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चाणक्य नीति: जीवन में रहना है सुखी तो आप भी इन 5 बातों से करें परहेज

Newstrack
Published on: 24 May 2016 8:17 AM GMT
चाणक्य नीति: जीवन में रहना है सुखी तो आप भी इन 5 बातों से करें परहेज
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लखनऊ: चाणक्य ने सुखी और श्रेष्ठ जीवन के लिए कई नीतियां बताई हैं, कुछ लोग आज भी इन नीतियों का पालन करते है जो नहीं जानते वो भी अगर इन नीतियों का पालन करें तो कई परेशानियों से बच सकते हैं। आज चाणक्य की एक ऐसी नीति बता रहे है , जिसमें बताया गया है कि हमें किन लोगों या चीजों के बीच में से कभी नहीं निकलना चाहिए।

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चाणक्य कहते हैं कि...

विप्रयोर्विप्रवह्नेश्च दम्पत्यो: स्वामिभृत्ययो:।

अन्तरेण न गन्तव्यं हलस्य वृषभस्य च।।

इस श्लोक में आचार्य ने इन पांच बातों से परहजे करने को कहा है

पति और पत्नी

यदि किसी स्थान पर कोई पति-पत्नी खड़े हों या बैठे हों तो उसके बीच में नहीं निकलना चाहिए। ये अनुचित माना गया है। ऐसा करने पर पति-पत्नी का एकांत भंग होता है। हो सकता है पति-पत्नी, घर-परिवार की किसी गंभीर समस्या पर चर्चा कर रहे हों या निजी बातचीत कर रहे हों तो हमारी वजह से उनके निजी पलों में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

हल और बैल

कहीं हल और बैल, एक साथ दिखाई दें तो उनके बीच में से नहीं निकलना चाहिए। यदि इनके बीच में निकलने का प्रयास किया जाएगा तो चोट लग सकती है। अत: हल और बैल से दूर रहना चाहिए।

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मालिक और नौकर

जब स्वामी और नौकर बातचीत कर रहे हों तो उनके बीच में से कभी निकलना नहीं चाहिए। हो सकता है कि स्वामी अपने नौकर को कोई जरूरी काम समझा रहा हो। ऐसे समय पर यदि हम उनके बीच में निकलेंगे तो मालिक और नौकर के बीच संवाद बाधित हो जाएगा।

दो विद्वान के बीच से ना निकले

दो ज्ञानी लोग बात कर रहे हों तो उनके बीच में से निकलना नहीं चाहिए। एक पुरानी कहावत है ज्ञानी से ज्ञानी मिलें करें ज्ञान की बात। यानी जब दो ज्ञानी लोग मिलते हैं तो वे ज्ञान की बातें ही करते हैं। अत: ऐसे समय में उनकी बातचीत में बाधा उत्पन्न नहीं करना चाहिए।

ब्राह्मण और अग्नि

यदि किसी स्थान पर कोई ब्राह्मण अग्नि के पास बैठा हो तो इन दोनों के बीच में से भी नहीं निकलना चाहिए। ऐसी परिस्थिति में ये संभव है कि वो ब्राह्मण हवन या यज्ञ कर रहा हो और हमारी वजह से उसका पूजन अधूरा रह सकता है।

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