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Election Results 2019: किसी ने बनाया जीत का रिकार्ड तो कोई चूका
17 वी लोकसभा चुनावों में ऐसे कई दिग्गज चुनाव मैदान में उतरे और फिर चुनाव जीता। ये ऐसे धुरंधर हैं जिन्हें उनके क्षेत्र की जनता हाथों हाथ लेती रही है। इन नेताओं ने तिकड़ी चैका या छक्का लगाने का काम किया है। ऐसे नेताओं की वाणी और कार्यशैली का ही नतीजा है कि चुनाव जीतते रहे हैं।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: 17 वी लोकसभा चुनावों में ऐसे कई दिग्गज चुनाव मैदान में उतरे और फिर चुनाव जीता। ये ऐसे धुरंधर हैं जिन्हें उनके क्षेत्र की जनता हाथों हाथ लेती रही है। इन नेताओं ने तिकड़ी चैका या छक्का लगाने का काम किया है। ऐसे नेताओं की वाणी और कार्यशैली का ही नतीजा है कि चुनाव जीतते रहे हैं।
आइये देखते हैं ऐसे दिग्गजो को जिन्होंने 17वी लोकसभा में अपनी जीत का कीर्तिमान बनाया है-
सोनिया गांधी
यूपीए की अध्यक्ष और कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजनीतिक मैदान में अपना पहला लोकसभा चुनाव 1999 में अमेठी से लड़कर जीता। इसके बाद 2004 में उन्होंने सीट बदलकर रायबरेली से चुनाव लड़ा और जीती। तब से लगातार इस सीट से चुनाव जीत रही है। इस बार वह अपनी छठी जीत हासिल की। वह लोकसभा का उपचुनाव भी जीत चुकी हैं जिसमे उन्होंने भाजपा के विनय कटियार को हराया था।
मुलायम सिंह यादव
यूपी की राजनीति के सबसे बड़े दिग्गज और समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव ने पहली बार 1996 मे मैनपुरी सीट से चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने फिर 1998 व1999 में संभल, फिर मैनपुरी 2004, 2009 और 2014 का चुनाव जीता। इस बार उन्होंने पांचवी बार यहां से चुनाव जीता। मुलायम सिंह यादव की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में 2 बार उन्होंने दोनों ही सीटों से चुनाव जीतने का काम किया। मुलायम सिंह यादव कन्नौज लोकसभा से भी वह सांसद बने।
मेनका गांधी
नेहरू-गांधी परिवार की दूसरी बहू मेनका गांधी भी यूपी की राजनीति का बड़ा नाम है।वह पीलीभीत सीट से 1989 में पहली बार चुनाव जीती। इसके बाद 1996 1998 1999 2004 तथा 2014 में इसी सीट से जीत दर्ज की। यही नही जब उन्होंने अपने बेटे वरुण गांधी के लिए 2009 में यह सीट छोडी तो खुद आंवला सीट से चुनाव जीता। अब तक सात बार चुनाव जीत चुकी मेनका ने इस बार सुल्तानपुर से आठवी जीत दर्ज की।
संतोष गंगवार
अटल सरकार के बाद मोदी सरकार में मंत्री संतोष गंगवार एक बार फिर अपने गृह नगर बरेली से चुनाव मैदान में उतरे और लोकसभा का चुनाव जीतकर उन्होंने यह दिखा दिया कि उनकी अपनी लोकसभा सीट पर कितनी पकड है। संतोष गंगवार ने इस बार आठवी जीत हासिल की। उन्होंने पहली बार 1989 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी तब से वह लगतार जीतते रहे। पर 2009 में उनकी जीत का सिलसिला थम गया। पर 2014 में यह सिलसिला एक बार फिर बढ़ चला। इस बार वह आठवी बार बरेली सीट से चुनाव जीते है।
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ब्रजभूषण शरण सिंह
अयोध्या आंदोलन के दौरान भाजपा के शिखर पुरुष लालकृष्ण आडवाणी के चहेते बने ब्रजभूषण शरण सिंह पहली बार 1991 में गोंडा सीट से सांसद बने। इसके बाद 1999 में फिर जनता ने उन्हें चुना। अब तक पांच चुनाव जीत चुके ब्रजभूषण शरण सिंह 2004 में बलरामपुर के अलावा 2009 और 2014 में कैसरगंज से चुनाव जीते। इस बार उन्होंने छठी जीत के साथ ही उन्होंने अपनी लोकप्रियता को फिर सिद्व किया।
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अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपना पहला चुनाव पिता मुलायम सिंह यादव की रिक्त सीट कन्नौज से 1999 में उपचुनाव में हासिल की थी। इसके बाद 2004 और 2009 का चुनाव भी वह जीते। 2009 का चुनाव उन्होंने दो सीटों से लड़ा और कन्नौज के साथ फिरोजाबाद भी जीता। 2012 में उन्होंने कन्नौज सीट पर अपनो पत्नी डिंपल को उतारा। इस बार वह अपने पिता मुलायम सिंह यादव की सीट आजमगढ़ से चुनाव लडने उतरे और यह चुनाव जीतकर उन्होंने पांचवी जीत हासिल की।
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साक्षी महाराज
कभी सपा कभी भाजपा में रहे साक्षी महाराज ने उन्नाव में अपनी पांचवी जीत का रिकार्ड बनाया है। वह पहले दो बार फर्रुखाबाद से, एक बार मथुरा से और दो बाद उन्नाव से सांसद से सांसद बने।
किसान नेता के रूप में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखने वाले चैधरी अजीत सिंह अब तक छह बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस बार वह अपनी सातवी जीत के लिए मुजफ्फरनगर से मैदान में उतरे पर उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से 2004 और 2009 का चुनाव जीते। पिछला चुनाव मोदी लहर के बाद भी वह अमेठी से जीते। अगर वह जीतते हैं तो यह उनकी चैथी जीत होती लेकिन स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के जीत के चैथे द्वार को इस बार रोक दिया।