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पैसा ट्रांसफर होने की जानकारी के बाद  भी बिल्डरों को छोड़े रहा प्राधिकरण

नोएडाःआर्थिक अपराध शाखा की कार्यवाही ने प्राधिकरण को कटघरे में खड़ा कर दिया है। शहर के 36 हजार बायर्स का पैसा बिल्डरों ने अलग-अलग परियोजनाओं में डायवर्ट किया है। ऐसी 14 परियोजना से संबंधित बिल्डर हैं। जिनको प्राधिकरण ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसमें से कुछ बिल्डरों ने प्राधिकरण में अपना जवाब भी दिया। इस गड़बड़ी के साथ ही 37 और परियोजनाओं के अडिट की बात सामने आई थी।

राम केवी
Published on: 2 Dec 2018 1:58 PM GMT
पैसा ट्रांसफर होने की जानकारी के बाद  भी बिल्डरों को छोड़े रहा प्राधिकरण
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-आर्थिक अपराध शाखा की कार्रवाई ने प्राधिकरण को कटघरे में किया खड़ा

-14 परियोजना से संबंधित बिल्डर के वित्तीय अडिट में मिली थी गड़बड़ी

नोएडाः आर्थिक अपराध शाखा की कार्यवाही ने प्राधिकरण को कटघरे में खड़ा कर दिया है। शहर के 36 हजार बायर्स का पैसा बिल्डरों ने अलग-अलग परियोजनाओं में डायवर्ट किया है। ऐसी 14 परियोजना से संबंधित बिल्डर हैं। जिनको प्राधिकरण ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसमें से कुछ बिल्डरों ने प्राधिकरण में अपना जवाब भी दिया। इस गड़बड़ी के साथ ही 37 और परियोजनाओं के अडिट की बात सामने आई थी।

गौरतलब यह है कि अब तक एक भी परियोजना से संबंधित बिल्डर के खिलाफ प्राधिकरण ने एक्शन नहीं लिया। यही वजह है कि बायर्स अब प्राधिकरण पर नहीं बल्कि बाहरी माध्यम से अपना हक लेने का प्रयास कर रहे हैं। जिसका नतीजा हाल के कुछ महीनों में देखने को मिल रहा है। आम्रपाली, यूनीटेक से लेकर थ्री-सी के निदेशकों पर इसकी गाज गिर रही है।

2008 से 2010 के बीच शहर में रियल स्टेट सेक्टर अपने चरम पर था। प्राधिकरण ने कुल भूमि का 10 प्रतिशत लेकर बिल्डरों को जमीन आवंटित की। शहर को औद्योगिक नीति से रियल स्टेट नीति पर चलाया गया। हजारों की संख्या में बायर्स ने लाखों करोड़ों रुपए बिल्डर परियोजना में लगा दिए।

अधिकांश बिल्डरों ने 2014-2015 में घर देने का वायदा किया। बिल्डरों के हाथ भरते गए बायर्स खाली होता चला गया। गड़बड़ी सामने आने व सत्ता परिवर्तन के बाद बायर्स सड़क पर उतरे। प्राधिकरण पर वित्तीय अडिट का दबाव बना। लिहाजा आडिट कराया गया।

पहले चरण में अडिट के आधार पर 14 परियोजना से संबंधित बिल्डरों के खाते में गड़बड़ झाला मिला। प्राधिकरण ने इन सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। इसमें से कुछ बिल्डरों ने जवाब दिया। ऐसे में प्राधिकरण ने 37 और परियोजना का अडिट करने के निर्देश दिए। लेकिन कार्यवाही नहीं की गई।

थ्री सी ही नहीं कई बिल्डरों ने जवाब में पैसे ट्रांसफर करने की भरी थी हामी

प्राधिकरण द्वारा एक नोटिस थ्रीसी बिल्डर को भी भेजा गया था। जिसमे थ्री सी बिल्डर ने तीन परियोजना के लिए फंडिंग का इस्तेमाल कही और होने की बात मानी थी। जवाब में यह भी कहा गया कि वह पैसे का इंतजाम कर इन परियोजना को पूरा कर बायर्स को कब्जा देंगे।

इसमें सेक्टर-100 स्थित लोट्स बुलवर्ड, सेक्टर-168 स्थित लोट्स जिंग और सेक्टर-110 स्थित लोटस पनाश शामिल हैं। यही हाल लोट्स-300 का भी रहा। यहा पैसा डायवर्ट किया गया। लेकिन किसी परियोजना में नहीं बल्कि ऐसी कंपनियों में जिनका कंस्ट्रक्शन से कोई वास्ता तक नहीं थी।

सवाल यह है कि जब प्राधिकरण के पास पैसा डायवर्ट करने की जानकारी लिखित में थी। तो अब तक बिल्डर के खिलाफ एक्शन क्यो नहीं लिया गया। जबकि बायर्स ने दिसंबर में लिखित में उन्हें पूरी जानकारी दी थी। सिर्फ थ्री सी ही नहीं बल्कि लाजिक्स समूह जिन्होंने ब्लॉसम जेस्ट, ब्लॉसम ग्रीन्स में पैसा डायवर्ट करने की बात कहीं इसके अलावा ओमेक्स बिल्डर, गार्डेनिया एम्स डिवेलपर्स ने पैसा डायवर्ट करने की बात कबूल की थी।

बाहरी एजेंसिया सक्षम बैकफुट पर प्राधिकरण

बायर्स एसोसिएशन ने बताया कि प्राधिकरण के साथ हुई प्रत्येक बैठक में सिर्फ यही मुद्दा उठाया गया। जिसमें स्पष्ट कहा गया कि बिल्डर द्वारा उनका पैसा डायवर्ट किया जा रहा है। लेकिन प्राधिकरण ने एक्शन लेने की बजाए बिल्डरों को नोटिस जारी कर सिर्फ जवाब मांगा। तमाम आश्वासन के बाद बायर्स को हक मिलता नजर नहीं आने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट व आर्थिक अपराध शाखा व रेरा में अपनी शिकायत पंजीकृत की। नजीता यह हुआ कि एक्शन तो हुआ लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि बिल्डर के पास न तो पैसा था और ना ही निर्माण कार्य पूरा करने की समर्थता।

37 परियोजना के अाडिट की रिपोर्ट का इंतजार

बायर्स ने बताया कि 14 परियोजना के अाडिट रिपोर्ट में अनिमितता के बाद प्राधिकरण ने 37 परियोजना के अाडिट की बात कही थी। इनका अाडिट रिपोर्ट को अब तक न तो सार्वजनिक किया गया और ना ही बायर्स को इसके बारे में जानकारी दी गई। इन परियोजनाओं से जुड़े करीब 36 हजार बायर्स सड़क की धूल फांक रहे हैं।

आॅडिट रिपोर्ट में इन प्रॉजेक्ट में सामने आया था फंड ट्रांसफर का मामला

-लॉजिक्स सिटी डिवेलपर्स प्रा.लि. , ब्लॉसम जेस्ट, सेक्टर-143

-यूनिटेक लिमिटेड, यूनिहोम्स, सेक्टर-117

-रेड फोर्ट जहांगीर प्रॉपर्टीज, लोटस बुलेवार्ड, सेक्टर-100

-थ्री सी प्रॉपर्टीज, लोटस जिंग, सेक्टर-168

-ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज, लोटस पनास, सेक्टर-110

-गार्डेनिया एम्स डिवेलपर्स, गार्डेनिया ग्लोरी, सेक्टर-46

-यूनिटेक, एक्सप्रेस सिटी व गोल्फ सिटी, सेक्टर-96, 97, 98

-लॉजिक्स इंफ्राटेक ब्लॉसम ग्रीन्स, सेक्टर-143

-ओमेक्स बिल्ड होम, ओमेक्स स्पा, ओमेक्स हेरिटेज, ग्रैंड कॉर्ट्स, ग्रैंड बुड्स, सेक्टर-93बी

-पेब्बलेस प्रॉलीज, हियर्टबीट सिटी, सेक्टर-107

-यूनिटेक लि. सेक्टर-144

राम केवी

राम केवी

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