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अमा जाने दो : तुम मुझे अठारह दो, मैं तुम्हें उन्नीस दूंगा...

raghvendra
Published on: 29 Dec 2017 5:55 PM IST
अमा जाने दो : तुम मुझे अठारह दो, मैं तुम्हें उन्नीस दूंगा...
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नवलकांत सिन्हा

लग गए चार सौ चालीस वोल्ट कहने से तेरे... जी हाँ, मेहरबान, कद्रदान हुआ तो ये यूपी बॉर्डर पर लेकिन करंट उतरा दिल्ली से लेकर लखनऊ तक, अठारह की आस लगाए भाजपाइयों को जोर का झटका जरूर लगा होगा। कन्फ्यूज हो गए कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से फिरकी ली या ओके टेस्टेड की मुहर लगाई। हुआ यूं कि अटलजी के जन्मदिन पर यानी कि मालवीयजी की जयन्ती पर मतलब कि क्रिसमस के दिन प्रधानमंत्री ने दिल्ली मेट्रो की मेजेंटा लाइन का उद्घाटन किया।

उद्घाटन क्या किया, समझ लीजिये कि ट्वेंटी-ट्वेंटी का मैच खेल डाला। जिस नोएडा की पिच के बारे में कहा जाता है कि वहां खेलनेवाला सीएम बोल्ड हो जाता है, वहां ही पीएम ने सीएम को मैच जिता दिया। बस यूं समझिये कि मोदीजी ने उठा-उठा के छक्के-चअउवे मारे और रन जुड़वा दिए योगी के खाते में। तारीफों के पुल बाँध दिए। कह डाला- सीएम ने अंधविश्वास को तोड़ा। कुर्सी जाने के डर से कोई मुख्यमंत्री नोएडा नहीं आता था लेकिन योगी आये। दिल से बधाई. वेशभूषा पे न जाओ. मॉडर्न सोच का मुख्यमंत्री... और न जाने क्या-क्या।

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कसम से यूपी के कई ‘प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों’ की चीखें निकल गयीं होंगी। मतलब अगर मोदीजी उतर गए अंधविश्वास को झूठा साबित करने में तो योगी की ईनिंग कम से कम बाइस तक तो फिक्स... सुलगे लोगों का तुर्रा यही होगा कि योगी नोएडा न आते तो क्या करते? पीएम यूपी में और सीएम नदारद, ऐसा कैसे चलता। फिर मेट्रो का एक सिरा नोएडा और दूसरा सिरा दिल्ली में... और दिल्ली के सीएम केजरीवाल बाबू।

उधर उद्घाटन होता तो रायता फैलना ही था। नोएडा नहीं बुलाया लेकिन दिल्ली में तो बुलाना ही पड़ता। आते तो थोड़ा क्रेडिट भी मफलर में बाँध के ले जाते। योगीजी ने सीन क्लीयर किया होगा कि नोएडा जाने पर हो सकता है कि कुर्सी चली जाए लेकिन प्रधानमंत्री को नाराज करने में तो जाना तय ही है।

खैर अब योगी फैंस चिल्ला रहे है रब ने बना दी जोड़ी। गुजरात में योगी गए तो गुजरात फिर हाथ आ गया। योगी शुभ हैं। वैसे फिल्म के डायरेक्टर तो अमित शाह हैं। गुजरात के ट्रेलर में योगी की परफार्मेंस देख चुके हैं। 2019 की फिल्म के लिए उन्हें एक और स्टार की जरूरत भी है क्योंकि विकास का रोल तो मोदीजी का तय है लेकिन हिंदुत्व के रोल के लिए भी तो कोई चाहिए। इधर योगी भी माने बैठे होंगे कि तुम मुझे 2018 दो और मैं तुम्हे 2019 दूंगा..।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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