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Maharashtra में MVA की एकजुटता से BJP के लिए बढ़ी चुनौती, लोकसभा-विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला
MVA की पहली बैठक में अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला लिया गया है। गठबंधन में शामिल शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का यह फैसला सियासी नजरिए से अहम है।
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र (Maharashtra) में हुए बड़े सियासी बदलाव के बाद महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) ने एकजुटता कायम रखने का फैसला कर भाजपा और शिंदे गुट के लिए चुनौती बढ़ा दी है। महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का गठन होने के बाद एमवीए की पहली बैठक में अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया गया। गठबंधन में शामिल है शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का यह फैसला सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
तीनों दलों का यह फैसला दूरगामी असर डालने वाला साबित हो सकता है क्योंकि इस फैसले के बाद भाजपा और शिंदे गुट को चुनाव में कड़ी चुनौती मिलना तय है। भाजपा ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सीटों का बड़ा लक्ष्य तय कर रखा है मगर अब पार्टी को यह लक्ष्य हासिल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। वैसे तीनों दलों की बैठक के दौरान स्थानीय निकाय चुनाव एकजुट होकर लड़ने पर सहमति नहीं बन सकी।
बैठक में उद्धव ठाकरे ने भी लिया हिस्सा
महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना के बागी गुट ने भाजपा के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन को बड़ा सियासी झटका दिया था। बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे की अगुवाई में हुई इस बगावत के कारण ही उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर हो गए थे। इस सियासी घटनाक्रम के बाद उद्धव ने बागी गुट के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला करके भाजपा और शिंदे गुट की चिंताएं बढ़ा दी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे गठबंधन की इस महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लेने के लिए खुद विधानसभा भवन पहुंचे थे। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वे पहली बार विधानसभा भवन आए थे।
एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला
इस बैठक के दौरान अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन की रणनीति पर गहन मंथन किया गया। बैठक में शामिल तीनों दलों के नेताओं का मानना था कि गठबंधन में फूट से भाजपा को चुनावों में फायदा होगा। भाजपा को सियासी फायदा होने से रोकने के लिए एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया गया। बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता हाथ से जाने के बावजूद हम पूरी तरह एकजुट हैं। इस बैठक के जरिए हम एकजुटता का संदेश देने में कामयाब हुए हैं।
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि सभी दलों और विधायकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए इस बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में शामिल कांग्रेस के एक विधायक ने कहा कि यदि एमवीए में शामिल तीनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो निश्चित रूप से जीत हमारी ही होगी। उन्होंने कहा कि यह संदेश देना जरूरी है कि हम आगे भी एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे।
निकाय चुनाव पर नहीं बन सकी सहमति
स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर एमवीए की बैठक में सहमति नहीं बन सकती। निकाय चुनावों के दौरान इलाकों से मिले इनपुट के आधार पर फैसला लिया जाएगा। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव जल्द ही होने वाले हैं। विशेष रुप से बीएमसी चुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा और शिंदे गुट की निगाहें बीएमसी चुनावों पर लगी हुई हैं। भाजपा और शिंदे गुट के नेता बीएमसी में शिवसेना के वर्चस्व को खत्म करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
सियासी जानकारों का कहना है कि यदि बीएमसी चुनावों के दौरान शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने अपने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे तो भाजपा और शिंदे गुट को बड़ा फायदा मिल सकता है। सबसे बड़ा झटका शिवसेना को ही लगेगा क्योंकि बीएमसी में अभी तक उसका वर्चस्व रहा है और यह वर्चस्व आर्थिक नजरिए से भी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होता रहा है।
भाजपा की चुनौतियां बढ़ीं
भाजपा नेतृत्व ने अगले विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा टारगेट तय किया है।। एमवीए गठबंधन में शामिल तीनों दलों के एकजुट होकर चुनाव लड़ने के फैसले से भाजपा को अपना लक्ष्य हासिल करने में बड़ी चुनौती का सामना करना होगा। गठबंधन में शामिल दलों ने भाजपा की सियासी चाल को समझ लिया है और इसी लिए एकजुटता के जरिए भाजपा की चुनावी योजना को विफल करने का फैसला किया गया है।