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तीन राज्यों के चुनाव नतीजे मोदी के हश्र की झांकी है: राज बब्बर
लखनऊ: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव नतीजों से उत्साहित उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने भविष्यवाणी की है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की वापसी नहीं होगी और नरेंद्र मोदी का दोबारा प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब अधूरा रह जाएगा। राजबब्बर ने यह बातें प्रदेश कार्यालय के दौरे के दौरान कहीं।
'जनता में बीजेपी और मोदी के खिलाफ रोष'
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इन तीन राज्यों के नतीजों से साफ हो गया कि जनता में बीजेपी और मोदी के खिलाफ रोष है। राज बब्बर ने कहा कि जनता के मूड से साफ हो गया है कि वो जुमलों से त्रस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर जनता का विश्वास लौटा है और 2019 में पूरे देश की जनता कांग्रेस के साथ होगी।
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हालांकि 2019 के चुनावों में सपा और बसपा के साथ गठबंधन के सवाल पर उन्होंने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया और कहा कि ये हाईकमान का मामला और हमे जो निर्देश मिलेगा उसका पालन करेंगे।
'प्रदेश कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा उपलब्ध हूं'
उधर कार्यकर्ताओं की इस शिकायत पर कि वो प्रदेश कांग्रेस को समय नहीं देते हैं और यूपी बहुत कम आते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है और मुझसे किसी ने कभी ऐसी बात नहीं की। अगर किसी को कोई शिकायत है तो मैं हमेश उपलब्ध हूं।
कार्यकर्ताओं द्वारा उनके प्रदेश न आने और हेलीकाप्टर अध्यक्ष का तमगा दिए जाने पर उन्होंने हंसते हुए कहा कि ये तो अच्छी बात है। राज बब्बर ने कहा कि मुझे हेलीकाप्टर प्रेसिडेंट बनाया....वो मुझे कार बनाएं, जहाज बनाएं, पर उन्होंने मुझे पैदल तो नहीं किया।
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वहीं आज पार्टी कार्यालय पर चहल पहल तो थी पर पुराने कांग्रेसी बहुत कम दिखाई दिए। पार्टी के काफी सारे प्रवक्ता भी नदारद थे और फोन पर उन्होंने कहा कि कोई विशेष कार्यक्रम नहीं है और प्रेस नोट शाम तक पहुंच जाएगा।
हालांकि कांग्रेस के कार्यालय पर ज्यादा संख्या में युवक और छोटे कार्यकर्ता दिखाई दिए जिनका पूरा ध्यान बब्बर के साथ 'सेल्फी' लेने में था। बब्बर ने उन्हें निराश नहीं किया और करीब पौन घंटे तक कार्यालय के प्रांगण में 'सेल्फी' खिंचवाई।
'राज्य में अकेले चुनाव लड़े पार्टी'
उधर कार्यकर्ताओं और पूर्व विधायकों, सांसदों का भी मानना है कि 2019 में कांग्रेस को अकेले चुनाव मैदान में उतरना चाहिए और गठबंधन से परहेज करना चाहिए। कांग्रेस पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी ने कहा कि पार्टी जमीनी स्तर पर काफी कमजोर हो चुकी है और इसे मजबूत करने के लिए हमे 2019 का चुनाव अकेले लड़ना चाहिए। हम तो 2017 में भी अकेले लड़ना चाहते थे पर आला कमान का निर्णय सर्वोपरि होता है।
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एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि निचले स्तर का छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी गठबंधन नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि 2017 के चुनावों से विधायकों, पूर्व विधायकों और संभावित उम्मीदवारों को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने बैठा कर कहलवाया गया कि उन्हें सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने में कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि बाहर निकलने के बाद सबने एक सुर में पार्टी के इस निर्णय पर आपत्ति उठाई थी, लेकिन आला कमान की आगे किसकी चलती है।
'2017 में गठबंधन करना पार्टी की मजबूरी थी'
हालांकि एक और पूर्व विधायक ने कहा की 2017 में पार्टी उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं थी। पार्टी आर्थिक रूप से उतनी मजबूत नहीं है जितनी बीजेपी, सपा और बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियां थीं और हैं। यहां के चुनावों के ठीक बाद गुजरात का चुनाव था और आला कमान ने वहां पर ध्यान केन्द्रित करना बेहतर समझा और सपा से गठबंधन करना उस वक्त मजबूरी थी।
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उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ जहां पार्टी को फंड्स की जरूरत है, वहीं दूसरी तरफ एक ऐसे प्रदेश अध्यक्ष की जरुरत है जो प्रदेश में रहे और पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर मजबूत करे, पार्टी के लिए फंड्स की व्यवस्था करे और पार्टी के कार्यों का मजबूती से प्रबंधन करे।
उधर पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हिलाल नकवी ने कहा कि अकेले लड़ने की वकालत की। 1996 में पहली बार पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन किया और तबसे पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर नुकसान होना शुरू हो गया। अभी पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर मजबूत करने की जरूरत है और किसी भी सूरत में 2019 में पार्टी को अकेले लड़ना चाहिए।