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काशी से पहले कभी इन 15 जगहों पर भी मची थी भगदड़, फैल गया था चारो तरफ मातम
लखनऊ: धार्मिक आयोजनों में भगदड़ मचने का ये कोई पहला हादसा नहीं है। शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बाबा जय गुरूदेव के आश्रम में जाते वक्त मची भगदड़ में 19 लोगों के मारे जाने और 20 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना मिली है। मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। वैसे भारत में ये भगदड़ की कोई पहली घटना नहीं है, जिसने इतने सारे लोगों की जान ले ली हो। इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं समय समय पर विकराल रूप दिखाती रही हैं।
पहले भी हो चुकी है भगदड़
-इससे पहले यूपी के प्रतापगढ़ में मनगढ़ में कृपालु जी महाराज के आश्रम में 4 मार्च 2010 को मची भगदड़ में 63 लोगों की मौत हो गई थी और एक सौ से अधिक घायल हो गए थे।
-झारखंड के प्रसिद्ध देवघर के प्राचीन बाबा बैद्यनाथ मंदिर में भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
5 जनवरी, 2014
बिहार के चित्रकूट बांका में एक थिएटर में सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने के लिए हजारों लोग एक साथ अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान यहां भगदड़ मच गई और करीब 3 लोगों की इसमें कुचलकर जान चली गई। वहीं 12 अन्य लोग घायल हो गए थे। इस थिएटर में होने वाला कार्यक्रम मंदार मेला का हिस्सा था।
13 अक्टूबर, 2013
मध्यप्रदेश के दातिया में रत्नगढ़ मंदिर के पास मची भगदड़ में करीब 89 लोगों की मौत हो गई थी। इनके अलावा करीब 100 लोग घायल हो गए थे। ये भगदड़ इस मंदिर के पास एक पुल पर मची थी।
10 फरवरी, 2013
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में कुंभ मेला के दौरान रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में करीब 36 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 39 लोग घायल हो गए थे।
19 नवंबर, 2012
बिहार के पटना में अदालत गंज क्षेत्र के एक घाट पर भगदड़ मच गई। ये भगदड़ छठ पूजा के दौरान मची थी। इस घटना में करीब 20 लोगों की तो दहशत में मौत हो गई थी। इनके अलावा बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए थे।
24 सितंबर, 2012
झारखंड में नौ श्रद्धालुओं की देवघर जिले में ही एक आश्रम में दम घुटने से मौत हो गई। इन मृतकों में 8 महिलाएं थीं। ये भगदड़ तड़के यहां प्रार्थना के दौरान मची, जब लोग बड़ी संख्या में संत ठाकुर अनुकूल चंद की 125वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए आश्रम में पहुंचे थे।
23 सितंबर, 2012
उत्तर-प्रदेश के मथुरा में बरसाना स्थित लाडली जी के मंदिर में अचानक भगदड़ मचने से तीन श्रद्धालुओं की मौत और दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। ये सभी लोग बड़ी संख्या में राधा अष्टमी के अवसर पर यहां इकट्ठा हुए थे। भगदड़ उस समय मची जब श्रद्धालु पूजा करने के बाद बाहर निकल रहे थे।
19 फरवरी, 2012
गुजरात के जूनागढ़ में भावनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के मेले में भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 6 लोगों की जान चली गई, जबकि 30 अन्य लोग घायल हो गए।
14 जनवरी, 2011
केरल में सबरीमाला मंदिर में हुई भगदड़ अब तक की सबसे बड़ी और विकराल भगदड़ थी। इस भगदड़ में 106 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
8 नवंबर 2011
हरिद्वार में गंगा जी के घाट हर की पौड़ी पर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 22 लोगों की जान चली गई, जबकि कई अन्य घायल भी हो गए।
30 सितंबर, 2008
राजस्थान में जोधपुर स्थित चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ मचने से करीब 120 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं 200 से ज्यादा लोग इस भगदड़ में घायल हुए थे। ये भगदड़ यहां नवरात्रि के त्योहार के दौरान मची थी।
2008 जुलाई
उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ जी की यात्रा के दौरान भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में करीब छह लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 अन्य घायल हो गए थे।
3 अगस्त, 2006
हिमांचल प्रदेश में नैना देवी मंदिर में भी सबसे खतरनाक तरीके से भगदड़ मची थी। इस भगदड़ में 160 श्रद्धालु मारे गए थे। इनके अलावा 400 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
27 अगस्त 2003
नासिक में कुंभ मेले के दौरान पवित्र गोदावरी नदी के तट पर स्नान के दौरान भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 40 लोग मारे गए थे। इनके अलावा 125 श्रद्धालु घायल भी हुए थे।