×

CAG की रिपोर्ट: भारतीय सेना के पास 10 दिन की लड़ाई के लिए भी नहीं है गोला-बारूद

aman
By aman
Published on: 22 July 2017 1:42 PM IST
CAG की रिपोर्ट: भारतीय सेना के पास 10 दिन की लड़ाई के लिए भी नहीं है गोला-बारूद
X

नई दिल्ली: एक तरफ चीन तो दूसरी तरफ पाकिस्तान से भारी तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस बीच सेना के पास गोला-बारूद की उपलब्धता पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानि सीएजी की रिपोर्ट और चिंतित करने वाली है। सीएजी की रिपोर्ट की मानें तो सेना के पास जबर्दस्त टकराव की स्थिति में सिर्फ 10 दिन का गोला-बारूद भी मुश्किल से ही है। यह हालात बेहद चिंताजनक है।

संसद में शुक्रवार को पेश सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है, कि सैन्य मुख्यालय ने 2009-2013 के बीच खरीदारी के जिन मामलों की शुरुआत की, उनमें अधिकतर जनवरी 2017 तक लंबित थे।

गोला-बारूद की गुणवत्ता पर तीखी आलोचना

सीएजी ने ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के कामकाज की तीखी आलोचना की है। सीएजी ने कहा है कि साल 2013 से ओएफबी की ओर से आपूर्ति किए जाने वाले गोला-बारूद की गुणवत्ता और मात्रा में कमी पर ध्यान दिलाया गया था लेकिन इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है।

सुरक्षा पर भी नकारात्मक रिपोर्ट

वहीं, गोला-बारूद डिपो की सुरक्षा पर भी रिपोर्ट में नकारात्मक बातें ही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दमकलकर्मियों और उपकरणों की कमी से हादसे का खतरा बना रहा है। जबकि, इस साल जनवरी में सेना के गोला-बारूद प्रबंधन का फॉलोअप ऑडिट किया गया। बताया गया है कि ऑपरेशन की अवधि की जरूरतों के हिसाब से सेना में वॉर वेस्टेज रिजर्व रखा जाता है। रक्षा मंत्रालय ने 40 दिन की अवधि के लिए इस रिजर्व को मंजूरी दी थी।

20 फीसदी गोला-बारूद ही मानक पर खड़े उतरे

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1999 में सेना ने तय किया था कि कम से कम 20 दिन की अवधि के लिए रिजर्व होना ही चाहिए। सितंबर 2016 में पाया गया कि सिर्फ 20 फीसदी गोला-बारूद ही 40 दिन के मानक पर खरे उतरे। 55 प्रतिशत गोला-बारूद 20 दिन के न्यूनतम स्तर से भी कम थे। हालांकि, इसमें बेहतरी आई है, लेकिन बेहतर 'फायर पावर' को बनाए रखने के लिए बख्तरबंद वाहन और उच्च क्षमता वाले गोला-बारूद जरूरी स्तर से कम पाए गए।

aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story