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Manipur Election 2022: बेरोजगारी, उग्रवाद और राजनीतिक अस्थिरता हैं बड़े मुद्दे

Manipur Election 2022 : मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है। इस बार क्या है मणिपुर में चुनावी मुद्दा आइए जानते हैं।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Ragini Sinha
Published on: 10 Jan 2022 11:26 AM IST (Updated on: 15 Jan 2022 6:39 PM IST)
Manipur Election 2022
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Manipur Election 2022: बेरोजगारी, उग्रवाद और राजनीतिक अस्थिरता हैं बड़े मुद्दे (Social Media)


Manipur Election 2022 : मणिपुर (Manipur Election 2022) में 27 फरवरी और 3 मार्च को दो चरणों में विधानसभा चुनाव (Vidhansabha chunav) होंगे। पिछले पांच वर्षों में राज्य में काफी राजनीतिक उथलपुथल रही है, कई विधायकों ने पाला बदला, कई ने इस्तीफा दिया और कुछ तो सदस्यता के अयोग्य घोषित कर दिये। इस बार के चुनाव में राजनीतिक अस्थिरता (political instability) और उग्रवाद (Ugravad) के अलावा बेरोजगारी (Berojgari) बहुत बड़ा मुद्दा होगा।

थौबल में हुए बम विस्फोट

चूनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब सुरक्षा एजेंसियों और विद्रोही संगठनों (Vidrohi sangathan)के बीच झड़पों में कई बार राज्य की शांति भंग हो चुकी है। एक बड़ी घटना बीते 13 नवंबर को हुई थी जब घात लगाकर किए गए हमले में असम राइफल्स (Assam Rifles) के अधिकारी कर्नल विप्लव त्रिपाठी (Colonel Viplav Tripathi), उनकी पत्नी और उनके पांच साल के बेटे समेत सात लोग मारे गए थे। फिर इसी 5 जनवरी को थौबल (Thoubal) जिले में हुए बम विस्फोट (Bomb blasts) में असम राइफल्स (Assam Rifles) का एक जवान शहीद हो गया था और एक अन्य घायल हो गया था।

28 सीटें जीतकर कांग्रेस बड़ी पार्टी बनी

पिछले विधानसभा चुनाव में 60 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। फिर भी, 21 सीटें जीतने वाली भाजपा ने नेशनल पीपुल्स पार्टी के चार विधायकों, नागा पीपुल्स फ्रंट (Naga People Front) के चार विधायकों, तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) और लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) के एक-एक विधायक और एक निर्दलीय के समर्थन से सरकार बना ली। ये बहुत बड़ा राजनीतिक उलटफेर था।

कांग्रेस के बुरे दिन

2017 में सरकार बनाने से चूक गई कांग्रेस के बुरे दिन शुरू हो गए। पार्टी के कई विधायकों ने या तो भाजपा का दामन थाम लिया या विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। पिछले साल अगस्त में एक बड़ा बदलाव तब हुआ जब राज्य इकाई के प्रमुख गोविंददास कोंथौजम द्वारा भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद कांग्रेस के पांच विधायक भी भाजपा में चले गए। नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के पास सिर्फ 14 विधायक रह गए। जबकि विधानसभा में भाजपा की ताकत 26 हो गई। यही नहीं, चुनाव में घोषणा के एक दिन बाद ही 9 जनवरी को कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधायक चाल्टनलियन एमो भाजपा में शामिल हो गए। यानी पाला बदलने का सिलसिला जारी है।

भाजपा को भरोसा

अब इस बार के चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन भाजपा ने 40 से अधिक सीटों का लक्ष्य निर्धारित किया है। पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष ए शारदा देवी ने पिछले महीने कहा था कि कोरोना महामारी सहित कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद भाजपा सरकार ने विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास और समझ बनाने के अलावा कई विकास परियोजनाओं को लागू किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही राज्य में लगभग 1,858 करोड़ रुपये की 13 परियोजनाओं का उद्घाटन किया और लगभग 2,957 करोड़ रुपये की नौ अन्य परियोजनाओं की आधारशिला रखी। पार्टी के चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत करने के लिए मोदी 4 जनवरी को मणिपुर में ही थे।

वैसे, कांग्रेस ने भी अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कितनी सीटों को स्थानीय सहयोगियों के लिए छोड़ सकती है। ये भी तय नहीं है कि इसके चुनाव अभियान का नेतृत्व कौन करेगा।

क्या हैं मुद्दे

मणिपुर के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, राज्य के प्रमुख मुद्दों में बेरोजगारी, राजनीतिक स्थिरता, आंतरिक सुरक्षा और मैतेई लोगों के लिए अनुसूचित जनजाति की स्थिति का मुद्दा है। मैतेई लोगों की संख्या राज्य की आबादी की 57 फीसदी है। इन सभी मुद्दों में सबसे बड़ा बेरोजगारी का है। पूरे नार्थ ईस्ट में नागालैंड के बाद मणिपुर में बेरोजगारी की बुरी स्थिति है। कोरोना महामारी के चलते ये संकट और भी विकट हो गया है।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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