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Maharashtra Politics: राज ठाकरे का उद्धव पर बड़ा हमला, शिवसेना प्रमुख को पार्टी में टूट के लिए बताया जिम्मेदार
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में शिवसेना में हुई बगावत के बाद पहली बार राज ठाकरे ने उद्धव को लेकर खुलकर बातचीत की है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के मुखिया राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने शिवसेना में हुई बगावत के लिए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि हाल में शिवसेना में हुई बड़ी टूट का श्रेय भाजपा को नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह टूट उद्धव ठाकरे की वजह से ही हुई है। उन्होंने कहा कि अगर बाल ठाकरे (Bal Thackeray) होते तो शिवसेना में कभी ऐसी टूट नहीं हो सकती थी। सच्चाई तो यह है कि उद्धव के काम करने के ढंग से शिवसेना में असंतोष पैदा हुआ और पार्टी में इतनी बड़ी बगावत हो गई।
महाराष्ट्र में शिवसेना में हुई बगावत के बाद पहली बार राज ठाकरे ने उद्धव को लेकर खुलकर बातचीत की है। उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि भाजपा नेताओं की रणनीति की वजह से शिवसेना को तोड़ने में कामयाबी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र भाजपा के नेता देवेंद्र फडणवीस मुझसे मुलाकात करने के लिए आए थे। इस मुलाकात के दौरान मैंने उनसे कहा था कि आपको शिवसेना में हुई बड़ी टूट का श्रेय नहीं लेना चाहिए। यह आप लोगों की वजह से नहीं हुआ है। शिवसेना में बगावत का श्रेय अमित शाह या किसी अन्य भाजपा नेता तो भी नहीं देना चाहिए। शिवसेना में हुई इस टूट के लिए सिर्फ उद्धव ठाकरे जिम्मेदार हैं और उन्हीं को इस टूट का श्रेय दिया जाना चाहिए।
संजय राउत को जिम्मेदार बताना गलत
उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि उद्धव के करीबी संजय राउत के बयानों के कारण शिवसेना में टूट हुई। यह सच्चाई है कि संजय राउत प्रतिदिन कुछ ऐसा बयान जारी करते हैं जो लोगों को परेशान करने वाला होता है मगर उनके बयानों की वजह से विधायकों में नाराजगी नहीं फैली। सच्चाई तो यह है कि उद्धव ठाकरे के काम करने के ढंग से विधायक नाराज थे और शिवसेना में इसी कारण इतनी बड़ी बगावत हुई।
बाल ठाकरे होते तो बगावत न होती
राज ठाकरे ने कहा कि बाला साहब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी और यदि वे होते तो शिवसेना में कभी बगावत नहीं हो सकती थी। बालासाहेब ने शिवसेना को कभी पार्टी के रूप में नहीं देखा। वे इसे अपनी विचारधारा को बढ़ाने वाला माध्यम मानते थे। उनके निधन के बाद उद्धव को पार्टी की कमान मिली मगर वे बालासाहेब ठाकरे की तरह पार्टी के लोगों को जोड़ कर नहीं रख सके।
बाल ठाकरे ने बहुत कम खर्च में शिवसेना के मुखपत्र सामना की शुरुआत की थी। उनके जीवनकाल में यह मुखपत्र बहुत कम लोगों के पास जाता था मगर फिर भी वह सामना काफी लोकप्रिय था और लोग बड़े चाव से इसे पढ़ा करते थे। आज के समय में ऐसी स्थिति नहीं है।
उस समय क्यों खामोश रहे उद्धव
मनसे नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर भी शिवसेना नेताओं के बयान में कोई सच्चाई नहीं है। मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना नेताओं का भाजपा पर दोषारोपण करना उचित नहीं है। विधानसभा चुनाव के समय सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि भाजपा और शिवसेना गठबंधन के चुनाव जीतने पर देवेंद्र फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री होंगे।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपनी सभाओं में भाजपा का ही मुख्यमंत्री होने की बात स्पष्ट तौर पर कही थी। मजे की बात यह है कि इन सभाओं में उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे मगर उन्होंने कभी भाजपा के शीर्ष नेताओं के इन बयानों पर कोई आपत्ति नहीं जताई। यदि शिवसेना नेताओं के मन में मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई बात थी तो उन्हें उसी समय इस पर आपत्ति जतानी चाहिए थी। शिवसेना नेता उस समय तो खामोश बने रहे मगर चुनाव नतीजे की घोषणा के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद को लेकर फिजूल का विवाद खड़ा कर दिया।