नाराजगी के बारे में अवगत कराएंगे। कैबिनेट बैठक के बाद ही वरिष्ठ मंत्री नवाब मलिक ने राज्यपाल के दौरे को लेकर उन पर बड़ा हमला बोला और सरकार के कामकाज में दखल देने का आरोप लगाया।
बाढ़ प्रभावित इलाकों का भी कर चुके हैं दौरा
राज्यपाल ने पिछले दिनों कोंकण के बाढ़ प्रभावित चिपलून और महाड का भी दौरा किया था। इस दौरे के संबंध में भी सरकार से कोई चर्चा नहीं की गई थी। हालांकि राज्यपाल के दौरे से पहले एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने कहा था कि राजनेताओं को बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाने से परहेज करना चाहिए क्योंकि इससे राहत का काम काफी प्रभावित होता है। इसके बावजूद राज्यपाल अपने फैसले पर अडिग रहे और उन्होंने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरे का कार्यक्रम पूरा किया।
राजभवन में दबी पड़ी है मनोनयन की फाइल
राज्यपाल कोश्यारी से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की नाराजगी का मुद्दा नया नहीं है। तीनों दल राज्यपाल से उस समय से ही नाराज चल रहे हैं जब उन्होंने अचानक देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिला दी थी। हालांकि फडणवीस बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा सके और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के गठन के बाद कैबिनेट की ओर से राजभवन को विधानपरिषद में 12 सदस्यों के मनोनयन की फाइल भेजी गई थी। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल तीनों दलों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की ओर से इन नामों में 4-4 नाम दिए गए थे, लेकिन राज्यपाल की ओर से अभी तक कैबिनेट के उस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई है। सरकार की ओर से इस बाबत राजभवन को कई बार याद दिलाया जा चुका है मगर राजभवन में वह फाइल दबी पड़ी हुई है। इस कारण भी सरकार और राजभवन के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है।
राज्यपाल के सुझावों की अनदेखी
राज्यपाल और सरकार के बीच तनातनी के कारण ही शिवसेना के मुखपत्र सामना में हमेशा राजभवन पर हमला किया जाता है। पिछले दिनों राज्यपाल ने ठाकरे सरकार को महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र दो दिनों से बढ़ाने की सलाह दी थी। इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव जल्द से जल्द करने की सलाह दी थी। हालांकि ठाकरे सरकार की ओर से इन दोनों ही सुझावों पर अमल नहीं किया गया।
अब हर किसी की नजर राज्यपाल के 5 अगस्त से प्रस्तावित दौरे पर लगी हुई है। सरकार की ओर से नाराजगी जताए जाने के बावजूद राज्यपाल ने अपने प्रस्तावित दौरे का कार्यक्रम रद्द नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि राज्यपाल के इस कदम से सरकार और राजभवन के बीच टकराव और बढ़ेगा।