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ठाकरे का बयान कांग्रेस पर दबाव की रणनीति, पीएम से मुलाकात के बाद महाराष्ट्र में नई सियासी अटकलें

करीब डेढ़ साल बाद मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम उद्धव ठाकरे की मुलाकात हुई।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Chitra Singh
Published on: 9 Jun 2021 9:53 AM IST
uddhav thackeray meets pm modi
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नरेंद्र मोदी-उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: करीब डेढ़ साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की मंगलवार को हुई लंबी मुलाकात के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। दोनों नेताओं की इस मुलाकात के दौरान मराठा आरक्षण (Maratha Reservation), वैक्सीनेशन (Vaccination) और तूफानों (Storms) से हुए नुकसान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई मगर बैठक के बाद ठाकरे के बयान का सियासी मतलब भी खोजा जा रहा है।

दोनों नेताओं के बीच करीब 1 घंटा 40 मिनट तक चली लंबी बैठक के संबंध में सवाल पूछे जाने पर उद्धव ने दो टूक अंदाज में कहा कि राजनीतिक रूप से हम भले ही साथ नहीं हैं मगर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि हमारा रिश्ता भी खत्म हो गया।

कुछ सियासी जानकार उद्धव के इस बयान को महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं। मजे की बात यह है कि ठाकरे एनसीपी मुखिया शरद पवार से मुलाकात करने के बाद दिल्ली पहुंचे थे। वे पिछले 15 दिनों में दो बार पवार से मुलाकात कर चुके हैं।

मोदी से मुलाकात को नया सियासी रंग

इस बीच छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और भाजपा सांसद उदयन राजे भोसले (Uday Raje Bhosale) ने पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे की मुलाकात को नया सियासी मोड़ दे दिया है। उनका कहना है कि शिवसेना एक बार फिर भाजपा से तालमेल बढ़ाना चाहती है। इसीलिए ठाकरे ने दिल्ली जाकर मोदी से मुलाकात की है।

उदयन राजे भोसले (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

दूसरी ओर अमरावती की निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा (Navneet Kaur Rana) ने कहा कि ठाकरे पीएम मोदी से मिलने का मौका ढूंढ रहे थे। इसीलिए कुछ मुद्दों को लेकर वे दिल्ली पहुंचे और प्रधानमंत्री से मुलाकात की।

शरीफ से मिलने नहीं आया जो छिपकर मिलता

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के संबंध में ठाकरे ने कहा कि इसमें गलत क्या है। मैं कोई नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था जो छिपकर मिलता। उन्होंने कहा कि अगर मैं उनसे व्यक्तिगत तौर पर मिलता हूं तो इसमें गलत क्या है। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से वैक्सीनेशन की पूरी जिम्मेदारी खुद अपने ऊपर लेने के कदम की भी तारीफ की।

उन्होंने कहा कि हम इस कदम के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं। ठाकरे ने उम्मीद जताई कि पीएम मोदी की ओर से उठाए गए इस बड़े कदम के बाद अब टीकाकरण में आ रही सारी दिक्कतें भी दूर हो जाएंगी और सबको वैक्सीन लगाने में कामयाबी मिलेगी।

उद्धव ठाकरे और नरेंद्र मोदी की मुलाकात (फोटो- सोशल मीटिंग)

पीएम से मुलाकात का सियासी मतलब

महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही केंद्र और राज्य सरकार के रिश्ते सहज नहीं रहे हैं। शिवसेना की ओर से भी समय-समय पर मोदी सरकार पर हमला किया जाता रहा है। पार्टी के मुखपत्र सामना में भी मोदी सरकार की घेरेबंदी की जाती रही है। ऐसे में लंबे समय बाद ठाकरे और पीएम मोदी की लंबी मुलाकात के सियासी मतलब भी निकाले जा रहे हैं।

ठाकरे के सामने गठबंधन की दिक्कतें

ठाकरे भी गठबंधन सरकार चलाने में तमाम सियासी दिक्कतों के बीच फंसे हुए हैं और बीच-बीच में कांग्रेस की ओर से उन पर दबाव भी बनाया जाता रहा है। कांग्रेसी नेताओं का आरोप है कि उनकी बातों को ठाकरे सरकार में ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता।

कांग्रेस (फोटो- सोशल मीडिया)

वे यह भी शिकायत करते रहे हैं कि सरकार के बड़े फैसलों में उनकी कोई पूछ नहीं होती। हालांकि अभी तक ठाकरे अपनी सियासी बाजीगरी से सरकार को बिना किसी बड़ी अड़चन के चलाने में कामयाब रहे हैं मगर महाराष्ट्र की सियासत में दबे स्वरों में अटकलें भी लगाई जा रही हैं। इसी कारण उद्धव ठाकरे ने पीएम के साथ मुलाकात करके कांग्रेस पर एक बड़ा सियासी दबाव बनाने की कोशिश की है। उन्होंने संकेतों में कांग्रेस को इशारा किया है कि शिवसेना के पास भाजपा से हाथ मिलाने का विकल्प अभी भी बरकरार है।

फडणवीस का बयान भी बड़ा संकेत

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने भी हाल में बयान दिया था कि हमने शिवसेना से रिश्ते नहीं तोड़े थे। उनका कहना था कि सत्ता की जोड़-तोड़ में मातोश्री ने ही भाजपा से दूरियां बना ली थीं। उनके इस बयान को भी शिवसेना के प्रति भाजपा के रवैये में आई नरमी का संकेत माना गया था और इसे लेकर महाराष्ट्र में सियासी अटकलें लगने लगी थीं।

हालांकि शिवसेना की ओर से खुल कर इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई मगर उद्धव ठाकरे के ताजा बयान को भाजपा के प्रति नरमी का संकेत माना जा है। मंगलवार को ठाकरे और प्रधानमंत्री की मुलाकात के संबंध में फडणवीस ने कहा कि मुझे नहीं पता कि ठाकरे की पीएम से अलग बातचीत हुई या नहीं मगर यदि दोनों में अलग से कोई बातचीत हुई है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।

Chitra Singh

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