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Loudspeaker controversy: महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने बढ़ाई उद्धव की मुसीबत, भाजपा से बढ़ीं मनसे नेता की नज़दीकियां
Loudspeaker controversy: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता राज ठाकरे की मस्जिदों से लाउडस्पीकर (loudspeaker) उतारने की मुहिम ने राज्य की उद्धव सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
New Delhi: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (Maharashtra Navnirman Sena) (मनसे) के नेता राज ठाकरे (Raj Thakrey) की मस्जिदों से लाउडस्पीकर (loudspeaker) उतारने की मुहिम ने राज्य की उद्धव सरकार (Uddhav Sarkar) की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। राज ठाकरे इस मुद्दे पर खुलकर बैटिंग करने में लगे हैं और राज्य की उद्धव सरकार को कानून व्यवस्था (Law and order) की स्थिति बिगड़ने का डर सता रहा है। पुणे में आज राज ठाकरे ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की और वे औरंगाबाद (Aurangabad) में भी कल रैली करने वाले हैं। जानकारों का मानना है कि लड़ाई अब साफ तौर पर उद्धव ठाकरे बनाम राज ठाकरे (Uddhav Thackeray Vs Raj Thackeray) में तब्दील होती दिख रही है।
दूसरी और भाजपा नेताओं की राज ठाकरे की नज़दीकियां लगातार बढ़ती दिख रही हैं। हाल के दिनों में राज ठाकरे को कई बार भाजपा के बड़े नेताओं के साथ देखा गया है और माना जा रहा है कि शिवसेना से गठजोड़ टूटने के बाद अब भाजपा हर राज ठाकरे के जरिए नई सियासी चाल चलने की कोशिश में जुटी हुई है। हालांकि अभी दोनों पक्षों की ओर से गठजोड़ की बात खुलकर नहीं कही गई है मगर माना जा रहा है कि बीएमसी चुनावों के दौरान राज ठाकरे और भाजपा के बीच गठजोड़ हो सकता है।
सरकार को ताकत दिखाने में जुटे राज ठाकरे
मनसे नेता राज ठाकरे ने 3 मई से पहले राज्य की मस्जिदों से लाउडस्पीकरों को उतारने के लिए राज्य की उद्धव सरकार को अल्टीमेटम दे रखा है। उन्होंने साफ तौर पर चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो मनसे कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। अपनी मुहिम को कामयाब बनाने के लिए राज ठाकरे राज्य के विभिन्न इलाकों का दौरा भी कर रहे हैं। वे 1 मई को औरंगाबाद में अपनी मुहिम के समर्थन में रैली करने वाले हैं।
इससे पहले उन्होंने आज पुणे पहुंचकर अपनी मुहिम के समर्थन में लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया। पुणे में शनिवार को मनसे की ओर से किए गए आयोजन में करीब 150 पंडित जुटे जिन्होंने राज ठाकरे को मुहिम की कामयाबी का आशीर्वाद दिया।
राज ठाकरे को जवाब देने के लिए महाविकास अघाड़ी गठबंधन (Mahavikas Aghadi Alliance) की ओर से पुणे में ही सभा का आयोजन किया गया है। औरंगाबाद रैली को लेकर पुलिस की ओर से तमाम शर्तें लगाई गई है मगर माना जा रहा है कि राज ठाकरे इन शर्तों को तोड़कर लोगों की सहानुभूति जीतने की कोशिश करेंगे।
भाजपा नेताओं से लगातार बढ़ रहा संपर्क
दूसरी ओर शिवसेना से गठबंधन टूटने के बाद राज ठाकरे से भाजपा की नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। राज ठाकरे की ओर से मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने की मुहिम के बाद वे भाजपा के और करीब आ गए हैं। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Former BJP President and Union Minister Nitin Gadkari) के साथ उनकी मुलाकात हो चुकी है और भाजपा के अन्य नेता भी उनकी मुहिम को कामयाब बनाने में सहयोग देते दिख रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि आखिरकार राज्य सरकार की ओर से राज को रैली की अनुमति दे दी गई है। महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि राज्य के बाहर के लोग भी इस रैली का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि रैली के दौरान राज ठाकरे किन मुद्दों को उठाते हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ हाल के दिनों में राज ठाकरे की कई बार मुलाकात हो चुकी है। हालांकि मुलाकात के बाद भी पाटिल ने भाजपा और मनसे के गठबंधन के संबंध में कुछ भी खुलकर नहीं कहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस (Senior BJP leader Devendra FadnavisSenior BJP leader Devendra Fadnavis के साथ भी राज ठाकरे की बैठक हो चुकी है। सियासी जानकारों का मानना है कि शिवसेना से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को नए साझीदार की तलाश है और अगर पार्टी का राज ठाकरे के साथ गठजोड़ होता है तो इसमें किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए। माना जा रहा है कि इसकी शुरुआत बीएमसी चुनावों से हो सकती है।
पवार ने की उद्धव से मुलाकात
वैसे राज ठाकरे के अल्टीमेटम की आखिरी तारीख नजदीक आने के साथ महाविकास अघाड़ी गठबंधन में बेचैनी दिख रही है। शनिवार को सुबह एनसीपी के मुखिया शरद पवार (NCP chief Sharad Pawar) अचानक मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए उनके आवास पर पहुंचे। जानकारों का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच राज ठाकरे की मुहिम और राणा दंपति को लेकर चर्चा हुई है।
शिवसेना के एक नेता ने कहा कि दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच राज ठाकरे की चेतावनी के मुद्दे पर चर्चा हुई है क्योंकि इससे मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका पैदा हो गई है। जानकारों के मुताबिक इस मामले में पुलिस कड़ा रुख अपना सकती है मगर राज ठाकरे इसका सियासी लाभ पाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।