राजस्थान में इन सीटों पर BJP को मोदी तो कांग्रेस को जातिगत समीकरण का सहारा

यहां भाजपा जहां मोदी के नाम पर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश कर रही है तो कांग्रेस जातिगत समीकरणों के सहारे भाजपा के मुकाबले में डटी है। इन सीटों में राजस्थान की एससी और एसटी के लिए आरक्षित कुल सात सीटों में से पांच आती हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 5 May 2019 10:59 AM GMT
राजस्थान में इन सीटों पर BJP को मोदी तो कांग्रेस को जातिगत समीकरण का सहारा
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जयपुर: राजस्थान में लोकसभा चुनावों के दूसरे और अंतिम चरण में सोमवार को 12 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। यह सीटें हैं श्रीगंगानगर, बीकानेर, चुरू, झुंझुनुं, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर शहर, अलवर, भरतपुर,करौली-धौलपुर,दौसा और नागौर। यह सीटें कुछ मामलों में बड़ी खास हैं।

यहां भाजपा जहां मोदी के नाम पर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश कर रही है तो कांग्रेस जातिगत समीकरणों के सहारे भाजपा के मुकाबले में डटी है। इन सीटों में राजस्थान की एससी और एसटी के लिए आरक्षित कुल सात सीटों में से पांच आती हैं।

जिनमें एससी के लिए आरक्षित चारों लोकसभा सीटों श्रीगंगानगर, बीकानेर, भरतपुर, धौलुपर-करौली के साथ एसटी के लिए आरक्षित मीणा बहुल दौसा की सीट है। जबकि राजस्थान में जाट हार्टलैंड मानी जाने वाली नागौर के साथ शेखावाटी की तीनों जाट बहुल सीटें सीकर, चूरू और झुंझुनुं शामिल हैं।

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सन 2011 की जनगणना के मुताबिक राजस्थान में दलितों की कुल आबादी- 1 करोड 22 लाख 21 हजार 593 है जो राजस्थान की कुल जनसंख्या का 17.8 प्रतिशत है। राजस्थान के 12 जिलों श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, बीकानेर, नागौर, चूरू, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, टोंक, कोटा में दलित कुल आबादी का 20 फीसदी से ज्यादा हैं।

प्रदेश के दलितों की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा श्रीगंगानगर में 36.6 प्रतिशत है। इसके बाद हनुमानगढ में 27.7 प्रति, बीकानेर 28.9 प्रति, चूरू 22.1 प्रति, करौली 24.3 प्रति, भरतपुर 21.9 प्रतिशत है। यह सभी जिले दूसरे चरण के चुनाव में आते हैं।इन चुनाव क्षेत्रों में एससी की आबादी को देखते हुए बसपा ने भी अपनी ताकत अलवर, भरतपुर जैसी कुछ सीटों पर झोंक दी है।

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राजस्थान में एसटी जनसंख्या 92 लाख 16 हजार 312 है। प्रदेश में एसटी कुल आबादी का 13.5 प्रतिशत हैं। दौसा एसटी के लिए सुरक्षित है। पूर्वी राजस्थान के मीणावाटी क्षेत्र के दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर जिले विशेष असरदार हैं इन तीन जिलों में मीणा कुल आबादी का 20 से 26 फीसदी हैं। जाट हार्टलैंड नागौर के साथ ही शेखावाटी की तीनों जाट बहुल सीटों सीकर, चूरू और झुंझुनुं में भी छह मई को वोट पड़ेंगे। ऐसे में दूसरे चरण का चुनाव मोदी बनाम जातिगत समीकरणों की बिसात पर लड़ा जाएगा ।

राजस्थान में पहले चरण में 29 अप्रेल को हुए चुनावों में वैसे तो तेरह सीटों पर वोट पड़े लेकिन सबकी नज़रें दो सीटों जोधपुर और झालावाड़-बारां पर टिकी रहीं। कारण रहा इन सीटों पर दो मुख्यमंत्री पुत्रों का चुनावी समर में उतरना। जोधपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफचुनाव में उतर कर अपनी राजनीतिक पारी का आगाज़ किया है। वहीं मारवाड़ की ही बाड़मेर सीट पर भाजपा के दिग्गज नेता रहे जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र भी अपने पिता की विरासत को आगे बढाने के लिए चुनाव में उतरे। पिछले चुनाव में जसवंत सिंह यहां निर्दलीय चुनाव हार गए। लेकिन वे चार लाख से भी ज्यादा वोट ले गए थे।

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Shivakant Shukla

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