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'चला हुआ कारतूस' है 84 के दंगों का मामला उठाना
जानकारों का मानना है कि शिअद बरगाड़ी कांड ( तीन साल पहले श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी गई थी) से नुकसान हो सकता है। वहीं कांग्रेस को भी विधानसभा चुनाव के दौरान किए वादों को पूरा न करने का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि पंजाब 13 सीटों में से पांच सीटें कांग्रेस को गंवानी पड़ सकती है।
अमृतसर: जैसे-जैसे लोक सभा चुनाव की तिथियां नजदीक आती जा रही हैं वेसे-वैसे जनता के नुमाइंदे कहे जाने वाले जनप्रतिनिधियों के शब्दों की मर्यादा बिगड़ने लगती है। यहां तक चुनावी सीजन में गड़े मुर्दें उखाड़े जाते हैं। ताजा मसला 1984 में हुए सिख दंगों पर दिया वह बयान है, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ट नेता सैन पित्रोदा कहते हैं 'जो हुआ सो हुआ'।
सैम पित्रोदा के लापरवाही वाले दो शब्दों के इस बयान को जहां भाजपा अपना चुनावी ब्रह्मास्त्र बना कर कांग्रेस के खिलाफ पांजब और हिमाचल में कांग्रेस खिलाफ इस्तेमाल करना चाह रही है। उसका कोई खास असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। उल्लेखनीय है कि सैम की बयान के बाद अमृतसर सहित देश के विभिन्न हिस्सों में सिख संगठनों का कांग्रेस का पुतला फूंक प्रदर्शन भी किया था। ज्ञात हो कि पंजाब में 19 मई को वोटिंग है। और यहां पर सिख वोटर्स ज्यादा है। ऐसे में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा इस मुद्दे को गर्माए रखना चाहित है।
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यदि पंजाब की बात करें तो यहां सिखों दो संगठन हैं। एक कर्म ख्याली और दूसर नरमपंथी। जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा। हर चुनाओं में 84 के जख्मों को कुरेदा जाता है। हलांकि यह मामला अब चले हुए कारतूस की तरह हो हुचा है। जिस उम्मीद के साथ अकाली भाजपा इस मुद्दे को उठा रही है उसका खास लाभ होनने वाला नहीं है।
हां एक दो प्रतिशत का असर जरूर पड़ सकता है। अब युवा वर्ग को रोजी-रोजगार चाहिए। वहीं गर्म ख्याली संगठन कांग्रेस के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। पित्रोदा के बयान पर सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था एसजीपीसी के अध्यक्ष गोविंद सिंह लोगोंवाल और अकाल तख्त के जत्थेदार भी कड़े शब्दों में निंदा कर चुके हैं।
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होशियारपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच से दंगा पीडि़त जगदीश कौर ने सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस को सिखों की हत्यारी जमात बताते हुए लोगों से वोट न करने की अपील की। जगदीश कौर की अपली का इतना असर जरूर पड़ा है कि पठानकोट सहित पंजाब में अन्य जगहों पर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को 84 के दंगापीडि़तों के विरोध का सामना करना पड़ा।
जानकारों का मानना है कि शिअद बरगाड़ी कांड ( तीन साल पहले श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी गई थी) से नुकसान हो सकता है। वहीं कांग्रेस को भी विधानसभा चुनाव के दौरान किए वादों को पूरा न करने का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि पंजाब 13 सीटों में से पांच सीटें कांग्रेस को गंवानी पड़ सकती है।