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21 नवंबर को कालभैरव को करना है खुश तो दिन के अनुसार करें ये उपाय
लखनऊ: काल भैरव जयंती भगवान काल भैरव को खुश करने के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। यह दिन अगहन मास के अंधेरे के आठवें दिन होता है। काल भगवान, आम तौर पर काल भैरव (भगवान शिव का अवतार) के रूप में जाने जाते हैं। इस दिन भक्त व्रत और भगवान को खुश करने के लिए पूजा करते हैं। काल भैरव जयंती पूरे देश में मनाया जाता है।
भैरव अष्टमी की कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच में कौन अधिक शक्तिशाली है पर विवाद हुआ था। तो उस वक्त भगवान शिव को महान विद्वानों और संतों के सामने एक सभा का आयोजन करना पडा और समाधान खोजने के बाद इस निष्कर्ष तक पहुंचे, उस के लिए भगवान विष्णु तो सहमत हुए, लेकिन भगवान ब्रह्मा ने इसे अस्वीकार किया। यह बात भगवान शिव को अपने पर अत्याचार, के रूप में उनके लिए एक अपमान था और उन्होंने एक विनाशकारी रूप ले लिया। इसलिए, एक नए अवतार का अस्तित्व जिसे काल भैरव के रूप में आया। इस अवतार में, वह एक हाथ में एक छड़ी के साथ एक काले कुत्ते पर सवार होकर आए थे। यही कारण है कि वह भी नाम दण्डाधिपति मिला । भगवान शिव के इस भयानक रूप से देवताओं को भी डर लगता है। इस स्थिति को देखकर,ब्रह्मा जी ने भगवान शिव के अवतार काल भैरव के सामने माफी मांगी। सभी देवताओं, संतों, ऋषियों और प्रभु स्वयं ब्रह्मा से आश्वस्त होने के बाद, भगवान शिव अपने मूल रूप में बहाल हुए |
काल भैरव जयंती पूजा विधि
काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। भक्तों द्वारा उस दिन पूरी रात पूजा की जाती है। भगवान की पूजा करने हेतु, काल भैरव, भगवान शिव और देवी पार्वती के साथ पूजा की जाती है। पूजा के दौरान काल भैरव की कथा सुनाना सबसे महत्वपूर्ण बात है। भगवान भैरव, एक काले कुत्ते पर सवारी के रूप में, इसलिए, एक काले कुत्ते को खिलाना, सर्वशक्तिमान माना जाता है। काल भैरव की पूजा यूं तो सूरज निकलने से पहले या सूरज अस्त होने के बाद ही की जानी चाहिए, लेकिन कालभैरव जयंती पर आप दिन में भी सात्विक पूजा कर सकते हैं। इसके लिए आप सुबह उठने के बाद काल भैरव मंदिर में जाए और काली उडद की दाल से बने पूड़े, इमरती, बूंदी के लड्डू, दही भल्ले का भोग लगाए।
*काले वस्त्र अर्पित करें। जिस भैरव मंदिर में मदिरा का भोग लगता हो वहां जाकर काल भैरव को मदिरा का भोग लगाए और अपने कष्टों के निवारण के लिए प्रार्थना करें।
ये उपाय भी करें
यूं तो कालभैरव को खुश करना बेहद आसान है, लेकिन अगर वे रूठ जाएं तो मनाना बहुत मुश्किल। काल भैरव अष्टमी पर कुछ खास सरल उपाय जो निश्चित रूप से कालभैरव को प्रसन्न करेंगे।
*रविवार, बुधवार या गुरुवार के दिन एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। अगर कुत्ता यह रोटी खा लें तो समझिए आपको कालभैरव का आशीर्वाद मिल गया। अगर कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इस क्रम को जारी रखें, लेकिन सिर्फ हफ्ते के इन्हीं तीन दिनों में (रविवार, बुधवार या गुरुवार) ये उपाय करें। यही तीन दिन कालभैरव के माने गए हैं।
*उड़द के पकौड़े शनिवार की रात को कड़वे तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर प्रात: 6-7 के बीच बिना किसी से कुछ बोलें, घर से निकले और रास्ते में मिलने वाले पहले कुत्ते को खिलाएं। याद रखें पकौड़े डालने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें। यह प्रयोग सिर्फ रविवार के लिए हैं।
*शनिवार के दिन शहर के किसी भी ऐसे कालभैरव जी का मंदिर खोजें, जिन्हें लोगों ने पूजना लगभग छोड़ दिया हो। रविवार की सुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी लेकर पहुंच जाएं। वहां उनका पूजन करें। बाद में 5 से लेकर 7 साल तक के बटुकों यानी लड़कों को चने-चिरौंजी का प्रसाद बांट दें। साथ लाए जलेबी, नारियल, पुए आदि भी उन्हें बांटे। याद रखिए कि अपूज्य कालभैरव की पूजा से कालभैरव विशेष प्रसन्न होते हैं।
*हर गुरुवार को कुत्ते को गुड़ खिलाएं। रेलवे स्टेशन पर जाकर किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा की बोतल दान करें। सवा किलो जलेबी बुधवार के दिन कालभैरव को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं।
*शनिवार के दिन कड़वे तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे विविध पकवान तलें और रविवार को गरीब बस्ती में जाकर बांट दें।
*रविवार या शुक्रवार को किसी भी कालभैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं। पांच नींबू, पांच गुरुवार तक कालभैरव जी को चढ़ाएं।
*सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर कालभैरव के मंदिर में बुधवार के दिन चढ़ाएं।