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आसान नहीं BJP के लिए चक्रव्यूह का पहला द्वार भेदना, गठबंधन से कड़ी चुनौती
भाजपा यहां 'समृद्ध किसान-सशक्त भारत' के स्लोगन के साथ यह बताने में जुटी है कि मोदी सरकार द्वारा शुरू किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों का जीवन स्तर सुधारने वाली योजनाओं की पहल की है। पहले चरण की आठ लोकसभा सीटों पर जातीय आधार देखें तो मुसलमान, जाट और जाटव बाहुल्य क्षेत्र है।
लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर आगामी 11 अप्रैल को मतदान होना है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में गन्ना बेल्ट की इन आठ लोकसभा सीटों पर भाजपा ने सभी दलों का सूपडा साफ करते हुए एकतरफा जीत हासिल की थी। पर मौजूदा लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और रालोद ने भाजपा को घेरने के लिए गठबंधन कर चुनाव मैदान में ताल ठोक दी है।
गठबंधन के दलों की जातीय समीकरण ने भाजपा के सामने बीते लोकसभा चुनाव के नतीजे को दोहराने की राह में रोडे डाल दिये है।
भाजपा यहां 'समृद्ध किसान-सशक्त भारत' के स्लोगन के साथ यह बताने में जुटी है कि मोदी सरकार द्वारा शुरू किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों का जीवन स्तर सुधारने वाली योजनाओं की पहल की है। पहले चरण की आठ लोकसभा सीटों पर जातीय आधार देखें तो मुसलमान, जाट और जाटव बाहुल्य क्षेत्र है।
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इस क्षेत्र में बसपा और रालोद के गठबंधन के जातीय समीकरण को तोडने के लिए भाजपा का चुनाव प्रबंधन पूरी तरह से इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना समेत अन्य योजनाओं का सहारा ले रहा है। किसानों का असंतोष एक बडा मुददा है जो भाजपा और मोदी सरकार के लिए इस क्षेत्र में संकट पैदा कर रहा है।
इन क्षेत्रों में मिल रही है चुनौती
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में सहारनपुर, कैराना, मुजफरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी की पहली चुनावी रैली भी मेरठ में हुई थी। गन्ना के अलावा पहले चरण की इन आठ सीटों पर धर्म एक अहम मुददा है। यहां कई ऐसे क्षेत्र है जो संवेदनशील है।
इसके अलावा भाजपा यहां जाटों को भी संतुष्ट करने में लगी हुई है। दरअसल इस क्षेत्र में गन्ना मूल्य भुगतान और दो साल से गन्ने के राज्य समर्थन मू्ल्य न बढाए जाने से खेती-किसानी करने वाला जाट समुदाय नाराज है।
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फिलहाल भाजपा इस क्षेत्र में किसानों की नाराजगी दूर करने की पूरी कोशिश में लगी हुई है। इसके लिए भाजपा ने इस क्षेत्र के कई लोगों को पार्टी के किसान मोर्चा में शामिल भी किया है।