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बहुत रही बाबुल घर दुल्हन, चल तोरे पी ने बुलाई

raghvendra
Published on: 17 Nov 2017 11:30 AM GMT
बहुत रही बाबुल घर दुल्हन, चल तोरे पी ने बुलाई
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बहुत रही बाबुल घर दुल्हन

अमीर खुसरो

बहुत रही बाबुल घर दुल्हन,

चल तोरे पी ने बुलाई।

बहुत खेल खेली सखियन से,

अन्त करी लरिकाई।

बिदा करन को कुटुम्ब सब आए,

सगरे लोग लुगाई।

चार कहार मिल डोलिया उठाई,

संग परोहत और भाई।

चले ही बनेगी होत कहां है,

नैनन नीर बहाई।

अन्त बिदा हो चलि है दुल्हिन,

काहू कि कछु न बने आई।

मौज-खुसी सब देखत रह गए,

मात पिता और भाई।

मोरी कौन संग लगन धराई,

धन-धन तेरि है खुदाई।

बिन मांगे मेरी मंगनी जो कीन्ही,

नेह की मिसरी खिलाई।

एक के नाम कर दीनी सजनी,

पर घर की जो ठहराई।

गुन नहीं एक औगुन बहुतेरे,

कैसे नौशा रिझाई।

खुसरो चले ससुरारी सजनी,

संग कोई नहीं आई।

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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