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पुस्तक समीक्षा, पिनड्रॉप साइलेंस: स्मृति व यथार्थ का कोलाज

raghvendra
Published on: 23 Feb 2018 1:03 PM GMT
पुस्तक समीक्षा, पिनड्रॉप साइलेंस: स्मृति व यथार्थ का कोलाज
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यद्यपि एम. जोशी हिमानी अर्से से कविता, कहानी तथा उपन्यास विधा पर अपने हाथ आजमाती रही हैं किन्तु ‘पिन ड्राप साइलेंस’ नाम से उनकी कहानियों का प्रस्तुत संग्रह यह बताता है कि वे एक मंजी हुई कहानीकार हैं। इसी नाम से उनकी एक प्रतिनिधि कहानी के साथ संग्रह में कुल नौ कहानियां संकलित हैं। इन सभी का रचना विन्यास तथा कथ्य आपस में इस तरह गुंथे हुए हैं कि सभी कहानियों का मूल्यांकन इन उपादानों से अलग करके नहीं किया जा सकता।

ये कहानियां बंधे-बंधाये प्रचलित ढर्रे से अलग हट कर जीवन की स्मृतियों व उसके यथार्थ से बुनी गयीं कुछ अलग तरह की प्रतीत होती हैं। इन कहानियों के पात्र परिजन हैं, परिचित हैं, भिन्न हैं, सहयोगी हैं, रोजमर्रा की घटनाएं हैं जिनको मिला कर स्मृति और यथार्थ के सहारे आकार लेती हुई ये आगे बढ़ती हैं। इनका कैनवास भी पहाड़ से लेकर सुदूर मैदानी क्षेत्र व उसके भी पार लंदन तक फैला हुआ है।

संग्रह की पहली कहानी ‘रामावतार मुझे शाप से छुड़ाइये’ स्त्री-पुरुष संबंधों को बड़ी बारीकी से देखते हुए राजन और निर्मला के मिलने व बिछड़ने की दर्द भरी मामर्मिक दास्तान है। ‘मिलाई कहानी में भारतीय जेलों का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए सरकारी तंत्र के निर्दय व निर्मम चरित्र का खामियाजा भोगने को विवश माया और रमेश की व्यथा को उकेरा गया है। ‘गियर वाली साइकिल’ एक सरल, सहज किन्तु जीवन्त स्वभाव वाले मौर्या जी के करिश्माई व्यक्तित्व की अद्भुत कथा है जो मानव के जटिल होते संबनधों के बीच एक सुखद आश्वस्ति प्रदान करती है। अंत में प्रतिनिधि कहानी ‘पिन ड्राप साइलेंस’ में महानगर में पली बढ़ी एक आजाद ख्याल महिला के अपनी जड़ों की ओर लौट कर सुदूर पहाड़ व जंगल के नीरव किन्तु अलौकिक शांति में अपने को विलीन कर देने की इच्छा है।

कहानी संग्रह की भाषा देश काल व पात्रों के अनुकूल कहीं कुमायुनी देशज शब्दों की आवाजाही से युक्त है तो कहीं संस्कृत के तत्सम शब्दों की धमक भी है। भाव प्रणव शैली व संवादों की नाटकीयता से यह प्रतीत नहीं होता कि कि कहानीकार का यह पहला संग्रह है। 104 पृष्ठों की इस पुस्तक का मूल्य है 100 रुपए तथा इसके प्रकाशक हैं हिन्द युग्म प्रकाशन, दिल्ली।

- डॉ. रविशंकर पांडेय

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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