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जावड़ेकर ने कहा- अस्वच्छता के कारण बहुत से टूरिस्ट नहीं आते भारत
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार (19 सितंबर) को कहा कि भारत में अन्य देशों की तुलना में पर्यटकों को देने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन देश की खराब स्वच्छता व्यवस्था के कारण बहुत से पर्यटक भारत नहीं आते।
नई दिल्ली : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार (19 सितंबर) को कहा कि भारत में अन्य देशों की तुलना में पर्यटकों को देने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन देश की खराब स्वच्छता व्यवस्था के कारण बहुत से पर्यटक भारत नहीं आते।
जावड़ेकर का कहना है कि, 'किसी अन्य देश की तुलना में हमारे पास ज्यादा बेहतर पर्यटक स्थल हैं, लेकिन अकेले पेरिस पूरे भारत के मुकाबले 10 गुना ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करता है। आप जानते हैं ऐसा क्यों हैं? क्योंकि, हमारे पर्यटन स्थल साफ नहीं हैं।'
जावड़ेकर सुलभ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जिसमें छात्रों को अपने स्कूल को साफ रखने के लिए पुरस्कार दिए गए। मंत्री ने कहा कि वे भारतीय जो सिंगापुर की गलियों को गंदा नहीं करेंगे, वही देश में सड़क पर केले के छिलके या चॉकलेट का रैपर फेंकने से पहले दो बार सोचते भी नहीं।
जावड़ेकर ने सुलभ इंटरनेशनल की प्रशंसा की
जावड़ेकर ने सुलभ इंटरनेशनल के बिंदेश्वर पाठक की तारीफ की। उन्होंने कहा, 'स्वच्छता की महान क्रांति के लिए एक मामूली कीमत पर सामुदायिक शौचालय सेवा की शुरुआत की।'
उन्होंने कहा, 'सुलभ का निर्माण एक ऐतिहासिक कदम है। इसे शुरू किए हुए 50 साल हो चुके हैं। जब यह अवधारणा पहली बार बनाई गई तो लोग सोचते थे कि कौन इसके लिए भुगतान करेगा। लेकिन, पाठक जी ने इसे साफ रखकर संभव बनाया और इस आदत को दूसरों को भी बताया।'
गरीबों के लिए की थी शुरुआत
पाठक ने सुलभ शौचालय सेवा 1970 में बिहार से खास तौर से गरीबों के लिए शुरू की थी। इसमें नहाने और कपड़े धोने की भी सुविधा दी जाती है। जावड़ेकर ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में एक साल के भीतर 4,50,000 शौचालय बनवाए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप ज्यादा संख्या में लड़कियां स्कूल आ रही हैं, जो पहले बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती थीं।
इस कार्यक्रम में 120 छात्रों को सम्मानित किया गया। यह कार्य सुलभ स्कूल सैनिटेशन क्लब का हिस्सा है, जिसमें 200 से ज्यादा स्कूलों के 6,500 छात्र सदस्य हैं। इस क्लब का मकसद छात्रों में स्वच्छता की आदत विकसित करना है।