×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

यूपी का कोई शहर रहने लायक नहीं

raghvendra
Published on: 17 Aug 2018 12:14 PM IST
यूपी का कोई शहर रहने लायक नहीं
X

अंशुमान तिवारी

लखनऊ: भारत में रहने लायक शहर यानी ऐसे शहर जहां इनसान सुकून से रह सके, आराम की जिंदगी बिता सके इसमें पुणे टॉप पर है लेकिन यूपी, बिहार, बंगाल जैसे राज्यों का कोई शहर नहीं है जो रहने लायक हो। ये तो रही भारत के शहरों की बात लेकिन अगर दुनिया की बात करें तो हमारे देश का कोई शहर नहीं है जो दुनिया में रहने लायक गिना जा सके।

भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने ‘ईज़ ऑफ लिविंग इडेक्स’ यानी आराम से रहने लायक शहरों की रैंकिंग की है। इस रैंकिंग का आधार वैश्विक और राष्ट्रीय पैमाने हैं। रैंकिंग में टॉप के तीन शहर हैं-पुणे, नवी मुंबई और ग्रेटर मुंबई। देश की राजधानी होने के बावजूद नई दिल्ली 65वें नंबर पर है। इस प्रतिस्पर्धा में कोलकाता ने भाग नहीं लिया क्योंकि शायद उसे अपने हश्र का पहले से ही पता रहा होगा।

वैसे, टॉप 10 शहरों में मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर भी हैं। सूची में सबसे नीचे उत्तर प्रदेश का रामपुर है, यानी रामपुर बेहद गलीच शहर पाया गया है। बात करें लखनऊ की तो कहने को ये है राजधानी पर गवर्नेंस से लेकर प्रदूषण मुक्ति के मामले में ये नवी मुम्बई जैसे बड़े शहर या सागर-लुधियाना जैसे छोटे शहरों के मुकाबिल भी नहीं ठहरता। वैसे, यूपी का कोई शहर रहने की सहूलियत के पैमाने पर खरा नहीं उतरता है। यूं तो सर्वे में शामिल १११ शहरों में यूपी के १४ शहर में शामिल हैं जिनमें टॉप ५० में यूपी के चार ही शहर आ पाए हैं। ये हैं-वाराणसी (३३), झांसी (३४), गाजियाबाद (४६) और रायबरेली (४९)। सूची के निचले पायदान वाले शहरों में यूपी ने खूब योगदान दिया, जैसे आगरा ५५वें स्थान पर, कानपुर ७५ पर, बरेली ८१, अलीगढ़ ८६, मुरादाबाद ८९, इलाहाबाद ९६, मेरठ १०१, सहारनपुर १०३ और रामपुर १११वें नंबर पर।

ये सही है कि यूपी के शहरों का हाल बेहाल है। गांवों, कस्बों, छोटे शहरों से बड़े शहरों में बड़ी संख्या में लोगों के पलायन से शहरों का ढांचा चरमारा गया है। शहर अपना स्वरूप खोते हुए विशाल कस्बों में तब्दील हो गए हैं जहां अतिक्रमण, प्रदूषण, क्राइम की भरमार है और साफ पानी, खुली जगहों, बिजली की कमी और जीवन स्तर में लगातार गिरावट का ट्रेंड है।

111 शहरों में किया गया था सर्वे

केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने १३ अगस्त को यह सूची जारी की। किस शहर में जिंदगी कितनी आसान है, इस बारे में सरकार की ओर से किया गया यह पहला सर्वे है। ये सर्वे 111 शहरों में किया गया।

कायम है उम्मीद

सरकार का कहना है कि आम आदमी की जिंदगी को आसान बनाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। इसके लिए स्थानीय सरकारों को पैसा और टेक्रोलॉजी दी जा रही है। सरकार का मानना है कि ऐसे सर्वे से शहरों के बीच कम्पटीशन बढ़ेगा और उन्हें सुधार करने का मौका मिलेगा।

चार पैमानों पर हुआ सर्वे

सर्वे में शहरों का आकलन करने के लिए चार पैमाने रखे गए-संस्थागत, सामाजिक, आर्थिक और भौतिक परिस्थितियां। हर शहर का आंकलन प्वाइंट्स के आधार पर किया गया। मिसाल के तौर पर गवर्नेंस या अच्छे प्रशासन के लिए अधिकतम २५ नंबर रखे गए थे तो बिजली सप्लाई के लिए अधिकतम ५ नंबर रखे गए।

रहने की सहूलियत लायक टॉप 10 शहर

१. पुणे

२. नवी मुम्बई

३. ग्रेटर मुम्बई

४. तिरुपति

५. चंडीगढ़

६. ठाणे

७. रायपुर

८. इन्दौर

९. विजयवाड़ा

१०. भोपाल

दुनिया के बेस्ट शहरों में भारत का कोई नहीं

‘द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट’ ने रहने के लिहाज से दुनिया के 10 बेस्ट शहरों की लिस्ट जारी की है जिसमें ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना टॉप पर है। दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया का मेलबर्न शहर, तीसरे पर जापान का ओसाका, चौथे पर कनाडा का कैलगरी और पांचवें नंबर पर ऑस्ट्रेलिया का सिडनी शहर शामिल है। टॉप दस शहरों में अमेरिका का कोई शहर नहीं है। न्यूयार्क वैसे तो सूची में है, लेकिन ५७वें नंबर पर। लिस्ट में मेलबर्न लगातार छठी बार टॉप फाइव में है। हमेशा की तरह ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने रहने के हिसाब से दुनिया में सबसे अच्छे शहरों में अपना प्रभुत्व कायम रखा है। टॉप 10 शहरों में ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के 3-3 शहर शामिल हैं।

टॉप 10 शहरों की सूची

१. वियना (ऑस्ट्रिया)

२. मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया)

३. ओसाका (जापान)

४. कैलगरी (कनाडा)

५. सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)

६. वैंकुअर (कनाडा)

७. टोरंटो (कनाडा)

८. टोक्यो (जापान)

९. कोपेनहेगन (डेनमार्क)

१०. एडिलेड (ऑस्ट्रेलिया)

कई आधार पर किया गया सर्वे

यह सूची बनाने के लिए दुनिया के 140 बड़े शहरों में सर्वे किया गया। सर्वे में शहरों की आर्थिक स्थिति और वित्तीय ग्रोथ को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि इसी से लोगों के जीवन स्तर और जीवन शैली का पता चलता है। सर्वे के दौरान आतंकी घटनाओं को भी ध्यान में रखा गया। इन शहरों में हिंसा या आतंकी वारदातें न के बराबर ही हुई हैं। इन शहरों में मौजूद सुविधाओं के अलावा यहां प्रति व्यक्ति आय को भी प्राथमिकता दी गई है। सर्वेक्षण में शहर में रहने के खतरों, उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं तथा उपलब्ध वस्तुओं और सेवाओं को आधार बनाया गया। अफ्रीका और एशिया के कई शहर रहने की दृष्टि से सर्वाधिक अनुपयुक्त शहरों के रूप में चिन्हित किए गए हैं। सूची में निचले पायदान पर मौजूद 10 शहरों में कराची, ढाका, तेहरान और हरारे शामिल हैं। लैटिन अमेरिका के शहर सूची में बीच में रहे हैं, यानी न तो बेहतरीन जगह और न ही बेकार जगह।

सबसे साफ रेलवे स्टेशनों में राजस्थान टॉप पर

देश के ए श्रेणी के रेलवे स्टेशनों पर सफाई के मामले में राजस्थान का मारवाड़ जंक्शन देश और ए १ श्रेणी में जोधपुर नंबर-1 पर है। स्टेशन की श्रेणियां आमदनी और यात्रियों की संख्या के आधार पर तय की जाती हैं। रेलवे के यात्रियों से आमदनी का 80 फीसदी हिस्सा ए 1 और ए श्रेणी स्टेशनों से ही आता है।

मारवाड़ स्टेशन साल भर पहले 168 वें स्थान पर था। एक साल में सफाई पर 62 लाख रुपए खर्च किए गए। रेलवे प्रशासन ने वेंडर्स से सख्ती की, जगह-जगह डस्टबिन रखवाए जिससे कचरा बाहर फैलने से रोका गया। रेलवे प्रशासन ने सफाईकर्मियों की टीमें बनाईं और कड़ी निगरानी रखी। यहां से रोजाना तीन हजार यात्री विभिन्न शहरों की यात्रा करते हैं। इनमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की जो अपने व्यापार और काम के सिलसिले में मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद व बंगलुरू जैसे बड़े शहरों में रहते हैं। वहां रहते हुए स्वच्छता उनकी आदत में शामिल हो चुकी है।

  • रेल मंत्रालय ट्रेनों-स्टेशनों की सफाई के नाम पर यात्रियों से रेल किराये से इतर 0.5 फीसदी अधिक पैसा चार्ज करता है। रेलवे ने तीसरे पक्ष के रूप में क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया से स्टेशनों की सफाई की रैंकिंग का सर्वे कराया है। ये सर्वे भारत के 407 बड़े स्टेशनों, जिसमें 75 ए 1 तथा 332 ए श्रेणी के स्टेशन में करवाया गया। सर्वे में शौचालय, पटरियां, कूड़ेदान, स्टेशन परिसर और प्लेटफॉर्म की सफाई का आधार मानक होता है। इसमें यात्रियों, सफाईकर्मी और स्टेशन स्टाफ से बातचीत भी शामिल है।
  • राजधानी दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई के रेलवे स्टेशन साफ-सफाई में फिसड्डी हैं।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का वाराणसी स्टेशन 14वें स्थान से लुढक़कर 69वें स्थान पर चला गया है।
  • लखनऊ स्टेशन छठे स्थान से 64वें पर पहुंच गया है।
  • मथुरा, ग्वालियर और हावड़ा सबसे नीचे जगह पाकर देश के सबसे गंदे स्टेशनों में शुमार हो गए हैं।
  • ए-1 श्रेणी में पहले स्थान पर जोधपुर और दूसरे स्थान पर जयपुर रहा। आंध्र का तिरुपति स्टेशन तीसरे स्थान पर रहा है।
  • ए श्रेणी में मारवाड़ पहले, फुलेरा दूसरे व वारंगल तीसरे स्थान पर रहा।
  • साल 2017 और 2018, दोनों सर्वे में आनंद विहार पांचवें स्थान पर और नई दिल्ली स्टेशन 39वें स्थान पर रहा।
  • पटना स्टेशन पांच पायदान ऊपर चढक़र 23वें स्थान पर और मुंबई 27वें स्थान से ऊपर चढक़र 13वें स्थान पर आ गया।
  • रैंकिंग में मथुरा सबसे नीचे 75वें स्थान पर, ग्वालियर 73वें स्थान पर, हावड़ा 71वें स्थान पर जबकि वाराणसी 69वें स्थान पर रहा है।



\
raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story