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भाजपा जीती तो समझो गैस ने काम कर दिया
खगडिय़ा/बेगूसराय: ‘कि कहै छहो? भोट केकरा करलियै, इ नै बतैबो। हौं, इ पूछबो कि हवा केक्कर छै त इहे कहबो कि हमरा यहां त कामे करै वला के हवा छै।’ (वोट किसको दूंगा ये तो नहीं बताउंगा। हां, हवा किसीकी है तो हमारे यहां काम करने वाले की हवा है)।
23 अप्रैल को भरी दोपहरी में खगडिय़ा के परबत्ता में एक मतदान केंद्र से बाहर निकले रवींद्र तांती ने मीडियाकर्मी को सामने देख पहले वोटर कार्ड दिखाते हुए फोटो खिंचवाया और फिर वोट के मुद्दों पर सवाल का कुछ इसी तरह जवाब दिया। खगडिय़ा लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत दो विधानसभा क्षेत्रों के 11 मतदान केंद्रों के बाहर नए-पुराने वोटरों से बातचीत में ‘अपना भारत’ को यह तो जरूर पता चला कि भले ही राजनीतिक दल राफेल, सर्जिकल स्ट्राइक, राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर खुद को केंद्रित कर रहे हों लेकिन समाज के निचले पायदान पर रहने वाले लोगों के बीच जाति के बाद असल मुद्दा योजनाएं और उनका लाभ है। बेलदौर के एक बूथ पर मिले बुजुर्ग रामजनम शर्मा ने समझाया कि लहर कुछ नहीं होता है, काम कीजिए और बताइए तो मतदाता का मन बदल सकते हैं। और, जब काम का सवाल पूछा तो फिर ठेठ भाषा में आ गए। कहा- मोदीजी जिततो त बुझिहो ‘गैस’ काम कैर गेलई (मोदी जी जीते तो जानो गैस काम कर गई)।
29 अप्रैल को बेगूसराय सीट पर मतदान होना है। विवादित बयानों के कारण हमेशा घिरे रहने वाले भाजपा के गिरिराज सिंह और इसी तरह की छवि बनाकर राजनीति में उतरे कन्हैया कुमार बेगूसराय से सीपीआई प्रत्याशी हैं। राजद प्रत्याशी तनवीर हसन इन दोनों की जुबानी जंग से अलग अपने वोटरों को समेट रहे हैं। त्रिपक्षीय मुकाबला साफ है, लेकिन सामान्य वोटरों का मन टटोलने पर यहां भी एक बात साफ दिखती है कि लोग योजनाओं और उसके लाभ की चर्चा जरूर उठाते हैं। बखरी विधानसभा सीट राजद के खाते में है। इस चुनाव में मुद्दे की बात उठाते ही दिगंबर महतो कहते हैं- ‘काम त हुआ है। देश के बात जे परचार करना है, करे लेकिन समाज के बात देखिएगा तो एगो गैसे बड़ी काम आएगा गिरिराज बाबू के। चूल्हा जलाने के लिए जरना (जलावन) जुटाना बडक़ा काम था, लेकिन अब देखिए हरे घर में गैस है और आराम से मिलियो रहा है।’
दरअसल, झारखंड बंटवारे के बाद बिहार में वन क्षेत्र बहुत कम बचा है। जलावन यहां एक बड़ा मुद्दा था, जो अब उतना बड़ा मसला नहीं है। उज्जवला योजना की पहुंच इसलिए भी यहां ठीकठाक रही है, क्योंकि कई गैस एजेंसियां विभिन्न पार्टी से जुड़े लोगों के पास हैं। अपने-अपने इलाके में अच्छी पहुंच के लिए सरकारी योजना का फायदा कई स्थानीय नेताओं ने भी उठाया है। 29 को होने वाले मतदान के लिए अगड़ी जातियों के तमाम वामपंथी कार्यकर्ताओं ने अपने परिवारवालों को परदेस से वापस बुला लिया है और घर के युवाओं को सोशल मीडिया के जरिए कन्हैया के प्रचार में लगा दिया है। दूसरी तरफ भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता गांवों में घूमकर उज्जवला योजना की विशेष रूप से चर्चा कर रहे हैं।
यही कारण है कि सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र बखरी के घघड़ा, समसा में लोगों की राय हो या या बेगूसराय शहर से सटे पनहास में, सभी ने रसोई गैस का फायदा बताया। घघड़ा निवासी राधे गोविंद प्रसाद सिन्हा ने कहा, ‘योजना तो बहुत आईं हैं, इसमें कोई शक नहीं है। हां, ये कहिए कि राजग वाले इसका प्रचार नहीं कर सके। आसपास के बहुत लोग जलावन मांगने के लिए परेशान रहते थे लेकिन अब कहते हैं कि गैस आराम से मिल जा रहा है। हमारे यहां के दो लडक़े मुद्रा योजना से लोन लेकर अच्छा काम कर रहे हैं। परिणाम क्या आता है, यह तो भविष्य बताएगा लेकिन यहीं नहीं समूचे बिहार में अगर गरीब वोटर भाजपा से जुड़े तो यह मत समझिएगा कि प्रधानमंत्री के भाषण से हुआ होगा या नीतीशजी की आस्था से। काम का असर मानिएगा।’