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बलिया जीपीएफ घोटाला: हाईकोर्ट ने दिए CBI जाँच के आदेश

Rishi
Published on: 8 Aug 2017 1:37 PM GMT
बलिया जीपीएफ घोटाला: हाईकोर्ट ने दिए CBI जाँच के आदेश
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इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया में जीपीएफ घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को संबंधित दस्तावेज सीबीआई को उपलब्ध कराने का आदेश दिया है, और सीबीआई को अपनी जांच तीन माह में पूरी करने का निर्देश दिया है। याचिका को कृत कार्यवाही की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 31 अगस्त को पेश करने को कहा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति कृष्ण सिंह की खण्डपीठ ने बलिया के भीम सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। मालूम हो कि वर्ष 1994-95 में वार्षिक बजट 31 मार्च को लैप्स होने से बचाने के लिए सिटी मजिस्ट्रेट ने साढ़े तीन करोड़ रूपये अध्यापकों के जीपीएफ में जमा करा दिया और उसी फण्ड से डेढ़ करोड़ रूपये निकालकर अध्यापकों का वेतन बांट दिया गया। बलिया में बीएसए ने 104 अध्यापकों की बिना पद स्वीकृत कराये अवैध रूप से नियुक्ति कर ली थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया भविष्य निधि घोटाले के दोषियों पर कार्यवाही से बचाने के अधिकारियों के हथकंडे पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि तीन करोड़ 53 लाख का गबन कर लिया गया। जांच व आडिट रिपोर्ट के बावजूद सरकार हाईपावर कमेटी गठित कर कार्यवाही करने से बच रही है।

कोर्ट ने मुख्य सचिव को कार्यवाही का एक मौका देते हुए 8 अगस्त तक हलफनामा मांगा था, कि क्यों न घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। कोर्ट ने कहा कि दोषियों का पता लगने के बाद भी सरकार उन पर कार्यवाई नहीं करना चाहती। ऐसा कर सरकार फर्जी नियुक्त शिक्षकों को भुगतान करने वाले अधिकारियों को रिटायर होने का मौका दे रही है। तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक, लेखाधिकारी, सिटी मजिस्ट्रेट पर 1994-95 में जीपीएफ घोटाले का आरोप है। विजिलेंस जांच में दोषी भी पाए गए हैं।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने बलिया के भीम सिंह की जनहित याचिका पर दिया है। मालूम हो कि जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया ने सैकड़ों अध्यापकों की बिना स्वीकृति पद के नियुक्त की। 1994-95 में बजट लैप्स होने से बचाने के लिए तीन करोड़ 53 लाख रूपये अध्यापकों के भविष्यनिधि खाते में जमा करा दिये और एक करोड़ 8 लाख रूपये निकालकर फर्जी नियुक्त अध्यापकों का वेतन दे दिया गया। इसकी प्राथमिकी दर्ज कर विजिलेंस जांच की गयी।

मार्च 2016 में दाखिल रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अपर शिक्षा निदेशक ने बारह करोड़ के घपले की बात की। कोर्ट ने सरकार को कार्यवाही का मौका दिया। एक तो दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही होनी है। दूसरे नुकसान की वसूली की जानी है। 2011 में कोर्ट ने कार्यवाही रिपोर्ट प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा से मांगी थी।

कार्यवाही न होने पर कोर्ट ने मुख्य सचिव से हलफनामा नहीं मांगा तो बताया गया कि 28 जुलाई 17 को हाईलेबल कमेटी गठित कर दी गयी है। दोषी एक अधिकारी सचिवालय में विशेष सचिव है। लगता है सरकार कार्यवाही नहीं कर दोषियों को बचाना चाहती है। अपर महाधिवक्ता ने नयी सरकार को मौका देने की मांग की। इस पर कोर्ट ने मुख्य सचिव को एक हफ्ते में कार्यवाही रिपोर्ट देने को कहा है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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