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Loudspeakers: अब 26 मस्जिदों में बगैर लाउडस्पीकर के होगी अजान, मुंबई में धर्मगुरुओं का बड़ा फैसला

Loudspeakers in Maharashtra: दक्षिण मुम्बई स्थित 26 मस्जिदों के मुस्लिम धर्मगुरुओं की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक के चलते सभी धर्मगुरुओं ने एक ऐतिहासिक फैसले पर मुहर लगाई।

Rajat Verma
Report Rajat VermaPublished By Vidushi Mishra
Published on: 5 May 2022 3:04 AM GMT (Updated on: 5 May 2022 4:17 AM GMT)
Loudspeakers: अब 26 मस्जिदों में बगैर लाउडस्पीकर के होगी अजान, मुंबई में धर्मगुरुओं का बड़ा फैसला
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Loudspeakers in Mosques: महाराष्ट्र में जारी लाउडस्पीकर विवाद के मद्देनज़र दक्षिण मुम्बई स्थित 26 मस्जिदों के मुस्लिम धर्मगुरुओं की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक के चलते सभी 26 मस्जिद के धर्मगुरुओं ने एक ऐतिहासिक फैसले पर मुहर लगाई, इस फैसले के चलते अब इन मस्जिदों में सुबह की अजान के वक़्त लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जाएगा।

आपको बता दें कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे द्वारा इस मामले के मद्देनज़र महाराष्ट्र सरकार को बीते अप्रैल माह में चेतावनी दी गई थी कि यदि मस्जिदों से लाउडस्पीकरों को हटाया नहीं जाता है तो वह मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे।

इस बैठक का आयोजन बीते दिन बुधवार देर रात दक्षिण मुम्बई के 'सुन्नी बड़ी मस्जिद' में किया गया, जहां इलाके के कुल 26 मस्जिदों के धर्मगुरुओं ने सिकरत की। मुस्लिम धर्मगुरुओं द्वारा इस बैठक के मद्देनज़र सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को ससम्मान स्वीकार किया गया।

आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायलय ने लाउडस्पीकर मामले में फैसला सुनाते हुए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसके तहत रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर उपयोग ना करने की बात कही थी। जिसके चलते अब 26 मस्जिदों ने धर्मगुरुओं ने सुबह की अजान के वक़्त बगैर लाउडस्पीकर के करने का निर्णय लिया है।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने 3 मई के बाद मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान होने पर हनुमान चालीसा का पाठ की बात कही थी, जिसके मद्देनज़र मुम्बई सहित कई इलाकों में महाराष्ट्र सरकार द्वारा भारी पुलिसबल तैनात किया गया था, जिससे कोई अनहोनी घटना ना होने पाए।

हालांकि, स्वयं राज ठाकरे ने बीते दिन इस मांग को मुस्लिम विरोधी ना बताए हुए कहा था कि मस्जिदों के अलावा मंदिरों में भी अवैध रूप से लगे लाउडस्पीकर के चलते आमजन को बेहद समस्या का सामना करना पड़ता है और यह कोई धार्मिक नहीं बल्कि एक सामाजिक मुद्दा है।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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