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Shivsena Dispute: सुप्रीम कोर्ट से उद्धव गुट को नहीं मिली 'तत्काल' राहत, कोर्ट ने कहा- कल आइए, शिंदे गुट चौकन्ना

Shivsena Dispute- उद्धव गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से इस मामले पर शीघ्र सुनवाई के लिए अपील की थी, जिसे कोर्ट ने इनकार कर दिया है

Hariom Dwivedi
Written By Hariom Dwivedi
Published on: 20 Feb 2023 7:18 AM GMT (Updated on: 21 Feb 2023 7:35 AM GMT)
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उद्धव ठाकरे गुट ने आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है

Shivsena Dispute- शिवसेना के नाम चुनाव चिन्ह का मामला महाराष्ट्र का सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। इस पर पूरे देश की नजर है। निर्वाचन आयोग ने शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिह्न महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को सौंपा है। उद्धव ठाकरे गुट ने आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उधर, शिंदे गुट ने पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया हुआ है। उद्धव ठाकरे पक्ष की मांग है कि तीर-धनुष चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे गुट को ना दिया जाए।

उद्धव गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से इस मामले पर शीघ्र सुनवाई के लिए अपील की थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया धनंजय चंद्रचूड ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि अर्जेंट मेंशनिंग की एक प्रक्रिया है। नियम सबके लिए बराबर हैं। आप प्रक्रिया के तहत कल मंगलवार को आइये। दरअसल, उद्धव गुट की यह याचिका मेंशनिंग लिस्ट में नहीं थी, इसलिए कोर्ट ने पहले मेंशनिंग के लिए कहा।

शिंदे गुट ने पहले ही दाखिल की कैविएट

शिंदे गुट को पहले ही अंदेशा था कि उद्धव गुट निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएगा। इसलिए उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले के बाद ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया था। इसमें उन्होंने मांग की है कि बिना उनका पक्ष सुने कोई भी एकतरफा आदेश पारित न किया जाये।

कैविएट क्या है?

जब कोई वादी अपने मामले को लेकर कोर्ट में जाता है तो संबंधित प्रतिवादी को कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया जाता है। अगर पक्षकार हाजिर नहीं होता है तो कोर्ट ऐसे मामले में एकपक्षीय फैसला सुना देता है। कैविएट याचिका ऐसी ही परिस्थिति से निपटने के लिए एक कानूनी माध्यम है जो सभी के लिए नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत को चरितार्थ करता है जिससे सभी पक्षकारों को सुना जा सके। व्यवहार प्रक्रिया संहिता की धारा 148-अ के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत किया जाता है, जिसे आपत्ति-सूचना या कैविएट कहा जाता है। कैविएट एक विवेकपूर्ण याचिका है।

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