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विश्व पटल पर फैला रखा है इन बाबाओं ने अपना साम्राज्य, हैं अकूत संपत्ति के स्वामी

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Published on: 2 Sept 2017 1:42 PM IST
विश्व पटल पर फैला रखा है इन बाबाओं ने अपना साम्राज्य, हैं अकूत संपत्ति के स्वामी
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नई दिल्ली: देश में बाबाओं की कमी नहीं है। हर शहर में कोई न कोई ऐसा बाबा जरूर मिल जाता है, जिसके पास लोग अपनी समस्याओं का निदान करने पहुंचते हैं। बाबाओं की फेहरिस्त में तमाम ऐसे भी हैं, जो अकूत संपत्ति के मालिक हैं। इसमें संदेह नहीं कि ये बाबा भारी-भरकम फालोइंग रखने वाले हैं। सभी बाबा या आध्यात्मिक गुरु मामूली या गुमनाम से बैकग्राउंड से निकलकर विश्व पटल पर अपना साम्राज्य फैलाए हुए हैं।

निर्मल बाबा

चमत्कार के मामले में निर्मल बाबा का खास स्थान है। ये कभी गोलगप्पे, कभी हरी चटनी, महंगा पेन तो कभी काले पर्स जैसे विचित्र तरीकों से अपने अनुयायियों के संकट का समाधान करने की वजह से चर्चा में आए। इनके समागमों में हिस्सा लेने वालों से मोटी फीस वसूली जाती है। ढेर सारे टीवी चैनलों पर पहले हर रोज दिखाई पड़ते थे। ये झारखंड के बड़े नेता इन्दर सिंह नामधारी के सगे साले हैं। निर्मल बाबा का बुरा समय तब आया जब इनके खिलाफ लखनऊ व अन्य जगहों पर धोखाधड़ी व ठगी के मामले दर्ज हुए। बहरहाल निर्मल बाबा अपने प्रवचनों के जरिये लगभग 238 करोड़ की संपत्ति इकठ्ठा कर चुके हैं।

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बाबा राम देव

रामकृष्ण यादव जिन्हें पूरी दुनिया बाबा राम देव के नाम से जानती है, अपनी योग विद्या और बिजनेस साम्राज्य के लिए मशहूर हैं। बाबा तकरीबन 6000 करोड़ की संपत्ति के पतंजलि साम्राज्य के कर्ताधर्ता हैं। दिव्य फार्मेसी, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क लिमिटेड, पतंजलि विश्वविद्यालय उनकी आय के बड़े स्रोत हैं। इनके योगा व स्वास्थ्य केंद्र दुनियाभर में फैले हुए हैं। बाबा पूरी दुनिया में योग शिविर लगाते रहते हैं। उनके योग शिविरों में काफी भीड़ उमड़ती है। बाबा राजनीतिक रूप से भी सक्रिय रहते हैं। उनके देश के कई राजनेताओं से नजदीकी रिश्ते हैं।

श्री श्री रविशंकर

श्री श्री रविशंकर बेहद लोकप्रिय और प्रसिद्ध भारतीय गुरुओं में एक माने जाते हैं। वैसे इनके ज्यादातर अनुयायी उच्च या उच्च मध्यम वर्ग के लोग हैं। रविशंकर का ‘आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन’ दुनिया भर में चलता है। इसके अलावा इनके 11 अन्य ट्रस्ट हैं। बताया जाता है कि 144 देशों में इनके लगभग 37 करोड़ प्रशंसक हैं। ट्विटर पर इनके 14 लाख फालोअर हैं। इनका मुख्यालय बंगलुरु में 65 एकड़ में फैला हुआ है। रविशंकर को उनके प्रशंसक हर साल अरबों रुपए दान में देते हैं और इनकी सलाना कमाई लगभग 1000 करोड़ है। रविशंकर की आमदनी आर्ट ऑफ लिविंग के वर्कशॉप्स, कॉस्मेटिक्स व हेल्थ प्रोडक्ट और स्वास्थ्य केंद्रों से होती है। श्री श्री के उत्पादों में देसी घी, चाय, शैम्पू, टूथपेस्ट वगैरह शामिल हैं।

माता अमृतानंदमयी

माता अमृतानंदमयी आध्यात्मिक शिक्षक हैं। उनके तीन करोड़ से ज्यादा प्रशंसक उन्हें संत मानते हैं। उन्हें दुनिया भर में अम्मा या माता के रूप में जाना जाता है। उनके पास लोग सहजता से दु:खों का निवारण करने आते हैं। इनका अमृतानंदमयी नाम का एक ट्रस्ट है। समझा जाता है कि इनके पास 1700 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है। इनकी आमदनी के मुख्य स्रोत स्कूल, कॉलेज और टीवी चैनल हैं। इन पर कई आरोप भी लगे हैं। १९85 में केरल के तर्कवादी कार्यकर्ता ने आरोप लगाया था कि अमृतानंदमयी के ‘चमत्कार’ फ्राड हैं। 2002 में एक मलयाली अखबार ने आश्रम के इर्दगिर्द हुई रहस्यमय मौतों का मसला उठाया था।

महर्षि महेश योगी

महॢष महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के पास पांडुका गांव में हुआ था। 2008 में इनका निधन हो गया। वेद और आयुर्वेदिक चिकित्सा में माहिर महॢष महेश योगी के करोड़ों प्रशंसक रहे। वे ट्रान्सेंडैंटल मैडिटेशन प्रोग्राम के स्थापक भी थे। महेश योगी की संपत्ति दुनिया भर में फैली हुई है। इनका बिजनेस साम्राज्य 10 अरब डॉलर का बताया जाता है।

पॉल दिनाकरण

पॉल दिनाकरण दक्षिण भारत में काफी चर्चित हैं। 49 वर्ष के पॉल तमिलियन इसाई उपदेशक हैं, जो यीशु और उनके चमत्कारी किस्सों के बारे में लोगों को बताते हैं। इनके दो टीवी चैनल हैं। दुनिया भर में इनके लाखों अनुयायी फैले हुए हैं। समझा जाता है कि पॉल 5000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं।

सत्य साईं बाबा

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर से आने वाले सत्य साईं बाबा अपने आध्यात्मिक उपदेशों और चमत्कारों के लिये विख्यात रहे हैं। इनके निधन के बाद पुट्टपर्ती में इनके आश्रम के निजी कक्षों से 18 किलो सोना, 11.56 करोड़ की नकदी और 307 किलो चांदी बरामद की गई थी। सत्य साईं बाबा की कुल संपत्ति लगभग 40.000 करोड़ मानी जाती है।

राधे मां

मीडिया की सुर्खियों में रहने वाली राधे मां की जिन्दगी का सफर किसी फिल्मी कहानी सरीखा है। पंजाब के एक साधारण से परिवार में जन्मी सुखविन्दर कौर आज राधे मां के रूप में चर्चित हैं और उनके आगे-पीछे भक्तों का हुजूम जुटा रहता है। राधे मां की शादी १८ साल की उम्र में मुकेरिया के मनमोहन सिंह से हुई थी। शादी के बाद उनके पति नौकरी के लिए दोहा चले गए। बदहाली के दिनों में सुखविंदर ने कपड़ों की सिलाई कर जिन्दगी काटी। जानकारों के अनुसार २१ साल की उम्र में सुखविंदर कौर महंत रामाधीन परमहंस की शरण में पहुंचीं। परमहंस ने ही छह महीने की दीक्षा के बाद उन्हें राधे मां का नाम दिया। राधे मां बनने के बाद पंजाब व हिमाचल में उनके काफी संख्या में भक्त बन गए।

विवादों से गहरा नाता: उनकी किस्मत तब चमकी जब वे करीब चौदह साल पहले मुम्बई पहुंची। वहां उनकी मुलाकात मुम्बई की मशहूर एमएम मिठाईवाला दुकान के मालिक एमएम गुप्ता से हुई। वे उन्हीं के बंगले पर रहने लगीं और फिर उन्हें चमत्कारी देवी बताया जाने लगा। राधे मां का विवादों से भी गहरा नाता है। राधे मां की भाभी बलविंदर कौर की हत्या के मामले में उनके भाई और पिता को सजा भी हो चुकी है। बलविंदर के भाई ने पिछले साल आरोप लगाया था कि उनकी बहन की हत्या में राधे मां भी शामिल थीं। उनके ऊपर धर्म के नाम पर अश्लीलता फैलाने का आरोप भी लग चुका है। उनके ही एक करीबी परिवार की बहू ने उनके ऊपर दहेज प्रताडऩा का आरोप लगाया है। उनके ऊपर तंत्र-मंत्र और काला जादू करने का आरोप भी लगता रहा है। अवैध संपत्ति जुटाने को लेकर भी राधे मां विवादित रही हैं। उनके नाम पर पंजाब, मुंबई, दिल्ली और कुछ अन्य राज्यों में ट्रस्ट चलते हैं। अमेरिका, कनाडा व जापान में भी उनके आश्रम हैं। उनके कार्यक्रमों का आयोजन शाही ढंग से होता है जिनमें वे दुल्हन की वेशभूषा में लाखों के गहने पहनकर पहुंचती हैं। राधे मां को लाल जोड़े से विशेष लगाव है और यही कारण है कि वे दर्शन देने के समय लाल जोड़े में ही दिखती हैं।

मोरारी बापू

65 वर्ष के मोरारी बापू अपने विशिष्ट अंदाज में रामकथा कहने के लिए मशहूर हैं। देश-विदेश के अलावा स्पेशल क्रूज़ जहाजों में मोरारी बापू के प्रवचन होते हैं। मोरारी बापू के करीब दो करोड़ प्रशंसक दुनिया भर में फैले हुए हैं। कथा और प्रवचन से वे सालाना करीबन 300 करोड़ की मोटी कमाई करते हैं। इनका अपना श्री सीताराम सेवा ट्रस्ट है।

रामवृक्ष यादव

खुद को बाबा जय गुरुदेव का चेला बताने वाले बाबा रामवृक्ष यादव ने आस्था की आड़ में काला साम्राज्य स्थापित कर रखा रहा था। खुद का अलग कानून बनाने का दावा करने वाला जवाहरबाग कांड का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव पुलिस से हुई भिड़ंत में मारा गया। इस भिड़ंत में एएसपी, थानेदार समेत पुलिस के चार जवान भी शहीद हुए। रामवृक्ष की ओर से मोर्चेबंदी करने वाले उसके 21 समर्थक भी मारे गए।

शातिर दिमाग रामवृक्ष धर्म की चादर ओढक़र अपराधजगत की हस्ती बन गया था जिसकी झलक मथुरा में दिखी। उसने अपराधियों का एक गैंग तैयार कर लिया था और भारी मात्रा में राइफलें,बंदूक व अन्य असलहे जुटा रखे थे। मथुरा को अपना केन्द्र बनाने वाला रामवृक्ष मूलत: गाजीपुर के मरदह थाना क्षेत्र का रहने वाला था। जानकारों के अनुसार उसकी नजर बाबा जयगुरुदेव की संपत्ति पर थी और वह उस पर कब्जा करना चाहता था।

बाबा परमानंद

बाबा परमानन्द के खिलाफ बाराबंकी में एक दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। रामशंकर तिवारी से बाबा बने परमानन्द की पोल पिछले साल तब खुली जब दो महिलाओं का वीडियो आश्रम से लीक हो गया। इसके बाद 24 मई 2016 को बाराबंकी पुलिस ने ढोंगी बाबा को मध्य प्रदेश में सतना से गिरफ्तार कर लिया। ढोंगी बाबा की शिकार ज्यादातर नि:संतान महिलाएं हुई। बेटा पैदा कराने के नाम पर परमानन्द महिलाओं का अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल भी किया करता था। बाराबंकी के देवा में मां काली हरई धाम आश्रम में बाबा परमानन्द महिला भक्तों से घिरा रहता था।

संत ज्ञानेश्वर

सुन्दर लेडी कमांडो के घेरे में रहने वाले सदानन्द तिवारी उर्फ संत ज्ञानेश्वर की 11 फरवरी 2006 की शाम इलाहाबाद के हंडिया में हत्या कर दी गयी। यह हमला एके-47, कारबाइन और ९ एमएम पिस्टल से किया गया था। इस हमले में संत ज्ञानेश्वर के अलावा उनकी चार शिष्याओं की भी मौत हुई थी। संगमनगरी में भगवाधारी साधु पर यह पहला हमला था। संत ज्ञानेश्वर और इसौली से विधायक चन्द्रभद्र सिंह के बीच बाराबंकी के आश्रम को लेकर विवाद था। 1999 में चंद्रभद्र के भाई इंद्रभद्र सिंह की सुल्तानपुर में बम मारकर हत्या कर दी गयी। इस हत्या में संत ज्ञानेश्वर का नाम सामने आया। इसी के बाद से चन्द्रभद्र सिंह उर्फ सोनू और यशभद्र सिंह उर्फ मोनू संत ज्ञानेश्वर को अपना दुश्मन मानने लगा। हंडिया में संत ज्ञानेश्वर की हत्या के आरोप में दोनों भाइयों को जेल की हवा भी खानी पड़ी। पुलिस रेकॉर्ड में संत ज्ञानेश्वर के खिलाफ हत्या के आठ मामलों के अलावा 15 मुकदमे दर्ज थे। इन मुकदमों में बिहार में गोपालगंज के डीएम महेश प्रसाद की हत्या का मामला भी शामिल था।



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