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फ़ेहरिस्त में शामिल हैं कई हस्तियों के नाम, मेहनत नहीं कुर्सी के लिए भाग्य बड़ी चीज़

‘‘मियां मैं शेर हूं, शेरों की गुर्राहट नहीं जाती - मैं लहजा नर्म भी कर लूं तो झुंझलाहट नहीं जाती।’’ मुनव्वर राणा का ये शेर उस वक्त बेमानी साबित हुआ जब उन्होंने सत्ता के केंद्रों में दौड़ लगा कर उर्दू अकादमी के चेयरमैन की कुर्सी हासिल की। लेकिन, लहजा नर्म कर जिस कुर्सी को काफी मेहनतों के बाद हासिल किया था वो जाती रही।

zafar
Published on: 20 Oct 2016 4:14 PM IST
फ़ेहरिस्त में शामिल हैं कई हस्तियों के नाम, मेहनत नहीं कुर्सी के लिए भाग्य बड़ी चीज़
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लखनऊ: किस्मत में अगर है राजयोग तो घर बैठे मिलती है कुर्सी। यूपी में ऐसा ही है। यहां ऐसे नसीब वालों की लंबी फेहरिस्त है। मुशायरों में सियासतदानों पर मजाहिया अंदाज में तंज कसने वाले मुनव्वर राणा, नवाज देवबंदी, वसीम बरेलवी ने सियासतदानों के कन्धों का सहारा लेकर लाल बत्ती का सफर तय किया। इस फेहरिस्त में कई नामी हस्तियां हैं जो अचानक फील्ड बदल कर सियासत के मैदान में उतरीं। और आगे ही बढ़ती चली गईं। कवि उदय प्रताप सिंह, बिजनेसमैन संजय सेठ, रेडियो जॉकी नावेद सिद्दीकी और मौलाना जावेद आब्दी भी वह नाम हैं जिन्होंने फील्ड बदल कर कामयाबी की नई दास्तान लिख दी है।

बदल गए लहजे

‘‘मियां मैं शेर हूं, शेरों की गुर्राहट नहीं जाती - मैं लहजा नर्म भी कर लूं तो झुंझलाहट नहीं जाती।’’ मुनव्वर राणा का ये शेर उस वक्त बेमानी साबित हुआ जब उन्होंने सत्ता के केंद्रों में दौड़ लगा कर उर्दू अकादमी के चेयरमैन की कुर्सी हासिल की। शुरू में तो झुंझलाहट नहीं आई लेकिन जैसे जैसे वक्त गुजरा, झुंझलाहट भी बढ़ती गई। लहजा नर्म कर जिस कुर्सी को काफी मेहनतों के बाद हासिल किया था वो जाती रही।

यही वह वक्त था जब अखिलेश सरकार में सबसे ताकतवर वजीर आजम खान की माताश्री का देहांत हुआ था। शोक प्रकट करने के लिए तमाम लोगों के साथ नवाज देवबंदी भी पहुंचे। गमजदा आजम खान की मां की शान में नवाज देवबंदी ने दो शेर कह दिए। फिर क्या था। खान साहब मेहरबान हो गए। नवाज देवबंदी को उर्दू अकादमी का चेयरमैन बना कर कद्रदान बना दिया। अब नवाज देवबंदी अक्सर आजम खान के साथ अखिलेश सरकार की शान में कसीदे पढ़ते सुनाई पड़ते हैं।

इस फेहरिस्त में वसीम बरेलवी का नाम भी शामिल है। किस्मत में राजयोग था। जब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने विधान परिषद के लिए नामित किए जाने वाले आठ सदस्यों की सूची तैयार की तो उसमें वसीम बरेलवी का नाम शामिल नहीं था। लेकिन राज्यपाल ने राजयोग के धनी वसीम बरेली की किस्मत का दरवाजा खोल दिया। लिस्ट में से चार नाम रिजेक्ट कर दिए। बस यही मौका था जब वसीम बरेलवी का नाम इस सूची में जोड़ दिया गया और वह विधान परिषद पहुंच गए।

किस्मत के धनी

किस्मत के मामले में बिल्डर से राज्यसभा सांसद बने संजय सेठ का किसी से मुकाबला नहीं है। संजय सेठ की किस्मत का ताला भी राज्यपाल ने खोला। एक नहीं, दो-दो बार विधान परिषद सदस्य बनाने के लिए राजभवन नाम भेजा गया लेकिन राज्यपाल राम नाइक सहमत नहीं हुए। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी हो चुके संजय सेठ को खुद इस बात का यकीन नहीं था कि उनको राज्यसभा भेजा जा सकता है। लेकिन किस्मत में राजयोग था सो उन्हें नेताजी का आशीर्वाद मिला। वह न सिर्फ राज्यसभा सांसद बने बल्कि पार्टी के कोषाध्यक्ष की महत्वपूर्ण कुर्सी भी उन्हें सौंपी गई।

शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के बहनोई होने का फायदा प्रोफेसर कमालुददीन अकबर को मिला। जिन्हें शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। लेकिन अपनी ईमानदारी के लिए पहचाने जाने वाले कमालुद्दीन अकबर ने पद से इस्तीफा दे दिया। यह दौर मायावती राज का था। इसके बाद वसीम रिजवी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन बने। 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के सत्ता में आते ही कल्बे जव्वाद का मंत्री आजम खान से विवाद शुरू हुआ।

किसी ने इसको हवा दी तो किसी ने आग में घी डालने का काम किया। नतीजा यह रहा कि वसीम रिजवी की कुर्सी तो सलामत ही रही। साथ ही कल्बे जव्वाद के विरोधी हैदर अब्बास को सूचना आयुक्त की कुर्सी तोहफे में थमा दी गई। आजम खान की तरफ से मोर्चा वसीम रिजवी ने आज भी संभाल रखा है।

जावेद आब्दी कहने को मौलवी थे लेकिन उनकी कोशिश कुर्सीनशीनों के इर्द गिर्द बने रहने की होती थी। यही वजह थी कि जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ऑस्ट्रेलिया में थे तब से जावेद आब्दी उनके आसपास रहा करते थे। नतीजे में उन्हें लाल बत्ती मिली। सत्ता में आने के बाद अखिलेश यादव ने उन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का चेयरमैन बना दिया।

रेडियो जॉकी नावेद सिद्दीकी की किस्मत 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले उस वक्त खुल गई थी जब उन्होंने समाजवादी रथ यात्रा के समय कार्यक्रमों का संचालन किया। नावेद सिद्दीकी की आवाज का जादू सीएम के सर पर ऐसा चढ़ा कि अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो नावेद चेयरमैन राज्य ललित कला अकादमी की कुर्सी पर विराजमान हो गए।

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