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कंधमाल लोकसभा सीट पर बीजद, भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी के बीच मुकाबला

आदिवासी बहुल कंधमाल लोकसभा सीट पर बीजद, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। यह क्षेत्र 2008 में विश्व हिंदू परिषद के एक नेता की हत्या के बाद भड़के दंगों की वजह से सुर्खियों में आया था।

Anoop Ojha
Published on: 13 April 2019 1:13 PM GMT
कंधमाल लोकसभा सीट पर बीजद, भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी के बीच मुकाबला
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फुलबनी (ओडिशा): आदिवासी बहुल कंधमाल लोकसभा सीट पर बीजद, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। यह क्षेत्र 2008 में विश्व हिंदू परिषद के एक नेता की हत्या के बाद भड़के दंगों की वजह से सुर्खियों में आया था।

भले ही यहां से पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं लेकिन मुकाबला बीजद के अच्युत सामंत, भाजपा के खरावेला स्वैन और कांग्रेस के मनोज आचार्य के बीच है। यहां 18 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान होगा।

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राज्यसभा सदस्य और उद्यमी बीजद के उम्मीदवार सामंता मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की साफ छवि के आधार पर अपनी जीत को लेकर ‘आश्वस्त’ हैं। वहीं तीन बार सांसद रहे स्वैन नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों पर मतदाताओं को खींचने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं कांग्रेस के मनोज आचार्य राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी बीजद के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को लेकर उम्मीद से भरे हैं। यहां 12.59 लाख मतदाता हैं।

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कंधमाल संसदीय सीट 2008 में बनी है। यह क्षेत्र 2008 में विश्व हिंदू परिषद के नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद भड़के दंगे के बाद सुर्खियों में आ गया था और इसी घटना के बाद बीजद और भाजपा के रास्ते अलग-अलग हो गए।

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यहां की जनजाति कंध को इस क्षेत्र का मूलनिवासी माना जाता है। यहां इनके अलावा अनुसूचित जाति पानोस समुदाय और ईसाई बड़ी संख्या में हैं।

कंधमाल को बीजद का गढ़ माना जाता है। 2008 में विहिप के नेता की हत्या के बाद 2009 में ध्रुवीकरण के बाद भी यहां से बीजद के उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। इसके बाद 2014 में भी बीजद के उम्मीदवार हेंमेंद्र चंद्र सिंह को जीत हासिल हुई। उनके असामयिक निधन के बाद हुए उप चुनाव में उनकी पत्नी प्रत्यूशा राजेश्वरी सिंह ने भाजपा के उम्मीदवार को हराया। हालांकि इस बार बीजद से टिकट नहीं मिलने के बाद राजेश्वरी भाजपा में शामिल हो गईं हैं।

(भाषा)

Anoop Ojha

Anoop Ojha

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