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Maharashtra politics: शिंदे और उद्धव दोनों ने खेला हिंदुत्व कार्ड, दशहरा रैली से दोनों गुटों में तेज हुई वर्चस्व की जंग

Maharashtra politics: दशहरा रैली पर शिवसेना की ओर से शिवाजी पार्क में बड़ी रैली का आयोजन किया गया जबकि शिंदे गुट की ओर से बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में आयोजित की गई ।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 6 Oct 2022 8:23 AM IST
Both Shinde and Uddhav played the Hindutva card, Dussehra rally intensified the battle for supremacy between the two factions
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पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे: Photo- Social Media

New Delhi: शिवसेना (Shiv Sena) के इतिहास में पहली बार दशहरा के मौके पर हुई दो रैलियों में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के जमकर तीर चले। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (former CM Uddhav Thackeray) दोनों ने एक-दूसरे को गद्दार बताने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। शिवसेना पर प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश में दोनों नेताओं ने हिंदुत्व का कार्ड चलते हुए कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की। उद्धव ने शिंदे को कटप्पा बताते हुए कहा कि शिवसैनिक कटप्पा को कभी माफ नहीं करने वाले।

दूसरी ओर शिंदे ने खुद को बाला साहेब ठाकरे के विचारों का वारिस बताते हुए कहा कि हमने गद्दारी नहीं बल्कि गदर किया है क्योंकि 2019 के चुनाव के बाद महाराष्ट्र की जनता और बाल ठाकरे के विचारों के साथ गद्दारी की गई।

दशहरा रैली के जरिए दोनों गुटों की ओर से शक्ति प्रदर्शन किया गया। शिवसेना की ओर से शिवाजी पार्क में बड़ी रैली का आयोजन किया गया जबकि शिंदे गुट की ओर से बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में आयोजित की गई रैली में भी भारी भीड़ जुटी। इससे पहले शिवाजी पार्क में रैली आयोजित करने के मुद्दे पर भी दोनों गुटों के बीच लंबी जंग हुई थी। आखिरकार बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर इस पार्क का आवंटन उद्धव गुट को किया गया था।

Photo- Social Media

शिंदे ने खुद को बताया बाल ठाकरे का वारिस

सियासी जानकारों का मानना है कि दोनों रैलियों में हिंदुत्व का कार्ड चलकर शिवसेना पर प्रभुत्व की जंग में खुद को मजबूत साबित करने की कोशिश की गई। मुख्यमंत्री शिंदे ने अपने भाषण की शुरुआत ही गर्व से कहो हम हिंदू हैं,के नारे के साथ की। उन्होंने कहा कि बीकेसी में जुटा यह भारी हुजूम इस बात को साबित करता है कि बाल ठाकरे के विचारों के असली वारिस कहां हैं।

उन्होंने कहा कि बाल ठाकरे अपने रिमोट से सरकारों को चलाया करते थे जबकि आपने अपना रिमोट दूसरे दलों को सौंप दिया। आपने शिवसेना को उन दलों के साथ बांध दिया जिन्हें बाला साहेब हरामखोर कहा करते थे। इसलिए शिवसेना और शिवसैनिकों के सम्मान के लिए यह कदम उठाना जरूरी हो गया था।

2019 में की गई थी गद्दारी

उन्होंने कहा कि हम ही असली शिवसेना है क्योंकि हम बाला साहेब के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें गद्दार कहा जा रहा है और हम भी मानते हैं कि गद्दारी हुई है मगर यह गद्दारी 2019 में की गई। यह गद्दारी बाला साहेब के विचारों के साथ ही हिंदुत्व के साथ भी की गई।

बाल ठाकरे और नरेंद्र मोदी की तस्वीरें लगाकर महाराष्ट्र के लोगों से वोट मांगे गए। भाजपा-शिवसेना गठबंधन की जीत के बाद महाराष्ट्र के जनादेश के साथ गद्दारी की गई। उन्होंने मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेनन की फांसी की सजा का विरोध करने वाले को मंत्री बनाने का भी बड़ा आरोप लगाया।

ठाकरे ने शाह के दावे को झूठा बताया

दूसरी ओर शिवाजी पार्क की रैली में उद्धव ठाकरे ने भी हिंदुत्व का कांड चलते हुए शिवसैनिकों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की। उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैंने हिंदुत्व को कभी नहीं छोड़ा। मुझे महाविकास अघाड़ी गठबंधन इसलिए बनाना पड़ा क्योंकि भाजपा ने पीठ में छुरा भोंकने का काम किया था।

उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे को झूठा बताया कि शिवसेना और भाजपा के बीच ढाई-ढाई साल के सीएम की बात नहीं तय हुई थी। उन्होंने सरकार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर मैंने शांति का रास्ता छोड़ा तो आपकी कानून व्यवस्था धरी की धरी रह जाएगी।

भाजपा को छोड़ा, हिंदुत्व को नहीं

उन्होंने हिंदुत्व का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मैंने भाजपा को छोड़ा है, हिंदुत्व का रास्ता नहीं। शिवसेना को तोड़ने वाले लोग मुझे हिंदुत्व का पाठ न पढ़ाएं। उन्होंने सवाल किया कि पाकिस्तान में जिन्ना की कब्र पर घुटने टेकने वाले और नवाज शरीफ के घर जाकर खाना खाने वाले लोग मुझे हिंदुत्व सिखाएंगे? उन्होंने शिंदे पर तीखा हमला करते हुए उन्हें देशद्रोही तक बताया।

उन्होंने कहा कि इस बार का रावण 50 खोके वाला है। उन्होंने कहा कि कटप्पा को महाराष्ट्र की जनता माफ नहीं करने वाली है। शिवसैनिकों की गद्दी पर एक शिवसैनिक का भी अधिकार रहने वाला है। उन्होंने कहा कि मैं हिंदू हूं और मेरा साथ देने वालों को किसी से डरने या किसी के सामने झुकने की जरूरत नहीं है।

Photo- Social Media

बाल ठाकरे के बेटे और बहू शिंदे के साथ

दशहरा के मौके पर हुई दोनों रैलियों में शिंदे और उद्धव की ओर से ज्यादा भीड़ झुकने का दावा किया गया। दोनों नेताओं ने हिंदुत्व का कार्ड चलते हुए शिवसेना पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाने की कोशिश की। इसी कारण दोनों नेताओं ने कई बार खुद को बड़ा हिंदुत्ववादी साबित करने की कोशिश की। शिंदे के मंच पर बाला साहेब ठाकरे के पुत्र जयदेव ठाकरे और बहू स्मिता ठाकरे के पहुंचने के कारण उत्साह का माहौल दिखा। बाल ठाकरे के बड़े बेटे बिंदुमाधव ठाकरे के बेटे निहार ठाकरे भी शिंदे के मंच पर मौजूद थे।

दोनों गुटों में तेज हुई वर्चस्व की जंग

सियासी जानकारों का मानना है कि दशहरा रैली के दौरान तीखे आरोप-प्रत्यारोप के बाद अब शिवसेना पर वर्चस्व की जंग और तेज हो गई है। दोनों गुटों की ओर से असली शिवसेना होने का दावा किया जा रहा है और अब यह मामला चुनाव आयोग के पास है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले दिनों चुनाव आयोग को इस मामले में फैसला लेने की अनुमति दे दी थी। आयोग की तरफ से जल्द ही इस मामले में फैसला लेने का संकेत दिया गया है। आयोग के फैसला लेने तक दोनों गुटों की ओर से तीखे आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहने की संभावना है।



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Shashi kant gautam

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