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Rajya Sabha Election: शिवसेना को जीत दिलाने के लिए पवार कुनबा सक्रिय, अखिलेश से बात करके सपा को साधा
Rajya Sabha Election: राज्यसभा चुनाव में मुश्किल मुकाबले में फंसी शिवसेना को जीत दिलाने के लिए NCP के मुखिया शरद पवार के कुनबे ने कमान संभाल ली है।
Rajya Sabha Election 2022: महाराष्ट्र के राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Chunav) में भारतीय जनता पार्टी और सत्तारूढ़ शिवसेना के बीच जबर्दस्त (BJP vs Shiv Sena) खींचतान चल रही है। शुक्रवार को होने वाले मतदान की तारीख (Rajya Sabha Election 2022 Date) नजदीक आने के साथ दोनों खेमों ने जबर्दस्त लॉबिंग शुरू कर दी है। मुश्किल मुकाबले में फंसी शिवसेना (Shiv Sena) को जीत दिलाने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के मुखिया शरद पवार (Sharad Pawar) के कुनबे ने कमान संभाल ली है।
इस बार के राज्यसभा चुनाव में शिवसेना का दूसरा उम्मीदवार कड़े मुकाबले में फंस गया है और भाजपा की ओर से तीनों उम्मीदवारों की जीत के दावे किए जा रहे हैं। ऐसे में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, उनके भतीजे व राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार (Ajit Pawar) और उनकी बेटी सुप्रिया सुले (Supriya Sule) ने दूसरे दलों से संपर्क साध कर शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने का प्रयास शुरू कर दिया है। पवार का कुनबा समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को साधने में कामयाब हो गया है। एनसीपी (NCP) की ओर से एआईएमआईएम (AIMIM) से भी संपर्क साधा गया है।
भाजपा और शिवसेना के बीच कड़ा मुकाबला
दरअसल, महाराष्ट्र के राज्यसभा चुनाव में पांच सीटों की तस्वीर तो साफ़ है मगर छठी सीट के लिए शिवसेना और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला (BJP vs Shiv Sena) हो रहा है। राज्य में राज्यसभा की 6 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं। शिवसेना (Shiv Sena) की एक सीट पर जीत सुनिश्चित है मगर पार्टी ने दो प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। उधर, भाजपा (BJP) की दो सीटों पर जीत का है मगर पार्टी ने तीन प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारकर शिवसेना को फंसा दिया है।
राज्यसभा का चुनाव शिवसेना और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। भाजपा शिवसेना को पटखनी देकर राज्य की सत्ता हाथ से निकल जाने का बदला लेना चाहती है। दूसरी ओर शिवसेना भाजपा को हराकर यह साबित करना चाहती है कि राज्य में महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) पूरी मजबूती के साथ खड़ा है और भाजपा के मंसूबे सफल नहीं होने वाले हैं। यही कारण है कि राज्य में जबर्दस्त सियासी जोड़-तोड़ का दौर चल रहा है।
सपा को साधने में मिली कामयाबी
राज्यसभा चुनाव में कांटे का मुकाबला होने के कारण एक-एक विधायक का वोट काफी महत्वपूर्ण हो गया है। राज्य विधानसभा में समाजवादी पार्टी के दो विधायक हैं और पवार कुनबे ने सपा को साधने में कामयाबी हासिल कर ली है। एनसीपी नेताओं ने इसके लिए बुधवार को सपा नेता अबू आजमी (Abu Azmi) से संपर्क साधा था। आजमी ने पहले सत्तारूढ़ गठबंधन को वोट न देने की बात कही थी। उनका कहना था कि गठबंधन की ओर से सपा से किए गए वादे पूरे नहीं किए गए।
सपा का यह रुख शिवसेना के लिए चिंता का विषय बन गया था। सपा को मनाने में राज्य के डिप्टी सीएम अजीत पवार ने बड़ी भूमिका निभाई है। एनसीपी नेताओं ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से भी फोन पर बातचीत करके सपा का समर्थन पाने में कामयाबी हासिल की है। सूत्रों के मुताबिक सपा मुखिया ने सत्तारूढ़ गठबंधन को मदद देने का आश्वासन दिया है।
दूसरे विधायकों से भी संपर्क साधा
सपा नेता आजमी (Azmi) मुख्यमंत्री के आवास पर आयोजित बैठक में भी हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। इस बैठक के बाद उन्होंने सपा की ओर से सत्तारूढ़ गठबंधन को मदद पहुंचाने की पुष्टि की। एनसीपी नेताओं ने बहुजन विकास अघाड़ी के नेता हितेंद्र ठाकुर (Hitendra Thakur) से भी बातचीत करके शिवसेना के पक्ष में मतदान के लिए उन्हें राजी करने का प्रयास किया है। हालांकि ठाकुर ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
एनसीपी नेताओं ने निर्दलीय विधायक किशोर जोर्गेवार (Kishor Jorgewar) को भी शिवसेना के समर्थन के लिए तैयार कर लिया है। हालांकि जोर्गेवार का कहना है कि राज्य के दूसरे निर्दलीय विधायक सत्तारूढ़ गठबंधन से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं की मंजूरी में कमीशनखोरी से विधायकों में नाराजगी है। इसी कारण सत्तारूढ़ गठबंधन को अन्य निर्दलीय विधायकों का वोट मिलना मुश्किल है।
ओवैसी का भी समर्थन पाने की कोशिश
एनसीपी नेताओं की ओर से असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) के नेताओं से भी संपर्क साधा गया है। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने नांदेड़ में कहा था कि यदि सत्तारूढ़ गठबंधन को हमारी पार्टी के विधायकों के समर्थन की जरूरत है तो उन्हें हमसे संपर्क करना चाहिए। हम तभी इस संबंध में आखिरी फैसला ले सकते हैं।
राज्य विधानसभा में एआईएमआईएम के दो विधायक हैं। हालांकि एनसीपी नेताओं के संपर्क साधने के बाद भी अभी एआईएमआईएम का रुख पूरी तरह साफ नहीं हो सका है। एआईएमआईएम के सामने सबसे बड़ी दुविधा यह है कि एक ओर शिवसेना है तो दूसरी ओर भाजपा। वैसे माना जा रहा है कि पार्टी का समर्थन आखिरकार सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ ही जाएगा।
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