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क्या जमुई लोकसभा में बुझ जाएगा लोजपा का 'चिराग'

जमुई सुरक्षित सीट पर वोटरों की कुल संख्या 1,404,016 है। इसमें से महिला मतदाता 651,501 हैं जबकि 752,515 पुरुष मतदाता हैं। जमुई संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- तारापुर, शेखपुरा, सिकंदरा, जमुई, झांझा और चकई. इनमें से 4 विधानसभा सीटें जमुई जिले में आती हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 8 April 2019 3:23 PM IST
क्या जमुई लोकसभा में बुझ जाएगा लोजपा का चिराग
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बिहार: जमुई (सु.)लोकसभा सीट बिहार के प्रथम चरण में झारखंड से सटे यादव, राजपूत, कुशवाहा, वैश्य, धानुक, एससी और मुस्लिम बाहुल्य है। 2014 में यहां से सांसद चुने गए एलजेपी के चिराग पासवान चिराग पासवान रामविलास पासवान के पुत्र हैं। चिराग ने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ सियासत में कदम रखा और जमुई से जीतकर लोकसभा पहुंचे।

...तो क्या बुझ जाएगा लोजपा का चिराग

जमुई लोकसभा में लोजपा के युवा नेता एवं सांसद चिराग पासवान एवं रालोसपा के भूदेव चौधरी के बीच में कांटे का चुनाव देखने को मिल रहा है। लोजपा के युवा सांसद चिराग पासवान की लड़ाई शुरू में बहुत ही आसान प्रतीत हो रही थी, पर स्थानीय राजपूत नेताओं के विरोध के कारण इनकी लड़ाई कमजोर हो रही है।

वैशाली लोकसभा से निवर्तमान लोजपा सांसद रमा सिंह एवं स्थानीय नेता एवं पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र सुमित कुमार सिंह से चिराग पासवान के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। ये दोनो राजपूत नेता क्षेत्र में सक्रिय हैं एवं हवा के विपरीत राजपूत मतों को रालोसपा के भूदेव चौधरी के पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं।

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इस लोकसभा में कुशवाहा नेता शकुनी चौधरी एवं सम्राट चौधरी को खगड़िया लोकसभा से टिकट नहीं मिलने का प्रभाव प्रतीत हो रहा है एवं अधिकतर कुशवाहा मत रालोसपा की ओर प्रतीत हो रहे हैं। अगर चुनाव के अंतिम समय तक राजपूत एवं कुशवाहा मत चिराग पासवान की अपेक्षा रालोसपा के भूदेव चौधरी को ज्यादा मिलता है तो जमुई (सु.) लोकसभा में लोसपा का चिराग बुझ सकता है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते दिनों चिराग पासवान के पक्ष में एक रैली को संबोधित कर चुके हैं।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

जमुई (सु.) लोकसभा सीट तीन जिलों जमुई, मुंगेर और शेखपुरा के इलाकों को मिलाकर बना है। इसलिए समय-समय पर परिसीमन के साथ ही इस सीट का अस्तित्व भी बनते-बिगड़ते रहा है। जमुई सीट पर पहली बार 1962 में चुनाव हुआ था। 1962 और 1967 के चुनाव में जमुई सीट पर कांग्रेस जीती। इसके बाद 1971 में सीपीआई के भोला मांझी यहां से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। फिर इस सीट के इलाके अलग-अलग सीटों में शामिल कर लिए गए। इसके बाद 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में जमुई सीट फिर से अस्तित्व में आई।

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जमुई सीट का समीकरण

जमुई संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- तारापुर, शेखपुरा, सिकंदरा, जमुई, झांझा और चकई. इनमें से 4 विधानसभा सीटें जमुई जिले में आती हैं। जबकि एक मुंगेर और एक शेखपुरा जिले में। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 2-2 सीटें जेडीयू-आरजेडी के खाते में जबकि 1-1 सीट बीजेपी और कांग्रेस के खाते में गई थी।

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शशि शंकर सिंह (राजनीतिक विश्लेषक)



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Shivakant Shukla

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