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66 पैसे में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया से लड़ाई!

tiwarishalini
Published on: 22 Sep 2017 8:10 AM GMT
66 पैसे में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया से लड़ाई!
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अनुराग शुक्ला की स्पेशल रिपोर्ट

लखनऊ: अगर आप उत्तर प्रदेश में रहते हैं तो आपके लिए एक बुरी खबर। ईश्वर न करे आपको सूबे में मच्छर जनित किसी बीमारी का सामना करना पड़े। यूपी में मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया समेत 23 वेक्टर जनित बीमारियों के इलाज के लिए सरकार के पास एक नागरिक पर खर्च करने के लिए महज 66 पैसे ही हैं। वो भी प्रति दिन नहीं, हर हफ्ते भी नहीं बल्कि पूरे साल में। यह हम नहीं उत्तर प्रदेश सरकार का शासनादेश कह रहा है।

हर आदमी के लिए पूरे साल में 66 पैसे

उत्तर प्रदेश के शासनादेश संख्या- 118/2017/2040/पांच-6-7-16(बजट)/17 के मुताबिक प्रदेश में वेक्टर जनित रोग के नियंत्रण कार्यक्रम के लिए साल 2017-18 के वित्तीय वर्ष में 18 करोड़ 38 लाख रुपये ही मंजूर किया गया है। इस शासनादेश में खास बात यह है कि इसमें साफ लिखा है कि 18 करोड़ 38 लाख में से भी महज 14 करोड़ 38 लाख रुपये ही दवा और केमिकल में खर्च होंगे। यानी वेक्टर जनित बीमारियों से बचाने के लिए मिलने वाली दवा और छिडक़ाव के लिए इस्तेमाल होने वाले सामग्री में सिर्फ 14 करोड़ 38 लाख ही खर्च होंगे।

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उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 22 करोड़ है। अगर 22 करोड़ की आबादी को मच्छर जनित और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाना है तो पूरे साल यूपी सरकार सिर्फ 14 करोड़ 38 रुपये ही खर्च करेगी। अगर सामान्य गणित से भी देखा जाय तो एक व्यक्ति के बचाव के लिए पूरे साल में सरकार करीब 66 पैसे ही खर्च करेगी।

इस शासनादेश को देखें तो सरकार की प्राथमिकता और इलाज के प्रति गंभीरता का पता चलता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बजट में 19 करोड़ की व्यवस्था की थी। इसमें से 15 करोड़ दवा और केमिकल के लिए थे, 2 करोड़ रुपये मेज कुर्सी और दूसरे फर्नीचर और उपकरण खरीदने के लिए खर्च किए जाने थे और 2 करोड़ रुपये अन्य खर्चों यानी मिसलेनियस खर्च के लिए थे। सरकार ने फर्नीचर खरीदने के दो करोड़ में कोई कटौती नहीं की। इसके अलावा सरकार ने अन्य खर्चों में भी कोई कटौती नहीं की है। जो 15 करोड़ रुपये दवा और केमिकल के लिए थे उसे 62 लाख रुपये और घटा दिया है।

यूपी में मलेरिया, फाइलेरिया, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू के हालात बहुत बुरे हैं। स्वाइन फ्लू से कई दर्जन मौतें हो चुकी हैं। ऐसे में सरकार का यह प्रावधान किसी तरह से तर्क से परे दिखता है। यह बात और है कि यह पहली बार है कि वेक्टर जनित बीमारियों की रोकथाम को लेकर किसी सरकार ने अलग से बजट का प्रावधान किया है पर प्रति नागरिक पूरे साल में 66 पैसे तो ऊंट के मुंह में जीरा भी नहीं कहे जा सकते हैं।

सियासत गरमाई

इस मुद्दे पर विपक्ष ने अब प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है। यूपी के नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने आरोप लगाया कि योगी सरकार ने हर विभाग में कटौती की है। सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य विभाग की दवाओं पर हुआ है। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार को लोगों की सेहत की चिंता नहीं। इसी वजह से दवाइयां और केमिकल उसकी प्राथमिकता में नहीं है।

योगी सरकार ने मेडिकल के बजट पर बिना किसी रहम के कैंची चलाई है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आशुतोष टंडन के मुताबिक वेक्टर जनित बीमारियों को लेकर पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी सरकार ने अलग से बजट दिया है। सूबे की सेहत को लेकर सरकार पूरी तरह संवेदनशील है और सेहत में किसी भी तरह फंड की कमी नहीं आने वाली है। यूपी में पहले की सरकार से खाली खजाना मिलने के बाद भी प्रदेश सरकार किसी तरह की की कमी नहीं आने देगी। अगर जरुरत हुई तो अनुपूरक बजट में इस कमी को पूरा कर लिया जाएगा। यूपी में फंड की कमी बिलकुल नहीं है।

क्या हैं वेक्टर जनित बीमारियां

वेक्टर जनित रोग आर्थोपोड्स (मच्छर, टिक्स, कण आदि) के द्वारा संचरित होते हैं तथा भारत में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, फाइलेरिया और कालाजार के नाम से व्याप्त हैं। ये रोग जन स्वास्थ्य के लिए गम्भीर समस्या बन गए हैं।

इन बीमारियों ने ढाया कहर

प्रदेश में इन बीमारियों का कहर बहुत ज्यादा फैल गया है। अगर सिर्फ दो बीमारियों स्वाइन फ्लू और डेंगू की बात की जाय तो 31 अगस्त तक राजधानी में स्वाइन फ्लू के 2,086 मामले सामने आ चुके थे। इसके साथ ही डेंगू के के भी 67 मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा स्वाइन फ्लू से 52 मौतें भी इस अवधि में हुईं। यही वजह है कि यूपी सरकार ने डेंगू, मलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया आदि वेक्टर जनित बीमारियों को नोटीफाइबुल बीमारी घोषित किया है।

इसलिए सभी चिकित्सक व पैथालाजी सेंटर के संचालक को हिदायत दी गयी है कि इन सभी बीमारियों के जांच की सूचना जिला अस्पताल में अनिवार्य रूप से तत्काल दें। चिकित्सकों व पैथालॉजी सेंटर के संचालकों को समय से बीमारियों की सूचना आइडीएसपी यूनिट को भेजने के निर्देश हैं। ऐसा न करने वाले चिकित्सकों व पैथालॉजी सेंटर के संचालकों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।

अस्पतालों में बनी फीवर हेल्प डेस्क

योगी सरकार ने डेंगू के मरीजों को सुविधा एवं सहायता देने के लिए सभी अस्पतालों में फीवर हेल्प डेस्क स्थापित की है। गंभीर मरीजों को केन्द्रों तक ले जाने के लिए नि:शुल्क 108 एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराई है। हर संवेदनशील शहर एवं गांव में रोस्टर बनाकर मच्छरों को मारने के लिए दवा का छिडक़ाव व फॉगिंग कराई जा रही है। इसके अलावा सभी जिलों में रैपिड रिस्पॉन्स (त्वरित प्रतिक्रिया) टीमों का भी गठन किया गया है।

इन टीमों का मुख्य कार्य डेंगू तथा अन्य वेक्टर जनित रोग के मरीजों के घर जाकर मच्छरों के लार्वा का पता लगाना और उनको नष्ट करते हुए परिवार के सदस्यों को संक्रमण से बचाव की जानकारी देना है। चिकित्सा सचिव के मुताबिक जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स समिति का गठन किया गया है, जो जिला स्तर पर विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर डेंगू तथा अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए कार्रवाई करेगी।

मुख्य चिकित्साधिकारियों द्वारा निजी चिकित्सालयों के चिकित्सकों के साथ बैठक कर भारत सरकार के दिशा-निर्देशन के अनुसार डेंगू व अन्य वेक्टर जनित रोगों का इलाज करने की व्यवस्था की गई है मगर सवाल यही है कि इस तामझाम को 66 पैसे प्रति नागरिक पर कैसे चलाया जा सकता है।

कैसे करें बचाव

यह रोग मच्छरों से होते हैं। ऐसे में आम लोग इससे रोकथाम आराम से कर सकते हैं। इसके लिए घरों व दफ्तरों के कूलरों के पानी को सप्ताह में एक बार अवश्य बदलें व पानी के पूरी तरह सूखने के बाद ही दोबारा भरें। इसके अलावा घरों की छतों पर रखे टायर, ट्यूब, टूटे बरतनों आदि को नष्ट कर दें।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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