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Dussehra Rally: दशहरा रैली को लेकर बड़ी सियासी जंग, उद्धव और शिंदे गुट की ओर से आज शक्ति प्रदर्शन की तैयारी
Dussehra Rally: दोनों गुटों के बीच पहले शिवाजी पार्क में ही रैली के आयोजन को लेकर लंबी जंग चली थी। दोनों गुटों की ओर से बीएमसी में इस बाबत दावेदारी की गई थी।
Dussehra Rally: मुंबई में दशहरा के दिन शिवसेना की रैली कोई नई बात नहीं है मगर इस साल दशहरा पर उद्धव गुट और शिंदे गुट की ओर से अलग-अलग रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। दरअसल शिवसेना में बगावत के बाद दशहरा रैली के नाम पर उद्धव और शिंदे गुट की ओर से आज शक्ति प्रदर्शन की तैयारी है। बगावत के बाद से ही दोनों गुटों के बीच वर्चस्व की जंग चल रही है और दोनों गुट आज अलग-अलग रैलियों में अपनी ताकत दिखाकर वर्चस्व की जंग में खुद को मजबूत साबित करना चाहते हैं।
दोनों गुटों के बीच पहले शिवाजी पार्क में ही रैली के आयोजन को लेकर लंबी जंग चली थी। दोनों गुटों की ओर से बीएमसी में इस बाबत दावेदारी की गई थी। बाद में मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच गया था। हाईकोर्ट की इजाजत के बाद उद्धव गुट की ओर से शिवाजी पार्क में रैली का आयोजन किया जा रहा है जबकि शिंदे गुट बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में रैली करके अपनी ताकत दिखाएगा। रैली में हिस्सा लेने के लिए दोनों गुटों के हजारों कार्यकर्ता मुंबई पहुंच चुके हैं।
शिवसेना के लिए क्यों अहम है रैली
दशहरा रैली का आयोजन शिवसेना के लिए काफी अहम माना जाता है क्योंकि इस आयोजन के साथ पार्टी का भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव रहा है। शिवाजी पार्क से भी ठाकरे परिवार का भावनात्मक लगाव रहा है क्योंकि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना के बाद 1966 में पहली बार शिवाजी पार्क में ही दशहरा रैली का आयोजन किया था। बाल ठाकरे के पिता भी दशहरा के मौके पर उत्सव का आयोजन किया करते थे और इसी कारण बाल ठाकरे ने भी दशहरा रैली की शुरुआत की थी।
बाल ठाकरे ने 1966 के बाद हर साल इसी पार्क में रैली को संबोधित किया। उनके निधन के बाद उद्धव ठाकरे अभी तक इस परंपरा को निभाते रहे हैं। महाराष्ट्र में पहली बार भाजपा शिवसेना की सरकार बनने पर इसी मैदान पर शपथ ग्रहण समारोह भी आयोजित किया गया था। 2010 में दशहरा रैली के दौरान ही उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे आदित्य ठाकरे को यहीं सियासी मैदान में उतारने की बड़ी घोषणा की थी।
जानकारों का कहना है कि आज उद्धव अपने दूसरे बेटे तेजस ठाकरे को राजनीति के अखाड़े में उतारने का बड़ा ऐलान कर सकते हैं। शिवसेना इस रैली में अपनी ताकत दिखाती रही है और इस बार शिंदे गुट की बगावत के कारण यह रैली उद्धव ठाकरे के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन गई है।
शिंदे गुट की जोरदार तैयारियां
दूसरी ओर शिंदे गुट की ओर से भी बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में होने वाली रैली में भीड़ जुटाने के लिए जोरदार तैयारियां की गई हैं। शिंदे गुट की ओर से अपने लोगों को रैली स्थल तक लाने के लिए 1800 सरकारी बसें बुक की गई हैं। जानकारों का कहना है कि इस पर करीब दस करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके अलावा 3000 निजी बसों की भी बुकिंग की गई है। ट्रेनों के जरिए भी लोगों को रैली स्थल तक लाने की व्यवस्था की गई है।
दरअसल रैली में भीड़ जुटाने के लिए दोनों गुटों के बीच जबर्दस्त प्रतिद्वंद्विता दिख रही है। मीडिया की निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि शक्ति प्रदर्शन में कौन गुट भारी पड़ता है। शिवसेना के करीब 60 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब पार्टी दो गुटों में विभाजित होने के बाद अलग-अलग रैलियों का आयोजन कर रही है।
उद्धव गुट ने किया बड़ा दावा
उद्धव गुट की ओर से भी रैली में भीड़ जुटाने के लिए जोरदार तैयारियां की गई हैं। शिवसेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उद्धव गुट ने करीब 1400 प्राइवेट बसों की बुकिंग की है। सैकड़ों कारों और अन्य वाहनों की भी व्यवस्था की गई है। मुंबई में पार्टी पदाधिकारियों को अपने खर्चे पर कार्यकर्ताओं को रैली स्थल तक लाने का निर्देश दिया गया है। मुंबई से पार्टी के लोकसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता अरविंद सावंत का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी पार्टी की शिवाजी पार्क में होने वाली रैली ऐतिहासिक होगी।
उन्होंने कहा कि पार्टी में बगावत करने वालों के प्रति कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त गुस्सा है और रैली में निश्चित रूप से इसकी छाप दिखाई पड़ेगी। उन्होंने दावा किया कि शिवाजी पार्क की रैली में पूरे महाराष्ट्र से शिवसैनिकों की भारी भीड़ उमड़ेगी।
सियासी जानकारों का मानना है कि दोनों गुटों की ओर से अपनी-अपनी रैलियों को लेकर जबर्दस्त तैयारियां की गई हैं और अब यह देखने वाली बात होगी कि कौन सा गुट भारी पड़ता है। दोनों गुटों के बीच चल रही वर्चस्व की जंग के कारण आज का दिन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है और सबकी निगाहें इन रैलियों पर लगी हुई हैं।