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बदलता रहा अवध का मिजाज, सोलह में से सात सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

raghvendra
Published on: 26 April 2019 12:56 PM IST
बदलता रहा अवध का मिजाज, सोलह में से सात सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
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धनंजय सिंह

लखनऊ: यूपी की राजनीति में अवध का मिजाज हमेशा बदलता रहा है। पिछले कई सालों से इस क्षेत्र के मतदाताओं ने कभी एक दल पर अपना भरोसा नहीं जताया है। यहां के मतदाताओं ने कभी कांग्रेस, कभी भाजपा, कभी सपा व बसपा और कभी वाम दल को भी मौका देने से गुरेज नहीं किया। यही कारण है कि इस बार भी अवध के मिजाज का ऊंट किस करवट बैठेगा, अभी तस्वीर साफ नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अवध की 16 लोकसभा सीटों में से रायबरेली को छोडक़र शेष 15 सीटों पर विजय हासिल की थी।

इस बार के चुनावी परिदृश्य पर नजर डालें तो अवध की सात लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के मजबूत स्थिति में होने के कारण त्रिकोणीय मुकाबले के आसार दिख रहे हैं। इन सात सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा। अवध में कांग्रेस की तरफ से फैजाबाद में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा.निर्मल खत्री, धौरहरा से पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और मोहनलालगंज से पूर्व मंत्री डा. आर.के.चौधरी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वहीं उन्नाव से अन्नू टंडन, बहराइच से सावित्री बाई फुले और बहराइच से पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा के लिए चुनौती बने हुए हैं।

फैजाबाद

अयोध्या संसदीय सीट पर गांधी परिवार के करीबी और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. निर्मल खत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। क्षेत्र में जमीनी पकड़ और मिलनसार व्यक्तित्व के चलते डा. निर्मल खत्री दो बार यहां सांसद रह चुके हैं लेकिन इस बार समीकरण उनके पक्ष में नजर नहीं आ रहा है। सपा के आनन्द सेन यादव सपा-बसपा वोटर और अपने पिता स्व.मित्रसेन के व्यक्तित्व की बदौलत मैदान मारने की फिराक में हैं। इस सीट पर भाजपा सांसद लल्लू सिंह भी पूरा जोर लगाए हुए हैं। इस सीट पर डा.निर्मल खत्री, लल्लू सिंह और सपा बसपा गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी पूर्व मंत्री आनन्द सेन के बीच मुकाबले के आसार दिख रहे हैं।

मोहनलालगंज

पूर्व मंत्री आर.के.चौधरी के कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बाद प्रत्याशी बनाए जाने से मोहनलालगंज में कांग्रेस लड़ाई में आ गयी है। यहां पर भाजपा की तरफ से वर्तमान सांसद कौशल किशोर, सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से सीएल वर्मा और कांग्रेस से आर.के.चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां भी त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है।

उन्नाव

उन्नाव साहित्यकारों की धरती रही है। यहां भी सपा, कांग्रेस और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा सांसद सच्चिद्दानंद हरि साक्षी महाराज के मुकाबले में कांग्रेस की पूर्व सांसद अन्नू टंडन और गठबंधन की तरफ से अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना महराज मैदान में हैं। साक्षी महाराज को 2014 में 5 लाख 18 हजार 834 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर यहां से अरुण शंकर शुक्ला रहे, जिन्हें 2 लाख 8 हजार 661 मतों के साथ शिकस्त का सामना करना पड़ा। उस समय बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) में रहे ब्रजेश पाठक को 2 लाख 176 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार अन्नू टंडन को 1 लाख 97 हजार 98 वोटों के साथ हार का सामना करना पड़ा।

धौरहरा

धौरहरा लोकसभा 2008 के परसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। यह लोकसभा क्षेत्र शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी और सीतापुर के क्षेत्रों को मिलाकर बनाई गई है। धौरहरा से 2009 के लोकसभा चुनाव में पहले सांसद कांग्रेस के जितिन प्रसाद चुने गये थे। वे कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के पुत्र हैं। उससे पहले जितिन प्रसाद शाहजहांपुर से सांसद चुने गए थे। धौरहरा महोत्सव यहां का पारंपरिक आयोजन है। धौरहरा लोकसभा सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के चुनाव लडऩे के कारण भाजपा के सामने सीट बचाने की चुनौती है। 2014 में मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी रेखा वर्मा ने जितिन प्रसाद को हराया था। इस बार भी जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा ने रेखा वर्मा को दुबारा प्रत्याशी बनाया है। भाजपा प्रत्याशी को इस बार भितरघात का भी खतरा है। वहीं गठबंधन के प्रत्याशी अरशद सिद्दीकी सपा-बसपा के वोटों की बदौलत मजबूत हैं।

बाराबंकी

बाराबंकी सुरक्षित सीट से मौजूदा सांसद प्रियंका रावत का टिकट काटकर भाजपा ने जैदपुर विधानसभा से विधायक उपेन्द्र रावत को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। वहीं गठबंधन प्रत्याशी के रूप में सपा के राम सागर रावत मैदान में हैं। यहां से बाराबंकी के पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया चुनाव लड़ रहे हैं। पीएल पुनिया की जमीनी पकड़ व मुस्लिमों में पैठ के चलते मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं। ऐसे में जहां भाजपा के सामने बाराबंकी सीट को बचाने की चुनौती है वहीं पर कांग्रेस वापसी की आस में है। 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से पीएल पुनिया कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रियंका सिंह रावत ने कांग्रेस उम्मीदवार पीएल पुनिया को 2 लाख 11 हजार 878 मतों से हराया था। 2014 में बसपा तीसरे व सपा चौथे स्थान पर थी। पिछली बार की लोकसभा प्रत्याशी रही राजराजी रावत भाजपा में शामिल हो गयी हैं। इसलिए भाजपा का पलड़ा भारी लग रहा है।

लखीमपुर खीरी

खीरी जिले की अगर आबादी को देखें तो यहां करीब 20 फीसदी मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच मुकाबला हुआ था। भाजपा के अजय कुमार मिश्र को यहां करीब 37 फीसदी वोट हासिल हुए थे, जबकि बसपा प्रत्याशी 27 फीसदी वोट मिले थे। इस सीट पर कांग्रेस के जफर अली नकवी तीसरे और समाजवादी पार्टी चौथे स्थान पर थी। इस बार भी भाजपा के अजय मिश्र, कांग्रेस के जफर अली नकवी और सपा की डा. पूर्वी वर्मा के बीच मुकाबला है।

बहराइच

बहराइच की जनता इस बार वर्तमान सांसद सावित्री बाई फुले का राजनीतिक भविष्य तय करेगी। 2014 में भाजपा ने सावित्री बाई फुले को टिकट देकर सांसद बनवाया। 2018 आते-आते वह बागी हो गयीं और 2019 में वह कांग्रेस में शामिल हो गयीं। इस बार वह कांग्रेस के टिकट पर बहराइच से चुनाव लड़ रही हैं। वहीं भाजपा ने विधायक अक्षयवरलाल गौड़ और गठबंधन ने राम शिरोमणि वर्मा को उम्मीदवार बनाया है। 2014 में भाजपा का मुकाबला सपा से था। इस बार सावित्री बाई फुले के कांग्रेस पार्टी की तरफ से चुनाव लडऩे के कारण कांग्रेस के लड़ाई में रहने के आसार हैं।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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