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घर बैठे दुनिया की सैर कराती है ‘देश दर देश’

raghvendra
Published on: 9 Jun 2018 1:48 PM IST
घर बैठे दुनिया की सैर कराती है ‘देश दर देश’
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वह जब लिखती हैं तो शब्द लरजते हैं। संवाद करते हैं, यात्रा करते हैं, ठहरते दिखते ही नहीं। हम बात कर रहे हैं डॉ. उर्मिला जैन की जिन्होंने देश-विदेश में रहते हुए दुनिया के 70 से अधिक देशों की यात्राएं की हैं। यात्रा के लिए उनके हालात ही नहीं रहे हैं, उनका शगल इसके लिए ज्यादा उत्तरदायी माना जाएगा। यात्राएं उनके लिए रोमांचकारी और मनोरंजन का जरिया नहीं, ज्ञान और अनुभव की सहयात्री बनती रही हैं। उनके यात्रा संस्मरणों को पढऩे से कम से कम यही लगता है।

‘देश दर देश’ उनका नया यात्रा वृत्तांत है जो बोधि प्रकाशन जयपुर ने छापा है। इसमें उनकी 29 यात्राओं के संस्मरण हैं जो आपको यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका के सुदूर क्षेत्रों में ले जाते हैं और संवाद करते हैं। आल्प्स पर्वत पर बने पिज ग्लोरिया रेस्तरां की यात्रा से किताब की शुरुआत होती है। आपने जेम्स बांड ००७ का नाम तो सुना ही होगा। उसी के फाइनेंशियल मैनेजमेंट से तैयार किए गए इस रेस्तरां की रोमांचक यात्रा में लेखिका ने ऐसे अद्भुत प्रसंग लिखे हैं जो पढ़ते हुए जिज्ञासा पैदा करते हैं।

ऐसे ही इस संग्रह में काहिरा का भ्रमण, प्राग देखें पैदल पैदल, गण्डोला वेनिस और हम, पुर्तगाल जलाशय और वह केमिकल टॉयलेट, आधी रात को सूरज के देश में, ब्रुसेल्स एक भव्य रंगमंच, मिकूमी अरण्य की एक रात, न्यूयार्क न्यूयार्क, एक सनकी सिटी में पदयात्री, हिमनदों और ग्लेसियरों के बीच जैसे लेख काफी ज्ञानवर्धन हैं, जो रोचक ढंग से लिखे गए हैं। कुल मिलाकर पुस्तक बहुत पठनीय है।

-रतिभान त्रिपाठी

पुस्तक समीक्षा

समीक्षित कृति

देश दर देश

लेखिका : उर्मिला जैन

प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर

पृष्ठ 136, मूल्य 150 रुपये

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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