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करवा चौथ:इस मुहूर्त इस विधि से करें पूजा, पति की होगी दीर्घायु

suman
Published on: 19 Oct 2018 9:00 AM IST
करवा चौथ:इस मुहूर्त इस विधि से करें पूजा, पति की होगी दीर्घायु
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जयपुर:कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सलामती के लिए व्रत रखती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।इस बार करवा चौथ शनिवार 27 अक्टूबर 2018 को है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और चांद को देखकर और उसे अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।

मुहूर्त करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 17:40:34 से 18:47:42 तक, अवधि : 1 घंटे 7 मिनट, करवा चौथ चंद्रोदय समय : 19:55:00।

करवा चौथ का त्योहार उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है। पंजाब में इस त्योहार की शुरुआत सरगी के साथ होती है। सरगी सास तैयार करती हैं। उसे ही खाकर बहू करवा चौथ का व्रत रखती है. शाम को 16 श्रृंगार कर के शुभ मुहूर्त में पूजा करती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती हैं। इस पूजा को समूह में सम्पन्न किया जाता है। महिलाएं एक दूसरे को अपनी पूजा की थाली देती हैं घेरा पूरा करती हैं. उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इस दिन गौर माता की पूजा की जाती है। उनकी प्रतिमा गाय के गोबर से तैयार की जाती है।

सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें। फिर मिठाई, फल, सेंवई और पूड़ी की सरगी ग्रहण कर व्रत शुरू करें।संपूर्ण शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें।

गणेश जी को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले चढ़ाएं।भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं।उनके सामने मोगरा या चन्दन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं।मिटटी के कर्वे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं।कर्वे में दूध, जल और गुलाब जल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार जरूर करें, इससे सौंदर्य बढ़ता है।इस दिन करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिए।कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करना चाहिए।

पति की दीर्घायु की कामना मंत्र : -

'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'

करवे पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवे पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। 13 दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।

चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें।

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