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Raj Thackeray: राज ठाकरे पर उद्धव सरकार ने कसा शिकंजा, जारी हुआ गैर–जमानती वारंट
Raj Thackeray Aurangabad Public Meeting: लाउडस्पीकर को लेकर महाराष्ट्र सरकार को अल्टीमेटम देने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे पर अब शिकंजा कसता जा रहा है।
Raj Thackeray News: लाउडस्पीकर (loudspeaker controversy) को लेकर महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को अल्टीमेटम देने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे (Maharashtra Navnirman Sena) पर अब शिकंजा कसता जा रहा है। राज्य सरकार राणा दंपति (Rana couple) की तर्ज पर राज ठाकरे को भी कानूनी दावपेंचों में उलझाने की कवायद तेज कर दी है। रविवार एक मई को औरंगाबाद (Aurangabad) में मनसे प्रमुख की हुई विशाल जनसभा में नियमों के उल्लंघन (Violation of rules in public meeting) के आरोप में राज और इसके आयोजकों के खिलाफ शहर के सिटी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ है।
मनसे प्रमुख पर रैली के दौरान 16 में से 12 नियमों को तोड़ने का आरोप है। जिसमें भड़काऊ भाषण देने और तय सीमा से अधिक संख्या में लोगों की भीड़ जमा करने का आरोप शामिल है। औरंगाबाद पुलिस का कहना है कि कार्यक्रम के लिए केवल 15 हजार लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति दी गई थी, मगर एक लाख की क्षमता वाला सांस्कृतिक मैदान खचाखच भरा हुआ था। राज ठाकरे के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (A)(भड़काऊ भाषण देने) (inflammatory speeches) का मामला दर्ज हुआ है। इस धारा के तहत तीन साल की जेल औऱ जुर्माने का प्रावधान है।
राज के खिलाफ जारी हुआ गैर –जमानती वारंट
महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए सिरदर्द बने राज ठाकरे को घेरने की तैयारी शुरू कर दी गई है। करीब 14 साल पुराने एक केस में उनके खिलाफ सांगली जिले की शिराला कोर्ट से एक गैर–जमानती वारंट जारी किया गया है। दरअसल यह वारंट बीते माह ही जारी किया गया था। इसकी जानकारी मंगलवार को सार्वजनिक की गई है। मुंबई पुलिस ने इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की मगर राज की औऱंगाबाद रैली के बाद पुलिस अब इस पर सक्रिय हुई है।
इस मामले में जारी हुआ वारंट
दरअसल, साल 2008 में राज ठाकरे ने रेलवे भर्ती परीक्षा में मराठी लोगों को प्राथमिकता देने की मांग को लेकर आंदोलन चलाया था, कल्याण अदालत के आदेश के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। मनसे प्रमुख की गिरफ्तारी के बाद शिराला तालुका के शेडगेवाड़ी गांव में पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध किया और दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए दवाब डाला गया। इससे इलाके में तनाव फैल गया था। इसके बाद शिराला थाने में राज समेत 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। राज ठाकरे 2008 से ही इस मामले में एकबार भी अदालत में पेश नहीं हुए। जिसके बाद पुलिस के आग्रह पर कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर – जमानती वारंट जारी किया।