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कानपुर की तीन लोकसभा सीटों से अब तक चार ही महिला पहुंच सकी संसद

देश में आजादी के बाद कानपुर मंडल की तीन लोकसभा सीट से अब तक चार ही महिलाएं दिल्ली पहुंचने में सफल हो पाई। यह महिलाएं अलग-अलग लोकसभा सीटों से अलग-अलग समय पर संसद पहुंची। अंतिम बार भाजपा से अंजू बाला संसद पहुंचने वाली महिला हैं जो पिछले लोकसभा चुनाव में सांसद बनी थीं।

Aditya Mishra
Published on: 28 April 2019 2:39 PM GMT
कानपुर की तीन लोकसभा सीटों से अब तक चार ही महिला पहुंच सकी संसद
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धनंजय सिंह

लखनऊ: देश में आजादी के बाद कानपुर मंडल की तीन लोकसभा सीट से अब तक चार ही महिलाएं दिल्ली पहुंचने में सफल हो पाई। यह महिलाएं अलग-अलग लोकसभा सीटों से अलग-अलग समय पर संसद पहुंची। अंतिम बार भाजपा से अंजू बाला संसद पहुंचने वाली महिला हैं जो पिछले लोकसभा चुनाव में सांसद बनी थीं।

17वीं लोकसभा के के चौथे चरण के तहत कानपुर नगर जनपद में 29 अप्रैल को मतदान होने जा रहा है। जनपद की तीन लोकसभा सीट में हर बार की भांति इस बार भी महिला उम्मीदवार न के बराबर है। हालांकि इस बार अकबरपुर सीट से बसपा कोटे से गठबंधन उम्मीदवार निशा सचान, मिश्रिख सीट से बसपा से डॉ. नीलू सत्यार्थी और इसी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार मंझरी राही चुनाव मैदान में हैं।

तीनों लोकसभा सीटों के अब तक आये चुनाव परिणामों में चार ही महिला संसद पहुंचने में कामयाब हो सकीं। जिनमें तीन महिला कानपुर नगर की हैं और एक महिला अंजू बाला हरदोई की रहने वाली है।

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पहली जीत सुशीला रोहतगी के नाम

2009 के पूर्व कानपुर जनपद में बिल्हौर लोकसभा सीट हुआ करती थी जो अब अकबरपुर के नाम से जानी जाती है। बिल्हौर सीट से अब तक सिर्फ एक महिला उम्मीदवार सुशीला रोहतगी ही दो बार सांसद चुनी गयीं।

इसके बाद फिर किसी को यह सौभाग्य नहीं मिल सका। वर्ष 1967 में पहली बार बिल्हौर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर सुशीला रोहतगी ने चुनाव लड़कर विजय श्री हासिल की।

इसके बाद कांग्रेस ने वर्ष 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में भी रोहतगी को उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में भी वह बाजी मार ले गयीं। देश में इंदिरा सरकार द्वारा लगाया गया आपात काल जब हटाया गया और आम चुनाव की घोषणा की गयी तो वर्ष 1977 में बिल्हौर सीट पर कांग्रेस ने एक बार फिर सुशीला रोहतगी पर दांव लगाया मगर वह हैट्रिक नहीं बना सकीं। इस सीट से जनता पार्टी की टिकट से चुनाव लड़े चौधरी रामगोपाल यादव सांसद चुने गये।

मंत्री बनने वाली अब तक की इकलौती महिला

सुशीला रोहतगी जनपद की एकमात्र महिला सांसद है जो मंत्री भी बनी। रोहतगी को इंदिरा सरकार में वित्त उप मंत्री के पद से नवाजा गया था। 1977 में चुनाव हारने के बाद उन्हे राज्यसभा से सांसद बना दिया और 1980 में कांग्रेस की सरकार वापसी पर उन्हे गृह राज्य मंत्री भी बनाया गया।

वहीं इस सीट से रोहतगी के अलावा आज तक कोई भी केन्द्र सरकार में मंत्री बनने में सफल नहीं हो सका। जबकि पहली बार 1957 में कांग्रेस से जगदीश अवस्थी चुनाव जीते। इसके बाद कांग्रेस से बृज बिहारी मेहरोत्रा भी सांसद चुने गये। 1977 में जनता पार्टी के केन्द्र में सरकार बनी और यहां से चौधरी रामगोपाल यादव रोहतगी को हराकर सांसद बने थे।

इसके बाद 1980 में केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बनी और यहां से कांग्रेस के रामनारायण त्रिपाठी विजयी हुए थे। देश में बोफोर्स घोटाला का जिन्न लेकर आये विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जनता दल का गठन किया और यहां से अरुण नेहरु को चुनाव मैदान में उतार वह जीते भी।

केन्द्र में विश्वनाथ प्रताप की सरकार बनी पर उन्हे मंत्री बनने का अवसर नहीं मिला। हालांकि अरुण नेहरू राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में भी रह चुके थे।

इसके बाद वर्ष 1991 से लेकर 1996, 1998 व 1999 तक लगातार चार बार श्याम बिहारी मिश्र भाजपा से सांसद चुने गये। केन्द्र में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार भी रही पर उन्हे भी मंत्री बनने का अवसर नहीं मिल सका। वर्ष 2004 में बहुजन समाज पार्टी से राजाराम पाल को टिकट मिली और चुनाव जीते।

इसके बाद बसपा नेतृत्व से मतभेद होने के चलते राजाराम पाल ने बसपा छोड़ दी। वर्ष 2007 में बिल्हौर सीट पर उपचुनाव हुआ और बसपा ने अनिल शुक्ल वारसी को उम्मीदवार घोषित किया। इस चुनाव में अनिल शुक्ल वारसी चुनाव जीत भी गये।

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कानपुर नगर से सुभाषिनी अली बनी पहली महिला सांसद

कानपुर नगर सीट 1952 के पहले ही आम लोकसभा चुनाव में अस्तित्व में आ गयी थी। इस सीट से अब तक दो उप चुनाव सहित 18 चुनाव हो चुके हैं। लेकिन माकपा की सुभाषिनी अली ही एकमात्र महिला है जो दिल्ली पहुंचने में सफल रही। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर किसी महिला के संसद पहुंचने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि कोई महिला उम्मीदवार ही नहीं है। हालांकि मंत्री बनने के मामले में इस सीट से कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल जो इस बार भी चुनाव मैदान में है वह यूपीए वन व यूपीए टू में मंत्री रह चुके हैं।

घाटमपुर सीट से कमल रानी वरुण बनी सांसद

घाटमपुर लोकसभा सीट 2009 के परिसीमन के बाद अपना अस्तित्व खो चुकी है और इसकी एक विधानसभा घाटमपुर को अकबरपुर लोकसभा सीट से जोड़ दिया गया है। इस सीट पर कमल रानी वरुण दो बार सांसद बनी। कमल रानी 1996 और 1998 में दिल्ली पहुंचने में सफल रही। लेकिन केन्द्र में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार होने के बाद भी उन्हे मंत्री पद नहीं मिल सका।

जबकि कमल रानी से पहले इस सीट पर वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद चुनाव लड़े थे और उन्हे हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि वह दौर राम मंदिर आंदोलन के चलते चुनाव भाजपामय था। कमल रानी वरुण इस समय भाजपा से घाटमपुर लोकसभा सीट से विधायक हैं।

मिश्रिख से अंजू बाला बनी सांसद

2009 में परिसीमन के चलते बिल्हौर विधानसभा को मिश्रिख लोकसभा सीट से जोड़ दिया गया। इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते अंजू बाला सांसद बनने में सफल रही। लेकिन इन्हे भी मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो सका।

यह हैं तीन लोकसभा सीटें

औद्योगिक नगरी कानपुर नगर में 10 विधानसभाएं हैं और तीन लोकसभा सीट हैं। जिनमें कानपुर नगर सीट पूरी तरह से जनपद से जुड़ी है और अकबरपुर सीट में चार विधानसभाएं कानपुर नगर जनपद की और एक विधानसभा अकबरपुर कानपुर देहात की है। इसी तरह बिल्हौर विधानसभा मिश्रिख लोकसभा में जुड़ती है।

2009 के पहले भी कानपुर नगर जनपद में तीन लोकसभाएं सीट हुआ करती थी। परिसीमन के चलते बिल्हौर सीट को खत्म कर दिया गया और उससे जुड़े क्षेत्र को अकबरपुर नाम दे दिया गया। इसके साथ ही बिल्हौर विधानसभा को मिश्रिख लोकसभा सीट से जोड़ दिया गया। वहीं घाटमपुर लोकसभा को भी खत्म कर दिया गया और इस सीट की घाटमपुर विधानसभा को अकबरपुर सीट में जोड़ दिया गया।

जबकि पहले घाटमपुर लोकसभा सीट जनपद के लिहाज से सिर्फ घाटमपुर विधानसभा ही इसमें जुड़ती थी बाकी की विधानसभाएं दूसरे जनपद की थी। इस प्रकार कानपुर नगर जनपद में पहले भी तीन लोकसभा सीटे हुआ करती थी और आज भी तीन लोकसभा सीटें हैं, सिर्फ परिसीमन के चलते नाम में अंतर हो गया है।

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Aditya Mishra

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