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आम चुनाव बिहार: क्या ध्वस्त हो सकता है चित्तौड़गढ़?

औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- कुटुम्बा, औरंगाबाद, रफीगंज, गुरुआ, इमामगंज और टिकारी। इनमें से दो सीटें कुटुम्बा और इमामगंज रिजर्व सीटें हैं। 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में इन 6 सीटों में से दो कांग्रेस, दो जेडीयू, 1 बीजेपी और एक सीट हम के खाते में गई। हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इमामगंज सीट से विधायक चुने गए।

Shivakant Shukla
Published on: 8 April 2019 4:35 PM IST
आम चुनाव बिहार: क्या ध्वस्त हो सकता है चित्तौड़गढ़?
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बिहार: चुनावी क्रम के प्रथम चरण में बिहार में चार जगह औरंगाबाद गया नवादा और जमुई में चुनाव होना है। एक नजर डालते हैं औरंगाबाद संसदीय सीट पर और देखते हैं यहां का चुनावी समीकरण...

क्या ध्वस्त हो सकता है चित्तौड़गढ़?

इस लोकसभा को चित्तौड़गढ़ का नाम दिया जाता है क्योंकि आजादी के बाद से यहां राजपूत उम्मीदवार ही चुनाव जीते हैं एवं इस लोकसभा में राजपूत मतों का प्रभाव रहता है।

लेकिन इस चुनाव में भाजपा के राजपूत सांसद सुशील कुमार सिंह एवं विपक्षी पार्टी के बैकवर्ड उम्मीद्वार उपेंद्र प्रसाद के बीच कांटे का टक्कर प्रतीत हो रहा है।

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यह लोकसभा राजपूत, यादव, कुशवाहा, मुस्लिम एवं एस.सी बाहुल्य है। इस लोकसभा में ज्यादातर चुनाव में आमने सामने राजपूत उम्मीदवार ही रहते थे। पर इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। महागठबंधन ने कांग्रेस के मजबूत राजपूत नेता निखिल कुमार के बदले हम पार्टी को लड़ने के लिए टिकट दिया है। हम पार्टी के उपेंद्र प्रसाद को यादव एवं मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिलने की पूरी संभावना है।

पिछले चुनाव में कुशवाहा मत जदयू के बागी कुमार वर्मा एवं भाजपा के पाले में गया था। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कुशवाहा मत जातिगत आधार पर एवं उपेंद्र कुशवाहा से गठबंधन के कारण रालोसपा के उपेंद्र प्रसाद को मिलता है या फिर भाजपा के राजपूत सांसद सुशील कुमार सिंह को। कुशवाहा मत हम के उपेंद्र प्रसाद के पाले में जाने की ज्यादा संभावना है।

इस लोकसभा के पड़ोसी सासाराम (सु.) लोकसभा में मजबूत जाटव नेता मीराकुमार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं एवं बगल की गया (सु.) लोकसभा में हम पार्टी के मुखिया जीतनराम मांझी चुनाव लड़ रहे हैं। इस लोकसभा में मीराकुमार एवं जीतनराम मांझी की जाति के मत ठीक हैं। अगर इनकी जातियों का मत महागठबंधन के हम पार्टी के उम्मीद्वार उपेंद्र प्रसाद को मिलता है तो भाजपा के सांसद सुशील कुमार सिंह को हार का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि भाजपा के सुशील कुमार सिंह चुनावी तोड़फोड़ में माहिर आदमी माने जाते हैं एवं ये हवा का रुख मोड़ सकते हैं।

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औरंगाबाद क्यों है खास?

औरंगाबाद दक्षिणी बिहार में जीटी रोड पर स्थित जिला है। यह मगध संस्कृति का केंद्र माना जाता है। औरंगाबाद सूर्यदेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। राजपूत बहुल औरंगाबाद को बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है।

औरंगाबाद महान मगध साम्राज्य का केंद्र रहा है। बिम्बिसार, अजातशत्रु, चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक जैसे शासकों ने यहां राज किया। मध्यकाल में शेरशाह सूरी के काल में रोहतास सरकार के नाम से इस इलाके का सामरिक महत्व फिर से स्थापित हुआ। मुगल शासन में यहां अफगान शासक टोडरमल के कारण अफगान संस्कृति का भी प्रभाव देखा जाता है।

आद्री समेत कई नदियों के पानी से सिंचित ये इलाका काफी उर्वर इलाका माना जाता है। धान-गेंहू यहां प्रमुखता से उगाया जाता है। 25 लाख की आबादी वाले औरंगाबाद में औसत साक्षरता दर है 70.32 फीसदी।

आजादी से अब तक का चुनावी हाल

1950 से अबतक यहां से सिर्फ राजपूत उम्मीदवार ही चुनाव जीते हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह औरंगाबाद से 7 बार लोकसभा चुनाव जीते। उनके बेटे निखिल कुमार और बहू श्यामा सिंह भी यहीं से जीतकर सांसद बने। 2009 और 2014 के चुनाव में यहां से सुशील कुमार सिंह जीते। यहां की 6 विधानसभा सीटों में 2-2 कांग्रेस-जेडीयू, 1-1 BJP-हम के पास है। हिंदुस्तान अवाम मोर्चे के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी यहां की इमामगंज सीट से विधायक हैं।

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

औरंगाबाद संसदीय सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह और उनके परिवार का इस सीट पर दबदबा माना जाता है। आजादी के बाद 1950 के पहले चुनाव में यहां से सत्येंद्र नारायण सिंह जीतकर लोकसभा पहुंचे। उन्होंने इस सीट से 7 बार लोकसभा चुनाव जीता। उनके परिवार से 1999 में कांग्रेस की श्यामा सिंह, फिर 2004 में निखिल कुमार जीते। तीन चुनावों में ये सीट जनता दल के हाथ में गई। 1998 में समता पार्टी के सुशील कुमार सिंह इस सीट से जीतने में कामयाब रहे। 2009 के चुनाव में सुशील कुमार सिंह ने जेडीयू और 2014 में बीजेपी के टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की।

औरंगाबाद सीट का समीकरण

औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- कुटुम्बा, औरंगाबाद, रफीगंज, गुरुआ, इमामगंज और टिकारी। इनमें से दो सीटें कुटुम्बा और इमामगंज रिजर्व सीटें हैं। 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में इन 6 सीटों में से दो कांग्रेस, दो जेडीयू, 1 बीजेपी और एक सीट हम के खाते में गई। हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इमामगंज सीट से विधायक चुने गए।

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शशि शंकर सिंह (राजनीतिक विश्लेषक)



Shivakant Shukla

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