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सुलतानपुर: कांग्रेस और गठबंधन ने चुना क्षत्रिय कंडीडेट, BJP किस कार्ड का खेलेगी दांव?

वही बीजेपी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान सांसद वरुण गांधी की मां एवं केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी को बीजेपी यहां मैदान से उतार सकती है। नाम न छापने की शर्त पर बीजेपी के एक पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि वरुण गांधी ने फोनकर मां के लिए कमर कसने तक के निर्देश दिए हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 17 March 2019 10:40 AM IST
सुलतानपुर: कांग्रेस और गठबंधन ने चुना क्षत्रिय कंडीडेट, BJP किस कार्ड का खेलेगी दांव?
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सुलतानपुर: 17 वीं लोकसभा चुनाव के लिए सुल्तानपुर सीट से कांग्रेस ने राज्यसभा सदस्य डा. संजय सिंह को कंडीडेट घोषित किया था। संजय सिंह 2009 में बीएसपी कंडीडेट को हराकर यहां से मैदान मार चुके हैं।

शनिवार को गठबंधन की ओर से बीएसपी के सिम्बल पर बाहुबलि पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू को मैदान में उतारा गया है। हालांकि सपा खेमे में गठबंधन प्रत्याशी को लेकर थोड़ी बहुत छटपटाहट है। अभी बीजेपी ने यहां से अपना पत्ता खोला नहीं है, सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी यहां चुनाव मैदान में आ सकती हैं। इनके न आने पर लोकल चेहरे को बीजेपी अपना उम्मीदवार बना सकती है।

सपा खेमे में है विरोध

शनिवार को शहर के एक गेस्ट हाउस में बीएसपी अयोध्या ज़ोन के कोआर्डिनेटर एवं पूर्व सांसद त्रिभुवन दत्त ने बाहुबलि पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह सोनू को जिले से गठबंधन उम्मीदवार घोषित किया है। बताया जा रहा है कि पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे को मद्देनजर रखते हुए ये फैसला किया गया है। त्रिभुवन दत्त ने मीडिया के समक्ष कहा इंतजार का वक्त खत्म हो गया। उन्होंने भाजपा पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया। वही टिकट फाइनल होने के बाद सोनू समर्थकों में खुशी का माहौल है।

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सूत्रों के मुताबिक गठबंधन प्रत्याशी को लेकर सपा खेमे में विरोध था, कुछ दिनो पूर्व जिले के सपाईयों ने लखनऊ जाकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिलकर अपना विरोध भी दर्ज कराया था। वही 10 फरवरी को इसौली विधानसभा क्षेत्र के इस्लामगंज इलाके में समाजवादी पार्टी दलित शोषित समाज के कार्यकर्ता सम्मेलन में इसौली से सपा विधायक अबरार अहमद ने गठबंधन के मौजूदा कंडीडेट को लेकर विरोधाभासी सुर अलापे थे।

चंद्रभद्र सिंह का ऐसा है राजनैतिक कैरियर

बता दें कि चंद्रभद्र सिंह सोनू ने 2002 में सपा से अपने राजनैतिक कैरियर की शुरूआत की थी। 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने इसौली सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए 53270 वोट पाकर बीएसपी के कामिल फरोग को शिकस्त दिया था। फिर 2007 में इसी सीट से सपा के टिकट पर वो विजयी हुए इस बार उन्होंने 53 हजार 911 वोट पाकर बीएसपी के कक्कू पाण्डेय को हराया।

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2009 में उन्होंने सपा का दामन छोड़ हाथी की सवारी किया तो उप चुनाव हुआ इसौली सीट से उन्होंने बीएसपी के टिकट पर कांग्रेस के जयनरायण तिवारी को धूल चटाई। फिर 2012 के चुनाव में उन्होंने बीएसपी को भी अलविदा कहा और पीस पार्टी के टिकट पर सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़ा लेकिन तीसरे स्थान पर रहे फिर 2014 के लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने बीजेपी का झंडा उठा लिया। और हाल ही में वो बीएसपी में शामिल हुए।

गठबंधन से छटक रहे ये वोट बैंक

उधर कांग्रेस ने राज्यसभा सदस्य डा. संजय सिंह को मैदान में उतारा है जो 2014 में इसी सीट से पत्नी की जमानत नहीं बचा सके थे। हालांकि 2009 के लोकसभा चुनाव में डा. संजय सिंह कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे और उन्होंने बीएसपी के ताहिर खां को 98 हजार वोटों से धूल चटाया था। फिलवक्त यादव, ब्राहमण और मुस्लिम वोट बैंक यहां गठबंधन से छटता हुआ नज़र आ रहा है।

बीजेपी इनमे से किसी पर खेल सकती है दांव

वही बीजेपी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान सांसद वरुण गांधी की मां एवं केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी को बीजेपी यहां मैदान से उतार सकती है। नाम न छापने की शर्त पर बीजेपी के एक पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि वरुण गांधी ने फोनकर मां के लिए कमर कसने तक के निर्देश दिए हैं।

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वैसे ये भी कहा जा रहा है कि अगर मेनका गांधी मैदान में न आई तो बीजेपी प्रतिष्ठित सर्जन चिकित्सक डा. एके सिंह की पत्नी सुमन सिंह को मैदान में उतार सकती है। उधर दिग्गज बीजेपी नेता एवं बीजेपी काशी प्रांत के संयोजक डा. आरए वर्मा का नाम भी चर्चा में है। ऐसे में इन प्रत्याशियों के आने के बाद गठबंधन और कांग्रेस प्रत्याशी की राह और भी मुश्किल भरी हो जायेगी।



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