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लोकसभा चुनाव: कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, प्रचार थमा, मतदान 18 को
दूसरे चरण की आठ सीटों के लिए कुल 87 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें नगीना सीट से सात, अमरोहा में दस, बुलंदशहर में नौ, अलीगढ़ में 14, हाथरस में आठ, मथुरा में 13, आगरा में 11 और फतेहपुर सीकरी में 15 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
लखनऊ: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का प्रचार अभियान मंगलवार शाम को थम गया। इस चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आठ सीटों पर कड़ी सुरक्षा के बीच 18 अप्रैल को प्रातः सात बजे से अपराह्न छह बजे तक मतदान होगा। मतदान पार्टियां बुधवार को मतदेय स्थलों के लिए प्रस्थान करेंगी। दूसरे चरण में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
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दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटें नगीना (सुरक्षित), अमरोहा, बुलंदशहर (सुरक्षित), अलीगढ़, हाथरस (सुरक्षित), मथुरा, आगरा (सुरक्षित) और फतेहपुर सीकरी शामिल हैं।
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दूसरे चरण की आठ सीटों के लिए कुल 87 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें नगीना सीट से सात, अमरोहा में दस, बुलंदशहर में नौ, अलीगढ़ में 14, हाथरस में आठ, मथुरा में 13, आगरा में 11 और फतेहपुर सीकरी में 15 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
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द्वितीय चरण के संसदीय क्षेत्रों में मतदाताओं की कुल संख्या 1.40 करोड़ है, जिनमें 75.83 लाख पुरुष, 64.92 लाख महिला और 878 तृतीय लिंग के मतदाता हैं। इन निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 8751 मतदान केंद्र तथा 16162 मतदेय स्थल स्थापित किए गए हैं।
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दूसरे चरण के मतदान में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इनमें सिने स्टार हेमा मालिनी और राज बब्बर के चुनाव मैदान में होने से सियासत में ग्लैमर का तड़का नजर आ रहा है। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रो0 एसपी सिंह बघेल और कई निवर्तमान सांसदों की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। इसके अलावा राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) मुखिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री चैधरी अजित सिंह और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह जैसे नेताओं का गढ़ होने के कारण इस चरण के चुनाव में भाजपा, सपा-बसपा-रालोद गठबंधन और कांग्रेस सभी की ताकत परखी जाएगी। पिछले चुनाव में इस चरण की सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा था।
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प्रथम चरण का मतदान उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर 11 अप्रैल को हुआ था, जिसमें प्रमुख मुद्दा गन्ना था। दूसरे चरण के मतदान में आलू प्रमुख मुद्दा बन सकता है। दरअसल प्रदेश में दूसरे चरण के अधिकतर जिलों में आलू की खेती बहुतायद होती है। वैसे इस चरण में साफ-सफाई और गंदा पानी जैसे स्थानीय मुद्दे भी प्रभावकारी होते हैं। आगरा और मथुरा में यमुना की सफाई को भी मुद्दा बनाया जा रहा है।