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अमा जाने दो: अब आप कहेंगे कि लड़का किसी को हुआ, दर्द तुम्हारे पेट में काहे

raghvendra
Published on: 14 Oct 2017 3:41 PM IST
अमा जाने दो: अब आप कहेंगे कि लड़का किसी को हुआ, दर्द तुम्हारे पेट में काहे
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नवलकांत सिन्हा

पॉलिटिक्स पजल्ल्ड है और नेता डिस्टर्ब। राजकुमार वैश्य, रतिया राम, जिमनाबरी बाई, रॉबर्ट मार्शां, वरदान हेज जैसे लोग देश की राजनीति को हिलाए हुए हैं। सोनिया गांधी से लेकर नरेंद्र मोदी तक और राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक सब परेशान हैं। हर दूसरे, तीसरे दिन कुछ खबरें चेप दी जाती हैं और सियासत की बैंड बजाने का इंतजाम हो जाता है।

पटना के राजकुमार वैश्य को जान लीजिये। इन्होंने 98 साल की उम्र में पोस्टग्रेजुएट कर डाला। 105 साल के फ्रांस के रॉबर्ट मार्शां ने एक घंटे के भीतर सबसे लंबी दूरी तक साइकिल चलाने का रिकॉर्ड ठोंक दिया। शतक पार वरदान हेज ने 10,000 फीट की ऊंचाई से स्काई डाइविंग कर डाली। यहां तक तो ठीक था। छत्तीसगढ़ में जशपुर के 75 साल के रतिया राम ने 70 वर्षीय जिमनाबरी बाई से शादी कर आम से लेकर खास लोगों तक को खुसुर-फुसुर का मौका दे दिया। किसी को 80 साल की उम्र में मुहब्बत हो रही है तो वो अपने 95 साल के आशिक से शादी कर ले रहा है। कोई 96 साल में पिता बनने का दावा कर रहा है।

अब आप कहेंगे कि लड़का किसी को हुआ, दर्द तुम्हारे पेट में काहे है। कौन सी तुम्हारी फेवरिट आंटी मोहल्ले से भाग गयीं। सोनिया गांधी, नरेंद्र मोदी का इससे क्या लेना-देना। तो सुनिए, मेरा मानना है कि ऐसी ही खबरें सुनकर बुजुर्ग नेताओं के सियासी जज्बात जाग रहे हैं। अब 78 वर्षीय नेता सुब्रमण्यम स्वामी को क्या जरूरत थी 75 पार आनंदी बेन को मुख्यमंत्री बनाने के पैरवी करने की।

आपको मानना ही पड़ेगा कि ऐसी ही खबरें सुनकर 80 को छू रहे यशवंत सिन्हा के अन्दर छुपा भीष्म पितामह जागा होगा। 75 साल के अरुण शौरी ने यूं ही तो नहीं प्रधानमंत्री की आलोचना की होगी। 90 के करीब के आडवाणी जी और 80 पार जोशी जी ऐसे ही थोड़ी जोश में आ जाते होंगे। वैसे ये केवल एंटी मोदी इफेक्ट नहीं है। बैंड तो सबकी बजी हुई है। टीपू सीएम बनने से लेकर हटने तक पचहत्तर पार नेताजी की डांट खाते रहे। मुलायम सिंह यादव पार्टी से किनारे हो गए तो शिवपाल जी से सियासी टाईमपास करते रहे।

अब मैं ‘आप’ से बाहर हो चुके 90 पार शांतिभूषण की तो बात नहीं करता लेकिन रायता तो कांग्रेस में भी फैला हुआ है। पचे पचहत्तर पार मणिशंकर अय्यर फुल फॉर्म में हैं। कह डाला है, ‘कांग्रेस अध्यक्ष या तो मां बनेगी या फिर बेटा।‘ खबरों के आफ्टर इफेक्ट सुनने के बाद अब ये मत कहिएगा कि अमा जाने दो।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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