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मराठा आरक्षण पर मुश्किल में फंसे उद्धव, वरिष्ठ मंत्रियों के साथ की राज्यपाल से मुलाकात

सुप्रीम कोर्ट की ओर से मराठा आरक्षण के प्रस्ताव को खारिज कर दिए जाने के बाद उद्धव सरकार पर दबाव लगातार बढ़ रहा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Dharmendra Singh
Published on: 11 May 2021 4:15 PM GMT (Updated on: 11 May 2021 5:18 PM GMT)
Maratha Reservation
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मराठा आरक्षण को लेकर राज्यपाल से मिले सीएम उद्धव और मंत्री (फोटो: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के कारण संकट में फंसी महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार इन दिनों महाराष्ट्र मराठा आरक्षण को लेकर भी काफी उलझन में फंसी हुई है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से मराठा आरक्षण के प्रस्ताव को खारिज कर दिए जाने के बाद उद्धव सरकार पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। उद्धव सरकार को इस बात का डर सता रहा है कि यदि मराठा आरक्षण को लेकर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो महाराष्ट्र में मराठा वोट बैंक उसके हाथ से खिसक सकता है।

इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई में राज्य सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। ठाकरे और उनके साथ वरिष्ठ मंत्रियों ने राज्यपाल से मराठा आरक्षण के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्द ही हम सभी मराठा आरक्षण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को असंवैधानिक बताया

सर्वोच्च न्यायालय ने गत 5 मई को मराठा आरक्षण के संबंध में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। अदालत के फैसले के मुताबिक, अब किसी भी नए व्यक्ति को मराठा आरक्षण के आधार पर कोई भी सरकारी नौकरी या कॉलेज में सीट नहीं दी जा सकती।

जल्द ही पीएम से भी करेंगे मुलाकात

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पूरे दलबल के साथ राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए पहुंचे थे। उनके साथ प्रतिनिधिमंडल में उप मुख्यमंत्री अजीत पवार, मराठा आरक्षण उप समिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण और गृह मंत्री दिलीप पाटिल भी शामिल थे।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने पत्रकारों से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के माध्यम से आरक्षण दिया गया है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर जल्द ही राज्य सरकार का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)
राज्यपाल केंद्र तक पहुंचाएंगे संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि मराठा आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर हम सभी का विचार एक ही है। उन्होंने कहा कि आरक्षण देने का अधिकार केंद्र को है, न कि राज्य सरकार को। हमने इस बाबत राज्यपाल से मुलाकात करके एक ज्ञापन सौंपा है और उनसे अनुरोध किया है कि राज्य सरकार का संदेश केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाए।
राज्यपाल हमारी भावनाओं से केंद्र सरकार को अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से मुलाकात में भी हम इस मुद्दे को उठाएंगे और महाराष्ट्र विधानमंडल की बैठक में भी सरकार अपना रुख स्पष्ट करेगी।

सभी दलों के समर्थन की उम्मीद

मुख्यमंत्री ने कहा कि मराठा आरक्षण का फैसला सिर्फ हमारा ही नहीं है बल्कि यह सभी लोगों का फैसला है। उन्होंने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सभी दलों के समर्थन की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को उसका वाजिब हक मिलना चाहिए। सभी दलों के लोगों को अपने मतभेद भूलकर इस बात के लिए आगे आना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने पीएम को लिखा पत्र

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है। इस पत्र में मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में हमें इस समुदाय को आरक्षण देना होगा।
इससे पहले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की उपसमिति ने भी शनिवार को अपनी बैठक में पीएम और राष्ट्रपति से मराठा आरक्षण के मुद्दे पर पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की थी। बैठक में यह भी तय किया गया है कि मराठा आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का विश्लेषण करने और 15 दिनों में इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिए एक समिति का भी गठन किया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने पर भी विचार किया जा रहा है।

गले की फांस बना मराठा आरक्षण का मुद्दा

सियासी जानकारों का कहना है कि मराठा आरक्षण का मुद्दा उद्धव सरकार के गले की फांस बन गया है। यदि उनकी सरकार मराठा आरक्षण के मुद्दे को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई तो मराठा वोट बैंक के खिसकने का डर पैदा हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के बाद सरकार उलझन में फंसी हुई है कि आखिरकार मराठा आरक्षण के मुद्दे को किस तरह सुलझाया जाए। यही कारण है कि राज्य सरकार अब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मदद की गुहार लगा रही है।



Dharmendra Singh

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