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सहकारिता मंत्रालय में शाह की ताजपोशी से पवार सतर्क, कहा- केन्द्र नहीं दे सकता महाराष्ट्र में दखल

Sharad Pawar Statement : सहकारी संस्थाओं में केंद्र और राज्य के अधिकार को लेकर पहले भी विवाद होता रहा है। पवार ने कहा कि जब वे देश के कृषि मंत्री थे, तब भी यह मुद्दा उठा था।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shivani
Published on: 12 July 2021 8:39 AM GMT
New Ministry Controversy
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अमित शाह और शरद पवार डिजाइन फोटो

New Ministry Controversy: कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला के बाद एनसीपी के मुखिया (NCP Chief) शरद पवार (Sharad Pawar) ने भी मोदी सरकार (Modi Sarkar) के नए सहकारिता मंत्रालय (New Ministry) में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की ताजपोशी से सतर्क किया है। उनका मानना है कि भाजपा ने सोची समझी चाल के तहत यह कदम उठाया है हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की सहकारी संस्थाओं के कामकाज में दखल देने का केंद्र को कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में विधानसभा से पारित होने के बाद सहकारिता विभाग से जुड़े हुए कानून बनाए गए हैं और विधानसभा से पारित कानूनों में दखल देने का केंद्र सरकार को कोई हक नहीं है। जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में सहकारी संस्थाएं काफी संपन्न है और पवार गुट ने इन पर प्रभुत्व कायम कर रखा है। ऐसे में पवार को शाह की ताजपोशी में भाजपा की बड़ी चाल नजर आ रही है और वे सतर्क हो गए हैं।

राज्य के कानूनों में दखल का हक नहीं

एनसीपी के मुखिया ने अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि ऐसी चर्चाएं सुनी जा रही हैं कि केंद्र में बनाए गए नए सहकारिता मंत्रालय की ओर से महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन को प्रभावित करने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इन चर्चाओं में कोई दम है क्योंकि किसी भी राज्य में सहकारी कानून बनाने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की होती है। महाराष्ट्र विधानसभा में भी राज्य में सहकारिता विभाग से जुड़े कानून बनाए गए हैं। विधानसभा में पारित इन कानूनों में केंद्र सरकार किसी भी प्रकार का दखल नहीं दे सकती।

पहले भी होता रहा है विवाद
सहकारी संस्थाओं में केंद्र और राज्य के अधिकार को लेकर पहले भी विवाद होता रहा है। पवार ने कहा कि जब वे देश के कृषि मंत्री थे, तब भी यह मुद्दा उठा था। दो अलग-अलग राज्यों से जुड़ी सहकारी संस्थाओं के अधिकारी कोई समस्या होने पर केंद्र सरकार के पास जा सकते हैं।
सहकारी संस्थाओं में केंद्र व राज्यों के अधिकार को लेकर 2013 में भी मामला उठा था। उस समय गुजरात हाईकोर्ट ने 97वें संविधान संशोधन के कुछ बिंदुओं को खारिज करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार को सहकारी संस्थाओं से जुड़े नियम कानून बनाने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने इसे पूरी तरह राज्य सरकार का मामला बताया था।

सियासी दलों को नजर आ रही बड़ी चाल

दरअसल हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में केंद्र में नए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है। इस मंत्रालय की कमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपे जाने के बाद सियासी दलों को इसमें भाजपा की बड़ी चाल नजर आ रही है। भाजपा का दावा है कि सहकार से समृद्धि के सपने को साकार करने के लिए ही पीएम मोदी ने यह नया मंत्रालय बनाया है और वित्त मंत्री की ओर से बजट भाषण में भी इसका जिक्र किया गया था।

दूसरी ओर सियासी दलों ने इसे विभिन्न राज्यों की सहकारी संस्थाओं में केंद्र का दखल बढ़ाने की चाल माना है। केरल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने इस बाबत पार्टी हाईकमान को चिट्ठी भी लिखी है।

चेन्निथला ने पार्टी हाईकमान को सतर्क किया

चेन्निथला ने पार्टी हाईकमान को पत्र लिखकर भाजपा और संघ की छिपी सियासत से सतर्क किया है। उनका कहना है कि नए मंत्रालय में शाह को बिठाकर भाजपा केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों की सहकारी संस्थाओं में भाजपा का प्रभाव बढ़ाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने इस मामले में सतर्कता बरतने और संसद व विधानसभाओं में आवाज उठाने की सलाह दी है।
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान चेन्निथला के पत्र पर गौर कर रहा है क्योंकि उनकी चिंता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सबसे करीबी और भरोसेमंद साथी अमित शाह को मंत्रालय में बिठाकर जरूर कोई बड़ा खेल करने की तैयारी की है। पार्टी के वरिष्ठ नेता की ओर से इस बात को लेकर चिंता जताए जाने के बाद नए मंत्रालय के गठन से जुड़े राजनीतिक पहलुओं का गहराई से अध्ययन किया जा रहा है।

यह काम पूरा हो जाने पर कांग्रेस इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अन्य विपक्षी दलों से भी बातचीत करेगी। कांग्रेस इस मुद्दे पर विपक्षी दलों से जल्द ही चर्चा करना चाहती है ताकि मानसून सत्र के दौरान संसद में नए मंत्रालय के सियासी मकसद को उजागर किया जा सके।

सहकारी संस्थाओं पर कब्जे की साजिश

चेन्निथला का कहना है कि वित्तीय नजरिए से कई राज्यों के सहकारी संस्थाएं काफी मजबूत है और अब भाजपा की ओर से इन संस्थाओं पर कब्जे की साजिश रची जा रही है। उन्होंने इस बाबत केरल और महाराष्ट्र का उदाहरण भी दिया है। महाराष्ट्र की सहकारी संस्थाओं पर एनसीपी की मजबूत पकड़ है जबकि केरल में कांग्रेस और माकपा ने सहकारी संस्थाओं पर मजबूत पकड़ बना रखी है। चेन्निथला ने कांग्रेस को भाजपा के छिपे एजेंडे से आगाह किया है। चेन्निथला का कहना है कि पार्टी हाईकमान को तत्काल इस नए मंत्रालय के गठन के पीछे छिपी सियासत को उजागर करना चाहिए। अगर पार्टी ने इसे लेकर हमला नहीं किया तो भाजपा अपनी साजिश में कामयाब हो जाएगी।
Shivani

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