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निजी जीवन की गोपनीयता: कम नहीं हैं राजनेताओं के हमकदम

raghvendra
Published on: 31 Aug 2018 4:48 PM IST
निजी जीवन की गोपनीयता: कम नहीं हैं राजनेताओं के हमकदम
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लखनऊ: ऐसे तो भारत में नेता अपने जीवन में पारदर्शिता, समाज सेवा वगैरह बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन जब मामला निजी जीवन की गोपनीयता का होता है तो वे दुनिया के सबसे बड़े तानाशाहों में बदल जाते हैं। हमारे नेताओं में एक छिपी अंडरस्टैंडिंग होती है कि ऐसे तो एक-दूसरे की नीतियों, कामों आदि की खूब आलोचना और विरोध करेंगे लेकिन एक दूसरे के प्रेम प्रसंगों, विवाहेत्तर संबंधों और तथाकथित ‘दूसरी औरतों’ की चर्चा सार्वजनिक रूप से नहीं करेंगे। इसकी एक वजह ये भी है कि जब हर कोई एक ही नाव में सवार है तो भला कोई उसे हिलाए तो कैसे? दुनिया में आज बहुत खुलापन है, सोशल मीडिया में हर तरह के खुलासे होते हैं लेकिन नेताओं के निजी जीवन के बारे में वहां भी चुप्पी दिखती है। बहरहाल, जो चर्चे आम रहे जरा उन पर नजर डालते हैं :

इंदिरा-फिरोज का वैवाहिक जीवन

इंदिरा गांधी के वैवाहिक जीवन पर भी सार्वजनिक रूप से बहुत कम कहा गया है सिवाए इसके कि उनके अपने पति फिरोज गांधी के साथ संबंध बहुत अच्छे नहीं थे। इंदिरा गांधी की जीवनी लेखिका पुपुल जयकर के अनुसार, इंदिरा जब फिरोज के प्रेम में पड़ीं तो वह राजनीति की चकाचौंध से दूर होकर शादी करना और सादगीभरी जिंदगी बिताना चाहती थीं लेकिन शादी के बाद जब दूरियां बढने लगीं तो इंदिरा ने राजनीति में शिरकत करनी शुरू कर दी। इसने फिरोज के साथ उनके मतभेदों को और बढ़ा दिया। उनके पिता नेहरू भी फिरोज को कतई पसंद नहीं करते थे।

कैथरीन फ्रेंक की किताब ‘इंदिरा: द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी’ कहती है कि फिरोज बिंदास जिंदगी जीने में यकीन रखते थे, जिसमें खाने-पीने और सेक्स की कोई सीमा नहीं थी। किताब के अनुसार, इंदिरा से शादी के बाद भी फिरोज दूसरी महिलाओं से फ्लर्ट करते थे। महमूना सुल्तान के अलावा उनके रोमांटिक रिश्ते संसद की ग्लैमर गर्ल कही जाने वाली तारकेश्वरी सिन्हा, सांसद सुभद्रा जोशी से रहे। उनकी एक और गर्लफ्रेंड थी, जो खूबसूरत नेपाली तलाकशुदा महिला थी और आलइंडिया रेडियो में काम करती थी। फिरोज गांधी की दोस्ती हम्मी नाम की एक बहुत खूबसूरत महिला के साथ भी थी जिनके पिता उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हुआ करते थे।

इंदिरा नेहरू की देखभाल के लिए बच्चों को ले कर दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास में आ गईं। वहाँ से फिरोज का रोमांस शुरू हुआ। कहा जाता है कि हम्मी को लेकर इंदिरा गांधी को जिंदगी भर मलाल रहा है। कैथरीन अपनी किताब में लिखती हैं कि इंदिरा के जीवन में बाद में दो और पुरुष आए। इनमें धीरेंद्र ब्रह्मचारी और दिनेश सिंह शामिल थे। वैसे तो एमओ मथाई ने खुद दावा किया कि इंदिरा का उनसे लंबे समय तक अफेयर रहा, फिरोज गांधी ने खुद संसद के सेट्रल हाल में कई सांसदों की मौजूदगी में कहा था, नेहरू के असली दामाद तो मथाई हैं। वैसे, इंदिरा गांधी के साथ मोहम्मद यूनुस का भी नाम जोड़ा जाता है।

राजीव-सोनिया की प्रेम कहानी

राजीव गांधी और सोनिया गांधी के प्रेम प्रसंग पर भी मीडिया में बहुत कम चर्चा हुई है। राशिद किदवई ने ज़रूर सोनिया गांधी पर लिखी जीवनी में इस मुददे पर अपनी नजर दौड़ाई है। ‘शुरू में सोनिया गाँधी को ये भी पता नहीं था कि राजीव गांधी जवाहरलाल नेहरू के नवासे हैं। वो पहली बार केम्ब्रिज में एक ग्रीक रेस्तरां ‘वरसिटी’ में मिले थे। वो अपनी एक दोस्त के साथ बैठी हुई थीं।

राजीव गाँधी भी अपने दोस्तों के साथ थे। सोनिया गाँधी का ख़ुद का कहना है कि जिस नजर से राजीव ने उन्हें देखा.... पहली ही नजर में उन्हें उनसे इश्क हो गया। फिर राजीव गांधी ने उन्हें एक कविता लिख कर भेजी। सोनिया गांधी को ये बहुत अच्छा लगा और इसके बाद दोनों का मिलना-जुलना शुरू हो गया। लेकिन जब एक बार इंदिरा गाँधी ब्रिटेन की यात्रा पर गईं और उनकी अख़बार में तस्वीर छपी तो उन्हें डर सा महसूस हुआ। एक बार वो आधे रास्ते से लौट आईं और इंदिरा से मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं।

जब उनकी पहली बार इंदिरा से मुलाकात हुई तो उन्होंने उनसे फ्रेंच में बात की क्योंकि इंदिरा को फ्रेंच आती थी और सोनिया का हाथ अंग्रेजी में तंग था। बाद में जब सोनिया के पिता को पता चला कि वो राजीव से शादी करने जा रही हैं तो उन्होंने इसका विरोध किया। जब राजीव गांधी सोनिया का हाथ मांगने गए तो उन्होंने कहा मैं देखना चाहता हूँ कि आप दोनों में कितनी मोहब्बत है.. इसलिए आप एक साल तक एक दूसरे से न मिलें। एक साल बाद सोनिया गांधी ने पहल की लेकिन तब भी उनके पिता इस शादी के लिए दिल से तैयार नहीं हुए और उन्होंने इन दोनों की शादी में शिरकत भी नहीं की।

जिन्ना का हैम प्रेम

बहुत कम लोग जानते थे कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को ‘हैम’ सैंडविचेज खाने का बहुत शौक था। उनके असिस्टेंट रहे और बाद में भारत के शिक्षा और विदेश मंत्री बने मोहम्मद करीम चागला ने अपनी आत्मकथा ‘रोजेज इन दिसंबर’ में लिखा है कि जिन्ना बॉम्बे म्यूनिसिपिल कॉरपोरेशन का चुनाव लड़ रहे थे। मैं और जिन्ना टाउन हॉल में थे जहाँ एक मतदान केंद्र हुआ करता था। लंच इंटरवेल के दौरान जिन्ना की पत्नी रूटी एक बड़ी गाड़ी में एक टिफिन बास्केट ले कर उतरीं और टाउन हॉल की सीढिय़ां चढ़ते हुए जिन्ना से बोलीं, जे, गेस करो मैं तुम्हारे लिए लंच में क्या लाई हूँ।

जिन्ना ने कहा मुझे क्या पता। इस पर उन्होंने जवाब दिया, मैं तुम्हारे लिए बेहतरीन हैम सैंडविच लाई हूं। इतना सुनते ही जिन्ना के होश उड़ गए। बोले ये तुमने क्या किया। क्या तुम चाहती हो कि मैं ये चुनाव हार जाऊं। क्या तुम्हें मालूम नहीं कि मैं मुस्लिम इलाके से चुनाव लड़ रहा हूँ और अगर उन्हें पता चल गया कि मैं लंच में हैम सैंडविच खा रहा हूँ तो क्या वो मुझे वोट देंगे। इतना सुनते ही रूटी जिन्ना का मुँह उतर गया। उन्होंने टिफिन बास्केट उठाई, गुस्से में पैर पटकते हुए अपनी गाड़ी में बैठ कर चलीं गईं।’

नेहरू-एडविना का इश्क

कहते हैं इश्क की कोई उम्र नहीं होती और इस प्रेम कहानी में भी कुछ ऐसा ही रहा। जब ये प्रेम कहानी शुरू हुयी उस समय जवाहरलाल नेहरू की उम्र 58 और एडविना की उम्र 47 साल थी। नेहरू की पत्नी कमला कौल का पहले ही निधन हो चुका था। नेहरू ने खुद भी स्वीकार किया है कि वो अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं थे जिसका एक कारण ये भी हो सकता है कि जहाँ कमला एक सीधी-सादी कश्मीरी लडक़ी थीं तो नेहरू की जिन्दगी शान-ओ-शौकत में बीती थी। ऐसे में मानसिक मतभेद होना लाजमी था। कमला की मौत के बात जहाँ नेहरू अकेले थे वहीं एडविना और डिकी यानी लार्ड माउंटबेटन के बीच सिर्फ दोस्ताना सम्बन्ध ही रह गए थे। माउंटबेटन जब भारत आए तो नेहरू का इस परिवार में अच्छा खासा आना-जाना हो गया।

एडविना पंडित नेहरू की शख्सियत से अत्याधिक प्रभावित थीं। दोनों का अकसर मिलना जुलना होता था। कई बार वे बाहर साथ घूमने भी गए। माउंटबेटन जब हिंदुस्तान छोडक़र जा रहे थे तो उससे एक दिन पहले भारत सरकार ने उनके सम्मान में डिनर का आयोजन किया था। खाने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने एडविना के सम्मान में एक भाषण दिया जो उनकी मोहब्बत की गहराई को साफ तौर पर दर्शाता है, भाषण पूरा करते वक्त नेहरू फूट फूटकर रोने लगे तो दूसरी तरफ एडविना भी रोने लगी थी। जवाहरलाल नेहरू के एडविना माउंटबेटन से संबंधों पर भारत से ज्यादा चर्चा विदेश में हुई है। इस विषय पर इंग्लैंड में एक किताब लिखी गयी तो माउंटबेटन ट्रस्ट ने उसे छापने की बाकायदा इजाजत दी। नेहरू ने जितने भी पत्र एडविना को लिखे, उन्हें उस किताब में शामिल किया गया।

एक किस्सा है कि एक बार एडविना नेहरू के साथ नैनीताल गयीं थीं। एक शाम दोनों आलिंगन में बंधे हुए थे कि तभी वहां उत्तरप्रदेश के गवर्नर होमी मोदी का बेटा रूसी मोदी पहुँच गया, उसने ये नजारा देखा। उसके बाद तो राजनीतिक गलियारों में यह आम चर्चा का विषय हो गया। वैसे, नेहरू और पद्मजा नायडू के बीच भी इश्क रहा। कहा जाता है कि पद्मजा को लेकर नेहरू और इंदिरा में टकराव भी होता था।

संजय गांधी के चर्चे

राजीव के छोटे भाई संजय गांधी का भी नाम कई महिलाओं से जोड़ा गया। उनमें से एक रुखसाना सुल्ताना भी थीं। रुखसाना सुल्ताना कोई बहुत बड़ी हस्ती नहीं थीं लेकिन उनको संजय गाँधी ने आगे बढ़ाया। उनकी लाइफस्टाइल था, उस जमाने में मेक अप करके, हाई हील्स पहन कर निकला करती थीं। उनका एक डॉमिनेटिंग कैरेक्टर था। कांग्रेस के लोग कहते थे कि वो संजय पर अपना हक जताती थीं और वो एक ऐसा हक था जिसे किसी रिश्ते का नाम नहीं दिया गया था। संजय का कई लड़कियों के साथ उठना बैठना था। बल्कि जब संजय की मेनका से शादी का पता चला तो कई लोगों को हैरत हुई कि ऐसा कैसे हो गया और कई लड़कियों के दिल टूट गए।

मुलायम की दूसरी शादी

मुलायम सिंह यादव की दूसरी शादी के बारे में भी लोगों को तब पता चला जब आय से अधिक धन के मामले में मुलायम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दिया। वैसे, राजनीतिक और मीडिया सर्किल में इसकी चर्चाएं पहले से होती रहीं थीं। लेकिन इस पर कुछ लिखा नहीं जाता था। एक बार सुप्रीम कोर्ट में उन्हें एक हलफनामा देना पड़ा कि उनकी पहली पत्नी नहीं है, तब जा कर पता चला कि इनकी दूसरी पत्नी भी हैं और उनसे उन्हें एक लडक़ा भी है।

वाजपेई- राजकुमारी कौल प्रकरण

पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेई के ‘परिवार’ पर दबेज़ुबान कुछ चर्चा भले ही होती रही हो लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता पर बिल्कुल फर्क नहीं पड़ा। वाजपेई ने कॉलेज के दिनों की अपनी दोस्त राजकुमारी कौल के साथ विवाह नहीं किया लेकिन उनकी शादी के बाद उनके पति के घर रहने लगे। राजकुमारी कौल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बीएन कौल से शादी की। प्रो. कौल भी अटल के अच्छे दोस्त थे। जब प्रो. कौल अमेरिका चले गए तो श्रीमती कौल अटल के निवास स्थान पर उनके साथ रहने आ गईं। वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने तो श्रीमती कौल का परिवार 7 रेस कोर्स में स्थित प्रधानमंत्री आवास में ही रहता था। उनकी दो बेटियां थीं। जिनमें से छोटी बेटी नमिता को अटल ने गोद ले लिया था। नमिता की शादी रंजन भट्टïाचार्य से हुयी। रंजन भट्टाचार्य वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) थे।

एक पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में राजकुमारी कौल ने कहा, ‘मैंने और अटल बिहारी वाजपेई ने कभी इस बात की जरूरत नहीं महसूस की कि इस रिश्ते के बारे में कोई सफाई दी जाए।’ राजकुमारी कौल का कुछ दिनों पहले निधन हो गया लेकिन राष्ट्रीय मीडिया में उनकी शख्सियत के बारे में इसलिए चर्चा नहीं हुई क्योंकि उनके बारे में लोगों को कुछ पता ही नहीं था। राजकुमारी कौल की दोस्त तलत जमीर कहती हैं, ‘वो बहुत ही खूबसूरत कश्मीरी महिला थीं, बहुत ही मीठा बोलती थीं। प्रधानमंत्री निवास में सब लोग उन्हें माता जी कहा करते थे। अटलजी के खाने की सारी जिम्मेदारी उनकी थी। उनको टीवी देखने का बहुत शौक था और सभी सीरियल्स डिस्कस किया करती थीं।

मौलाना आजाद

नेहरू के सचिव रहे एमओ मथाई अपनी किताब ‘रेमिनिसेंसेज ऑफ नेहरू एज’ में लिखते हैं कि मौलाना आजाद को जीवन की बेहतरीन चीजों का शौक था। एक बार जब वो ब्रिटेन की यात्रा पर गए थे तो वहाँ भारत की उच्चायुक्त विजयलक्ष्मी पंडित ने उनके सम्मान में एक भोज दिया था जिसमें एंथनी ईडन और लॉर्ड माउंटबेटन जैसे लोगों को बुलाया गया था। जैसे ही खाना खत्म हुआ मौलाना कमरे से बाहर निकल आए। ईडन ने पूछा भी कि मौलाना गए कहां? विजयलक्ष्मी पंडित को कूटनीतिक झूठ बोल कर बहाना बनाना पड़ा जबकि सच ये था कि मौलाना अपने कमरे में बैठ कर शैंपेन का अंनंद ले रहे थे। बताया जाता है कि वो शाम के सात बजे के बाद पीना शुरू करते थे और इसको छिपाते भी नहीं थे। अपनी किताब ‘गुबारे ख़ातिर’ में जब भी वो जिक्र करते थे कि वो चाय पी रहे हैं, वो वास्तव में विहस्की पी रहे होते थे।

ये चर्चे भी खूब रहे

  • विद्याचरण शुक्ला, चंद्रशेखर के इश्क के बारे में बात होती थी।
  • नारायणदत्त तिवारी के काफी अफेयर्स बताए जाते हैं। सबसे चर्चित मामला उज्जवला तिवारी का रहा जिनके पुत्र रोहित शेखर ने दावा किया कि एनडी उसके पिता हैं। मामला कोर्ट में गया और अंतत: एनडी ने ये सच्चाई स्वीकार की। एनडी तिवारी जब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल थे तब एक बार वो कुछ लड़कियों के साथ अंतरंग स्थिति में पकड़े गए। मामला इतना उछला कि तिवारी को इस्तीफा देना पड़ा था।
  • पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पाकिस्तानी पत्रकार अरूसा आलम के बीच अफेयर २००७ में सुर्खियों में रहा। दोनों की मुलाकात २००४ में हुई थी जब अमरिंदर सिंह पाकिस्तान के दौरे पर गए थे।
  • आंध्र के तीन बार मुख्यमंत्री रहे एनटी रामाराव ने ७० वर्ष की उम्र में लक्ष्मी पार्वती से विवाह किया था। दोनों में नजदीकियां उस वक्त आयीं जब लक्ष्मी एनटीआर के जीवन पर किताब लिख रही थीं।
  • कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और टीवी एंकर अमृता राय के बीच अफेयर और शादी भी खूब चर्चित रही है। पत्नी की मौत के 6 महीने बाद ही दिग्विजय सिंह का अमृता राय से अफेयर शुरू हो गया था। पत्नी की मौत के बाद से दिग्विजय और अमृता लिव इन रिलेशन में रहने लगे थे।
  • समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के दिल्ली के मिरांडा हाउस कालेज की टीचर रमा मित्रा से प्रेम संबंधों की एक दौर में खूब चर्चा होती थी।

  • अमर सिंह और बिपाशा बसु व जयाप्रदा के संग इश्क के खूब चर्चे रहे हैं। जयाप्रदा और जया बच्चन को तो अमर सिंह अपने दाहिने-बाएं हाथ कहा करते थे।
  • मायावती और कांशीराम के बीच संबंध भी चर्चा में रहे हैं। मायावती कांशीराम का बहुत ख्याल रखती थीं और इसे भाई-बहन का रिश्ता बताती रही हैं। मायावती का इतना प्रभाव था कि वो किसी को कांशीराम के पास फटकने नहीं देती थीं।
  • इंदरजीत गुप्त का एक अलग किस्म का सूफियाना किस्म का इश्क था। 62 साल की उम्र में उन्होंने शादी की।
  • आरके धवन ने भी 74 साल की उम्र में अपनी शादी को सार्वजनिक रूप से स्वीकारा।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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