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Lok sabha election 2019: चला सखी वोट दै आई, मुहर ......... पे लगायी
लोकसभा चुनाव 2019 का इस समय वो दौर चल रहा है जिसे चाहे तो चरम कह सकते है। दौर के हिसाब से राजनीति में भी बदलाव होते ही गए।
अनूप ओझा
लोकसभा चुनाव 2019 का इस समय वो दौर चल रहा है जिसे चाहे तो चरम कह सकते है। दौर के हिसाब से राजनीति में भी बदलाव होते ही गए। इक्के तागें से चुनाव प्रचार की शुरूआत करने वाली भारतीय चुनावी राजनीति आज इंटरनेट और जेटप्लेन तक का मुकाम हासिल कर चुकी है। चुनावी मिठास के बीते दौर के कुछ प्रचार गीत आज अनायास जेहन में याद आ गए।
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लोकतंत्र की मर्यादा को प्रगाढ़ बनाने का वो स्वर्णिम दौर
अवध क्षेत्र के वेल्हा इलाके में ये गीत गा कर प्रचार करने का सिलसिला तब तक चला जब तक कि कैसेट में डब प्रचार गीतों का दौर शुरू हुआ। विरोधी दलों को मीठे तंज सुनाकर लोकतंत्र की मर्यादा को प्रगाढ़ बनाने का वो स्वर्णिम दौर था।बाकायदा ढ़ोल मजीरे के साथ टोली बनाकर गाया जाने वाला ये गीत चला सखी वोट दै आई, मुहर ......... पे लगायी चुनाव का ब्रांड गीत हुआ करता था।
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उन दिनों गांव के मेड़ो पर कतारबद्ध महिलाएं घूंघट में ये गीत गाते हुए मीलों दूर पोलिंग बूथ पर मतदान करने जातीं थी। एक वो दिन था, एक आज का दिन का है जब घूंघट और बुर्के पर सिर फुटौवल का दृश्य देखने को मिल रहा है।
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दौर कितना बदला, कुछ भी हो लेकिन सखी से शुरू होने वाला हमारा चुनावी दौर अब खानदानों की परत खोलने को आधुनिक राजनीति मानता है।