कोरोना के बीच एक और बड़ा संकट, महाबलेश्वर में इस खतरनाक वायरस की पुष्टि

Nipah Virus: महाबलेश्वर की गुफाओं में एक घातक वायरस की पुष्टि हुई है। जिसने स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

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Newstrack NetworkPublished By Shreya
Published on: 23 Jun 2021 1:36 AM GMT (Updated on: 23 Jun 2021 1:42 AM GMT)
कोरोना के बीच एक और बड़ा संकट, महाबलेश्वर में इस खतरनाक वायरस की पुष्टि
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वायरस की प्रतीकात्मक फोटो (साभार- सोशल मीडिया)

Nipah Virus: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Corona Virus Second Wave) का कहर कम होने के बीच वैज्ञानिक लगातार तीसरी लहर के जल्द दस्तक देने की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसे में सरकार और प्रशासन भी तीसरी लहर से निपटने को लेकर अपनी तैयारियों में जुट गया है। लेकिन इस बीच अब एक और वायरस ने चिंता बढ़ा दी है।

दरअसल, महाराष्ट्र के सतारा (Satara) जिले के महाबलेश्वर (Mahabaleshwar) की गुफाओं में एक घातक वायरस (Virus) मिला है, जिसका नाम निपाह वायरस (Nipah Virus) है। गुफाओं के अंदर रहने वाले चमगादड़ों (Bats) में इस वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। इस बात ने स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ा दी है, जबकि वहां के स्थानीय कलेक्टर कार्यालय और वन विभाग को इसकी कोई ही नहीं है।

चमगादड़ (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

NIV की रिपोर्ट में खुलासा

महाराष्ट्र के मिनी कश्मीर के नाम से मशहूर महाबलेश्वर के जगलों की एक गुफा में रहने वाले चमगादड़ों के गले से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के वैज्ञानिकों ने स्वैब लिए थे। अब इन सैंपलों की जांच के बाद चमगादड़ों में जानलेवा निपाह वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। ये सैंपल मार्च 2020 में लिए गए थे।

वहीं, वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व कर रही डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि इससे पहले तक महाराष्ट्र के किसी भी चमगादड़ में इस वायरस की पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अगर ये वायरस इंसानों में फैलता है तो जानलेवा हो सकती है। दरअसल, अब तक इस वायरस का कोई इलाज नहीं है। ऐसे में इस वायरस से मृत्यु का खतरा करीब 65 से 100 फीसदी तक का है।

वन विभाग और जिला कलेक्टर इस बात से बेखबर

चमगादड़ में इस वायरस के मिलने के बाद से पचगनी क्षेत्र के महाबलेश्वर के स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ी हुई है। दरअसल, इस क्षेत्र के लोगों की आजीविका पर्यटन पर आधारित है। उधर दूसरी ओर वन विभाग और जिला कलेक्टर कार्यालय को इस बात की भनक तक नहीं कि वैज्ञानिकों ने चमगादड़ों के स्वैब के नमूने लिए हैं।

सतारा जिला वन विभाग का कहना है कि वैज्ञानिकों द्वारा हमें इस बात की जानकारी नहीं दी गई है। अब तक हमें कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। जबकि सतारा जिला कलेक्टर के मुताबिक, फिलहाल महाबलेश्वर-पचगनी पर्यटन स्थल बंद रखा गया है। लेकिन कोरोना की लहर कम होने के बाद इसे जल्द ही खोला जाएगा। NIV की रिपोर्ट में निपाह वायरस की पुष्टि हुई है, लेकिन इससे लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है।

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

लोगों को घबराने की जरूरत नहीं

दूसरी ओर चमगादड़ों पर शोध कर रहे डॉ. महेश गायकवाड़ का कहना है कि इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। यह वायरस इंडोनेशिया, मलेशिया और उत्तर-पूर्व में पाया जाता है। अब तक महाराष्ट्र के चमगादड़ों में नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट को पढ़ने के बाद ही इस पर चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह वायरस खासतौर पर मलेशिया में पाया जाता है। इंसानों में इसके फैलने का खतरा तब होता है जब चमगादड़ द्वारा खाए हुए फल को कोई इंसान खा ले। इसलिए वहां जाने से बचना चाहिए, जहां पर जंगलों में चमगादड़ ज्यादा हों।

इसलिए खतरनाक है यह वायरस

बता दें कि निपाह वायरस आमतौर पर फल खाने वाले चमगादड़ों (फ्रूट बैट्स) में पाया जाता है। चिंताजनक बात ये है कि इसका अब तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। यह वायरस इसलिए और खतरनाक हो जाता है क्योंकि इसका संक्रामक समय (Incubation Period) काफी लंबा होता है। कई बार 45 दिन भी। ऐसे में इंसान को इस वायरस का पता चलता है, तब तक वह अनजाने में कई लोगों को संक्रमित कर चुका होता है।

निपाह वायरस के लक्षण (Nipah Virus Symptoms)

सांस लेने में तकलीफ

खांसी आना

थकान और दर्द महसूस होना

दिमागी बुखार जैसे लक्षणों का होना

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