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70 फीसदी सीटों पर मतदान के बाद भी हीरो और जीरो का फर्क नहीं हुआ साफ

देश में चौथे चरण के मतदान के अंत तक करीब 70 फीसदी सीटों पर मतदान हो चुका है। लेकिन भाजपा का असली युद्ध अब शुरू होने जा रहा है। इस फेज के साथ ही 24 राज्यों (केंद्र शासित प्रदेश समेत)में आम चुनाव खत्म हो गए हैं।

Aditya Mishra
Published on: 30 April 2019 6:40 PM IST
70 फीसदी सीटों पर मतदान के बाद भी हीरो और जीरो का फर्क नहीं हुआ साफ
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रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: देश में चौथे चरण के मतदान के अंत तक करीब 70 फीसदी सीटों पर मतदान हो चुका है। लेकिन भाजपा का असली युद्ध अब शुरू होने जा रहा है। इस फेज के साथ ही 24 राज्यों (केंद्र शासित प्रदेश समेत)में आम चुनाव खत्म हो गए हैं, सिर्फ 12 राज्यों की 170 सीटों पर मतदान बचा है। इनमें सबसे ज्यादा 39 सीटें यूपी में, 24 सीटें प. बंगाल में, 23 सीटें मध्यप्रदेश में और 21 सीटें बिहार में बची हैं।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार चौथे चरण में इन स्थानों पर करीब 64.04 प्रतिशत मतदान हुआ है जो कि 2014 में हुए मतदान से करीब तीन प्रतिशत अधिक है।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा की परीक्षा होनी है जहां वह पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से हार गई थी। सोमवार को मध्य प्रदेश की छह और राजस्थान की 13 सीटों पर मतदान हुआ। प.बंगाल में भी भारी भरकम 76.4 प्रतिशत मतदान हुआ हालांकि यह 2014 में हुए 83.3 प्रतिशत मतदान से नीचे रहा।

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अगले तीन फेज में सबसे ज्यादा 39 सीटें यूपी और 24 बंगाल में हैं। अब तक चार फेज में से दो फेज में 2014 से कम वोटिंग हुई है और दो फेज में ज्यादा। आंकड़े बताते हैं कि पहले चरण में दस राज्यों की 91 सीटों पर 2014 में 72 प्रतिशत वोटिंग हुई थी जबकि इस बार 69,62 प्रतिशत मतदान हुआ।

इसी तरह दूसरे चरण में तीन राज्यों की 95 सीटों के लिए इस बार 69.17% मतदान हुआ जबकि 2014 में 65% मतदान हुआ था। इसी तरह तीसरे चरण में नौ राज्यों की 116 सीटों के लिए 2014 में 70.11 प्रतिशत मतदान हुआ था।

वहीं इस बार 67.99 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि सोमवार को संपन्न हुए दो राज्यों की 71 सीटों के लिए चौथे चरण के मतदान में 65.15% वोट पड़े हैं जबकि 2014 में 62.9% मतदान हुआ था।

मतदान का रुझान ओवरआल बढ़ा हुआ है जिसमें चुनाव आयोग के मतदान बढ़ाने के प्रयास, वोटर कार्ड का समय से करेक्शन नए मतदाताओं को समय से कार्ड जारी कर दिया जाना। मतदाता की जागरुकता आदि कारक महत्वपूर्ण हैं।

फिलहाल 70 फीसदी सीटों पर मतदान के बाद कोई भी दल यह कहने की स्थिति में नहीं है कि मतदाता उसके पक्ष में जा रहा है। क्योंकि पिछली बार जिस तरह से भाजपा और राजग को जीत मिली थी उसे देखते हुए यह कहना मुश्किल लग रहा है कि मतदाता ने इस बार भाजपा राजग विरोधी लहर के तहत वोट किया है। अब तक के चुनाव में यह बात सामने आयी है कि मोदी लहर अभी थमी नहीं है उसका करेंट बरकरार है।

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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन कह सकता है कि मतदाता उसके पक्ष में वोटिंग कर रहा है लेकिन 2014 में मतदाता ने जिस तरह इनका सफाया किया था उसे देखते हुए यह मान पाना भी मुश्किल है।

लेकिन यह बात अपनी जगह सही है कि इस बार भाजपा की राह 2014 की तरह आसान नहीं है। क्योंकि मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह भाजपा को टक्कर देकर शिकस्त दी।

यदि लोकसभा चुनाव में इसका असर रहा तो भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज सकती है। लेकिन यूपी में सपा बसपा और रालोद के अलावा कांग्रेस भी भाजपा के खिलाफ ताल ठोंके हुए है।

इसे देखते हुए मोदी विरोधी वोटों का बंटवारा तय है। इसमें कुछ अंश तक शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की भूमिका भी रहेगी। मुस्लिम जितना असमंजस में जाएंगे उनका वोट उतना ही बंटेगा।

अन्य राज्यों में भी भाजपा को कांग्रेस से सीधे तौर पर चाहे कोई खतरा न लग रहा हो लेकिन क्षेत्रीय दलों की चुनौती सबसे बड़ी है जो न तो भाजपा को घुसने दे रहे हैं और न ही कांग्रेस को। हालांकि प्रियंका गांधी वाडरा के आने के बाद कांग्रेस मजबूत हुई है और वह कई जगह लड़ाई में भी आ गई है।

इसलिए कुल मिलाकर अगले तीन चरणों में भी बंपर मतदान हुआ तो नतीजे घोषित होने तक सबकी रातों की नींद हराम हनी तय है। क्योंकि मतदाता मोदी के रामराज या कांग्रेस मोदी विरोध को या फिर सपा बसपा के महागठबंधन को कैसे लिया है यह ईवीएम खुलने पर ही साफ होगा।

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